20022 का अंत होता साल पाकिस्तान को दे गया भारी तबाही और संकट.. लेकिन इससे पहले भी पाकिस्तान की किस्मत एक बार और फूटी थी जब 2010 के बाढ़ के प्रकोप ने भारत के पडौसी देश को घुटने पर ले आया था.. तब इधर उधर पैसों और मदद के लिए हाथ पसारते पाकिस्तान को भारत ने ही 16०० करोड़ रूपये दिए थे. मगर अब स्थिति विपरीत है. पाकिस्तान ने कभी दोस्ती के मायने को नहीं समझा और हमेशा शकूनी की चालें चलता रहा.
कहते हैं अधिक चालाकी किसी को भी ले डूबती है. पाकिस्तान तो इसमें सरदार है. इसलिए उसका ये हाल हुआ है. चाहे वो वित्तीय कंगाली हो, राजनितिक आफत हो, या फिर प्राकृतिक आपदा. पाकिस्तान को समझिये तीन-तीन श्राप एक साथ लग गए. बिजली संकट के बाद महंगाई की मार सह रहे पकिस्तान में चाय पीने के लाले पड़ गए चुके थे. फल तरकारी तो दूर की बात थी. फिर भी जनता जैसे तैसे जी खा रही थी.
ड्रेगन के क़र्ज़ तले दबा पाकिस्तान बाहरी मुल्कों से पैसे मांगकर खड़ा होना चाहता था. वो ऐसा सोच ही रहा था कि कुदरत ने एक बार फिर भारी बारिश सैलाब के रूप में उसके पीछे जबरजस्त लात मारी और उस मार का ये नतीजा हुआ कि आज पाकिस्तान के कई शहर 8 फीट पानी के गहरे कब्र में डूब चुके हैं . खैबर पख्तूनख्व्वा, सिंध और पंजाब प्रांत ऐसे ही पाकिस्तान के कुछ नए कब्रगाह हैं जहाँ 20 लाख एकड़ की फसल वाली ज़मीन, 5 लाख मवेशी और 2 हज़ार लोग और कई बड़े बड़े घर और होटल दफ़न हो चुके हैं. आम इंसानों की बात करें तो इस भीषण तबाही ने पाकिस्तान के लगभग 4 करोड़ लोगों को प्रभावित किया है .
ये आपदा सचमुच बहुत डराने वाली है. पकिस्तान की स्थिति इतनी भयंकर है कि लोगों को इस वक़्त एक टाइम का खाना भी ढंग से नहीं मिल पा रहा. शहरों में खाने -पीने की जो चीज़ें है उनकी कीमत किसी फाइव स्टार की फ़ूड से कम नहीं. साधारण प्याज की ही बात करें तो इस वक़्त पाकिस्तान के लाहौर में प्याज 500 रूपये किलो, टमाटर 400 रूपये किलो और आलू 120 रूपये किलो मिल रहे हैं.
हालांकि इस वक़्त बाढ़ की गति कुछ कम हुई है. लेकिन पानी का जमाव जो पहले 8 फीट नीचे था वो अब 4 फीट पर आ गया है. लेकिन पानी निकलने के बाद भी पाकिस्तान में जो अब एक बड़ी भीषण समस्या आने वाली है वो ये है कि जहाँ तहां मवेशी और लोग मरकर दब चुके हैं, उन्हें ढूंढना मुश्किल हो सकता है. और जल्द ही यदि उन्हें नहीं ढूँढा गया तो वे सड़कर बीमारी फिलायेंगी. ये आपदा यही दर्आशा रही कि आने वाले समय में पाकिस्तान में शुद्ध पीने के लिए जल की भारी कमी और कई नयी बीमारियों का संकट वहां की जनता पर मंडराने वाला है.
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