गरुड़ पुराण (Garud Puran) एक मार्ग दर्शन एवं शिक्षा है उन व्यक्तियों के लिए जो मरणासन्न अवस्था में है. ये एक महा ज्ञान है उन मनुष्यों के लिए जो अपना सम्पूर्ण जीवन जी चुके और अब वे इस लोक से परलोक में गमन करने वाले हैं. उन व्यक्तियों का जो मरणोपरांत अवस्था में हैं उनका उद्धार कैसे हो, क्या करें कि उनकी आत्माएँ को कष्ट ना हो, कौन सा मार्ग अपनाएं कि वो बिना कोई कष्ट सहे मोक्ष को प्राप्त कर जाएँ. इस Garud Puran में मृत्यु के पश्चात सभी कर्मकांडों और संस्कारों को बताया गया है. इस पुराण में औध्वैदिहिक संस्कार, पिण्डदान, श्राद्ध, सपिण्डीकरण, कर्मविलाप तथा पापों के प्रयाश्चित के विधान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है. इस पुराण के पठन-पाठन से व्यक्ति अपने पुरुषार्थ को समझ पाता है. गरुड़ पुराण का पाठ श्रोता को मृत्यु के पूर्व और मृत्यु के पश्चात भी उस स्थान पर बैठकर सुनाना चाहिए इससे जीव को हमेशा अपने वचन और कर्मों का ज्ञान बना रहता है और वो हर प्रकार से पाप से बचा रहता है.
गरुड़ पुराण की महिमा कथा एवं कहानी सूची
Story list of Garud Puran
1. भगवान विष्णु की महिमा एवं उनके अवतारों का वर्णन
2. विष्णु द्वारा गरुड़ को पुराण संहिता के प्रणयन का वरदान
3.गरुड़ पुराण के प्रतिपाद्ध विषयों का निरुपण
4.सृष्टी का वर्णन
5.ध्रुववंश तथा प्रजापति की साठ कान्याओं की संततियों का वर्णन
6.देवपूजा -विधान विष्णु पूजा उपयोगी वज्रनाभमंडल, विष्णु दीक्षा तथा लक्ष्मी-पूजा
7.नवव्यूहहार्चनाविधि ,पूजानुक्रम-निरूपण
8.पूजानुक्रम-निरूपण
9.विष्णुपञ्च स्त्रोत
10.ध्यान योग का वर्णन
11.विष्णुसहस्त्र नाम
12.भगवान विष्णु का ध्यान एवं सूर्य अर्चना विधि
13.मृतुन्जय-मंत्र जप की महिमा
14.सर्पों के विष हरने के उपाय तथा दुष्ट उपद्रवों को दूर करने का मंत्र
15.ध्यान योग का वर्णन
16.पञ्चवक्त्र -पूजन तथा शिवार्चन विधि
17.भगवती त्रिपुरा तथा गणेश आदि देवों की पूजा विधि
18. सर्पों एवं अन्य विषैले जीव जंतुओं के विष को दूर करने का मंत्र
19.श्रीगोपाल जी की पूजा त्रैलोक्य मोहन-मंत्र तथा श्रीधर-पूजन विधि
20.पंचतत्व अर्चना विधि
21.सुदर्शन चक्र -पूजा विधि
22.भगवान हयग्रीव के पूजन की विधि
23.गायत्रीन्यास तथा संध्या -विधि
24.देवी दुर्गा स्वरुप, सूर्य ध्यान तथा महेश्वरी पूजन विधि
25.शिव के पवित्र रोपण की विधि
26.विष्णु के पवित्र रोपण की विधि
27.ब्रह्ममूर्ती के ध्यान का निरूपण
28.विविध शालग्राम शिलाओं के लक्ष्ण
29.वास्तु मंडल पूजा विधि
30 प्रसाद लक्ष्ण
31.देव प्रतिष्ठा की सामान्य विधि
32.वर्ण एवं आश्रम धर्मों का निरुपण
33.संध्या उपासना, तर्पण ,देवराधन आदि नित्य कर्मों तथा आशौच का निरूपण
34.धान धर्म का निरूपण एवं विभिन्न देवताओं की उपासना
35 .प्रायश्चित निरुपण
36.नव निधियों के लक्षणों से युक्त पुरुष के ऐश्वर्य एवं स्वाभाव का वर्णन
37.भुवन कोष वर्णन में राजा प्रियव्रत के वंश का निरुपण
38.भारत वर्ष का वर्णन
39.प्लक्ष तथा पुष्कर आदि द्वीपों एवं पाताल आदि का वर्णन
40.भुवन कोष वर्णन में सूर्य तथा चन्द्र आदि नौ ग्रहों के रथों का विवरण
41.ज्योतिष चक्र में वर्णित नक्षत्र, उनके देवता एवं कतपय शुभ -अशुभ योगों तथा मुह्रतों का वर्णन
42.ग्रहदशा यात्रा शकुन, छीकने का फल तथा सूर्य चक्र आदि का निरूपण
43.ग्रहों के शुभ एवं अशुभ स्थान तथा उनके अनुसार शुभा शुभ फल का संक्षिप्त विवेचन
44.लग्न,फल , राशियों के चर- स्थिर आदि भेद,ग्रहों का स्वाभाव तथा सात वारों में किये जाने वाले योग्य प्रशस्त कार्य
45.सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार स्त्री पुरुष के शुभाशुभ लक्षण, मस्तक एवं हस्तरेखा से आयु का परिज्ञान
46.स्त्रियों के शुभाशुभ लक्ष्ण
47.स्त्रियों एवं पुरुषों के शुभाशुभ लक्ष्ण
48.चक्रांकित शालिग्राम शिलाओं के विविध नाम, तीर्थ का महत्व तथा साठ संवत्सरों के नाम
49.स्वरोदय -विज्ञान
50.रत्नों के प्रादुर्भाव का वर्णन तथा वज्र ( हीरे ) की परीक्षा
51.मुक्त के विविध , भेद लक्ष्ण परिक्षण -विधि
52.पद्मराग के विविध लक्षण एवं उसकी परीक्षा -विधि
53.मरकतमणि का लक्षण तथा उसकी परीक्षा -विधि
54 .इंद्रनील मणि का लक्षण तथा उसकी परीक्षा विधि
55.वैदूर्यमणि परीक्षा -विधि
56.पुष्पराग मणि
57.कर्केतनमणि
58.भीष्मकमणि
59.पुलकमणि
60.रूधिराक्ष रत्न
61.स्फटिक -परीक्षा
62.विद्रू मणि की परीक्षा
63 गंगा आदि विविध तीर्थों की महिमा
64.गया का महत्व गया क्षेत्र के तीर्थों में श्राद्ध आदि करने का फल
65. गया के तीर्थों का महत्व तथा गयाशीर्ष में पिंडदान की महिमा में विशाल की कथा
66.गया तीर्थ में पिंडदान की महिमा
67.गया के तीर्थों की महिमा तथा आदिगदाधर का महत्व
68.चौदह मन्वन्तरों का वर्णन तथा अठारह विधाओं के नाम
69.प्रजापति रूचि और उनके पितरों के संवाद
70 रुची द्वारा की गयी पितृस्तुति तथा श्राद्ध में इस पितृस्तुति के पाठ का महत्व
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