रहस्यमयी वृन्दावन का निधिवन .
उत्तरप्रदेश के मथुरा जिला से 15 किलीमीटर दूर बसा एक सुन्दर सा शहर वृन्दावन (Vrindavan) जिसे राधाकृष्ण (Radha-krishn) के भक्तों का गढ़ माना जाता है, वहां का निधिवन (Nidhivan) बहुत ही अथिक मशहूर है.
माना जाता है की सूरज डूबते ही कोई भी Nidhi van में प्रवेश नहीं करता. क्यूंकि वहां कृष्ण और राधा (Krisna & Radhe ) रात को रास करते हैं. मान्यता है जो भी वहां प्रवेश करता है वो वृक्ष और लता में तब्दील हो जाता है.
वृन्दावन (Vrindavan) के निधिवन ( Nidhi van) में कुछ ख़ास स्थान मशहूर हैं जिन्हें देखने भक्त दूर दूर से आते हैं-
1.निधिवन
2.ललिताकुण्ड
3.प्रकट स्थल
4.चित्रवट
5.रास मंडल
6.वंशी चोर स्थान
7.स्वामी हरिदास समाधी स्थल
निधिवन - पौराणिक मान्यताओं
के अनुसार निधिवन में कृष्ण (krishna) अपनी 16 हज़ार 108 गोपियों के संग रास करते थे. वर्तमान में इस समय वन में मौजूद जो झुके हुए वृक्ष लताएँ हैं, वो उनकी गोप-गोपियाँ हैं जो उनके साथ किसी युग में रास किया करते थे.
ललिताकुण्ड – राधेरानी की सहेली का नाम था ललिता. एक बार रास करती हुई जब सभी गोपियाँ थक गयीं तो ललिता ने आकर कृष्ण से पानी पिलवाने का आग्रह किया.
तब कृष्ण ने उन्हें यमुना जाने के लिए कहा. ललिता
गयी तो उसे यमुना में मौजूद कालिय नाग ने खड़े दिया. जिसके बाद कृष्ण ने अपनी बंशी से खोदकर पानी
निकाला जिसका नाम बाद में ललिताकुण्ड पड़ा.
प्रकट स्थल – बहुत समय पहले
एक महान संगीतज्ञ श्रीहरि दास जी हुए थे जो एक ही स्थान पर बैठकर वीणा बजाते
थे. एक दिन बांके बिहारी ने उन्हें सपने में दर्शन देकर जगह की खुदाई करने को
कहा. जिसके बाद वहां से बांके बिहारी की प्रतिमा निकली. इसीलिए इस स्थान को प्रकट स्थल
कहा जाता है.
चित्रवट- मान्यता है कि इस भवन
के भीतर लड्डू , पान , दातुन, लोटे में जल. सोलह श्रृंगार की चीजें रखी जाती हैं जो
सुबह तक अस्त व्यस्त हो जाती है. लोगों का कहना है कि इन वस्तुओं का उपयोग राधेकृष्ण
करते हैं. यहाँ सिन्दूर का प्रसाद मिलता है जिसे सुहागिन माथे से लगाती हैं.
रास मंडल - इससे महादेव की कहानी भी जुडी है. इस स्थान पर कृष्ण गोपियों के संग रास किया करते थे. रास का अर्थ होता है सभी रसों का समूह जिनमे श्रिंगार रस , प्रेम रस, भक्ति रस, वात्सल्य रस भी शामिल है, कृष्ण की उसी रास को एक बार शिवजी भी देखना चाहते थे और जिनके लिए उन्हें गोपी का वेश धारण करना पड़ा.
किन्तु कृष्ण ने महादेव को पहचान लिए और बोले "अरे ये तो गोपी नहीं गोप है. इसके बाद महादेव का एक रूप गोपेश्वर महादेव पड़ गया. इस स्थान पर जितने भी वृक्ष लताएँ हैं सभी धरती को छूते हुए दिखाई पड़ते हैं, क्यूंकि वो एक तरह से राधेकृष्ण को झुककर प्रणाम कर रहे होते हैं.
यहाँ के कुछ लोक गीतों और कहावतों में भी राधे कृष्ण के लिए प्रेम और भक्ति झलती है.
बांके बिहारी की देख जटा,
अरि मन हो गयो लता –पता
वृन्दावन के वृक्षों का मरम
न जाने कोई कोई
हर डाल- डाल और पात -पात पर
श्री राधे राधे होई
वंशी चोर स्थल – एक बार राधा की अंगूठी चुराने के लिए कृष्ण मनिहार का वेश बनाकर चूड़ी बेचने आये और राधा की अंगूठी चुरा ले गए. उसके बाद राधे ने श्याम की बंसी और मुकुट चुरा ली जिसके बाद खुद ही वो श्याम बनकर नृत्य करने लगी.
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