अपने दिमाग और बुद्धि को कैसे तेज़ करें? ( mind & memory ko kaise develop karen in hindi)

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अकसर लोग इस चीज़ पर बहुत चर्चा  करते हैं कि बुद्धि को तेज़ कैसे करें ? अथवा यादाश्त कैसे बढ़ाये ? और बुद्धि कैसे बढ़ाएं ? ( How to develop  memory & mind ?



अपने दिमाग और बुद्धि  को कैसे तेज़ करें? ( mind & memory ko kaise develop karen in hindi)


मिला जुलाकर कहने का तात्पर्य एक ही है कि ऐसा क्या करे कि बुद्धि में वृद्धि हो जाए और वो बहुत तेज़ी से काम करने लगे.  दोस्तों जब भी बुद्धि की बात आती है विदेशों में थामस अल्वा एडिसन  का नाम हमेशा आता है और भारत में  स्वामी विवेकानंद जी का. लेकिन एडिसन के बारे में दो बातें यानि की कहानी बहुत ही अधिक जिन्होंने  प्रचलित है - पहला ,  कहा जाता है कि बचपन में वह एक मुर्ख और मूढ़ किस्म का बच्चा था जिसे शिक्षक तक पढ़ाने से कतराते थे. उन्हें स्कूल से निकाल भी दिया जाता मगर उनकी माता जी ने किसी तरह स्कूल के टीचर को एक और मौका देने के लिए मना लिया. एक बार स्कूल में बच्चों को मक्खी के ऊपर एक लेख लिखने के लिए दिया गया सभी बच्चों में अल्बर्ट ने मक्खी पर जो लेख लिखा वो सबसे अलग और ख़ास था. 



शिक्षक उस लेख को पढ़कर हैरान थे कि आखिर एक मुर्ख और मूढ़ बच्चा इतना अच्छा लेख कैसे लिख सकता है? उसके बाद स्कूल के प्रधानाध्पयाक  को क्लास टीचर से पता चला कि कुछ दिन पहले अल्बर्ट उस मक्खी को घंटों तक निहारता रहा जो मक्खी गन्दगी के काराण उसके पास बार बार आकर बैठ रही थी. तब जाकर प्रधानाध्यापक को पता चला कि ये बच्चा मुर्ख नहीं बहुत ख़ास है. बाद में पूरी दुनियाँ को पता चला कि एडिसन कितने बड़े  वैज्ञानिक बने . दूसरी कहानी में एक एडिसन ने एक मुदा हुआ कागज़ का युक्दा लाकर अपनी माँ को दिया. एडिसन की माँ को ख़त पढ़कर रोने लगी क्यूंकि उसमे टीचर ने लिखा था कि आपका बेटा इतना मुर्ख है कि उसे हमारा स्कूल वहां नहीं कर सकता उसे आप ही पढ़ाएं . तब एडिसन की माँ अपनी बच्चे को पढ़ने लगी और एडिसन इतना बड़ा विज्ञानिक बना जिन्होंने बाद में इलेक्ट्रिक बल्ब और फोनोग्रफी का अविष्कार तक कर डाला.


स्वामी विवेकानंद के बारे कहा जाता है कि उनकी बुद्धि कुश के सामान तीक्ष्ण  यानि कि वे कुशाग्रबुद्धि के स्वामी थे. वे मोटी सी मोटी पुस्तक को भी सिर्फ एक बार सरसरी निगाह से देखकर ही पढ़ लेते थे. उनकी बुद्धि के बारे में कई बातें प्रमाणित है.  स्वामी विवेकानंद ने बुद्धि विकसित  के बारे में जो बात कहीं या अपने विचार रखे वो ब्रह्मचर्य से सम्बंधित है. उन्होंने खासकर के विद्यार्थियों के लिए कहा कि बच्चे वीर्य का नाश ना करें . यही वीर्य आपकी बुद्धि को विकसित करता है. स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार जब वीर्य का संचय होता है तो वो एक प्रकार से मणि के रूप में कार्य. जिस प्रकार एक नाग सर्प की मणि उसकी बहुमूल्य मणि होती है उसी प्रकार एक व्यक्ति की शक्ति उसका वीर्य होता है. ये वीर्य बुद्धि को अति तीक्षण कर देता है. लेकिन जिन बच्चों को पता नहीं होता वे इसका निष्कासन करते रहते हैं .एडिसन के बारे में बात करे तो ये इसे दैविक शक्ति कहा जा सकता है क्यूंकि कुछ मस्तिक की बनावट बहुत ख़ास होती है . एडिसन का दिमाग उन्ही करोड़ों में मस्तिष्कों में एक रहा होगा  जो पहले संकुचित रहा किन्तु बाद में  बहुत अधिक विकसित हो गया.



कुछ लोग ये भी सोचते होंगे कि आजकल बाजारों में बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाएं मिलती है जिन्हें खाकर बुद्धि  बढाई जा सकती है मगर ऐसा नहीं है..अन्यथा सभी बुद्धि मान होने लगते हैं. माना जा सकता है कि कुछ बच्चे ख़ास अवश्य होते हैं लेकिन सभी नहीं. हमारे धर्म ग्रथों और शास्त्रों में बुद्धि को तीक्ष्ण करने की जो विधि है वो एक  मात्र वीर्य का संचय ही है. आप चाहें तो इसे करके देख सकते हैं ..जो व्यक्ति हफ्ते में शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं वो बस एक दो महीने सम्बन्ध ना बनाकर देखें फिर आप देखिएगा कि आप अपने भीतर काफी उर्जा और उत्साह महसूस करेंगे. बाद में वही आपकी बुद्धि में परिवर्तित हो जाती है.            


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