१५. देवताओंका तारकासुर और उनकी सेनाके साथ संग्राम तथा कुमार कार्तिकेयद्वारा तारकासुरका वध ७० १६. यमराजके द्वारा भगवान् शिवकी स्तुति तथा
वरदान तथा महाराज श्वेतका चरित्र, १८. शिवरात्रि व्रतकी महिमा.
हिंदी स्कन्द पुराण की सम्पूर्ण कथा सूची . ( Hindi Skanda puran stories )
Skanda puran in hindi stories & pages numbers.
विषय
(१) माहेश्वरखण्ड (केदारखण्ड)
१. भगवान् शिवकी महिमा, दक्षका शिवजीसे द्वेष तथा दक्ष यज्ञमें सतीका गमन,
२. सतीका अग्नि प्रवेश, दक्षयज्ञविध्वंस तथा दक्षपर पुनः भगवान् शिवकी कृपा ३. शिवपूजनकी महिमा
१२
४. शिवलिंग पूजनको महिमा तथा रावणके उत्कर्ष
और पतनका वृत्तान्त. १५. गुरुकी अवहेलनासे इन्द्रकी दैत्योंद्वारा पराजय, समुद्र मन्चन, शंकरजीकी कृपासे कालकूट विषसे। सबकी रक्षा, विविध रत्नोंका प्राकट्य तथा लक्ष्मीजीका प्रादुर्भाव
६. अमृतको उत्पत्ति, भगवान्का मोहिनीरूपद्वारा देवताओंको अमृत पिलाना, शिवके द्वारा राहुसे चन्द्रमाको रक्षा तथा शिवके लिये दीपदान, रुद्राक्षधारण और विभूतिधारणका माहात्म्य. २४
७. इन्द्रकी विजय, इन्द्रद्वारा विश्वरूपका वध, नहुषका स्वर्गसे पतन, ब्रह्महत्यासे इन्द्रकी मुक्ति तथा पुनः राज्यकी प्राप्ति.
२७
८. विश्वकर्माके तपसे वृत्रासुरकी उत्पत्ति तथा दधीचिद्वारा देवताओंको अस्थिदान.
३३
९. पिप्पलादका जन्म, सुवर्चाका पतिलोकगमन, देवासुर संग्राममें नमुचिका वध, प्रदोष व्रतकी विधि और उद्यापन, इन्द्र और वृत्रासुरका युद्ध तथा इन्द्रकी विजय
३५
१०. बलिके द्वारा देवताओंकी पराजय, अदिति के व्रत-तपस्यासे सन्तुष्ट हो भगवान्का वामनरूपमें अवतार, बलिके पूर्वजन्मका प्रसंग तथा बलिपर वामनजीकी कृपा
४२
११. तारकासुरको ब्रह्माजीका वरदान, हिमालयके घर सतीका पार्वतीरूपमें अवतार, शंकरजीके रोषसे कामदेवका भस्म होना तथा पार्वतीकी उग्र तपस्या.
५१
१२. देवताओंकी प्रार्थनासे भगवान् शिवका पार्वतीजीके पास जाना और उनके प्रेमकी परीक्षा ले उनकी तपस्याको सफल बनाना
५७
१३. सप्तर्षियोंका आगमन, शिवके साथ पार्वतीके विवाहका निश्चय, समस्त देवताओंका शिवकी बारात में आगमन, हिमवान्द्वारा स्वागत तथा मण्डपमें कन्यादानकी तैयारी.
६१
१४. हिमवान्द्वारा कन्यादान, बारातका भोजन और बिदाई, शिवमहिमा तथा कुमारका जन्म ........
६६
शिवके द्वारा यमराजको आत्मज्ञानका उपदेश.
१७. कार्तिकेयजीकी स्तुति और उनके द्वारा पर्वतोंको
(कुमारिकाखण्ड)
१९. पंचाप्सरसतीर्थमें अर्जुनद्वारा अप्सराओंका उद्धार २०. सारस्वत- कात्यायन संवाद- दान और त्यागकी महिमा..
८३
८६
२१. नारदजीके द्वारा धर्मवर्माकि दानसम्बन्धी जटिल प्रश्नोंका समाधान २२. कलाप ग्रामनिवासी सुतनुद्वारा नारदजीके जटिल
९१
प्रश्नोंका समाधान २३. नारदजीके द्वारा कलाप ग्रामके ब्राह्मणोंको महीसागरसंगममें ले आना और वहाँ उन्हें भूमि
९९
आदि देकर पुण्यस्थानको स्थापना करना ..... १०७ २४. लोमशजीका राजा इन्द्रद्युम्नको अपने पूर्वजन्मका चरित्र सुनाकर शिवकी आराधनाका महत्त्व बतलाना
११२ २५. संवर्तके मुखसे महीसागरसंगमकी महिमा तथा भर्तृयज्ञद्वारा शतरुद्रिय सुनकर शिवकी आराधनासे इन्द्रद्युम्न आदि सब भक्तोंको शिवसारूप्यकी प्राप्ति.....
११५
२६. कुमारका अनुताप, भगवान् विष्णुका उन्हें समझाना
तथा उनकी सम्मतिसे स्कन्दद्वारा तीन शिवलिंगोंकी स्थापना और भगवान् शिवका वरदान... . १२२
२७. कुमारका विजयस्तम्भ, प्रलम्ब दानवका वध
तथा भूगोलका वर्णन १३० २८. नवग्रहों की स्थिति, ऊपरके सात लोकोंका वर्णन, वायुके सात स्कन्ध, सात पाताल, इक्कीस नरक,
ब्रह्माण्डकटाह एवं काल-मान आदिका निरूपण १३५ २९. राजा शतभृंगकी पुत्री कुमारीका चरित्र तथा कुमारीखण्डकी श्रेष्ठता.
३०. कालभीतिकी तपस्या तथा धर्मनिष्ठा, महाकालका प्रादुर्भाव और कालभीतिपर भगवान् शङ्करको कृपा.
१४५
३१. महाकालद्वारा करन्धमके प्रश्नानुसार श्राद्ध तथा युगव्यवस्थाका वर्णन...
१५०
३२. त्रिदेवोंकी श्रेष्ठता और पापोंके भेद ३३. शिवपूजाकी विधि तथा सदाचारका निरूपण.. १६१ १५६
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पृष्ठ संख्या
विषय
पृष्ठ संख्या
३४. नारदजीके द्वारा भगवान् वासुदेवको स्थापना, ऐतरेयका अपनी मातासे संसारदुःखका वर्णन, भगवानका प्रत्यक्ष प्रकट होकर ऐतरेयको वरदान
३५. भट्टादित्यको देना तथा वासुदेवके ध्यानसे ऐतरेयकी मुक्ति... १६६ स्थापना तथा नारदजीके द्वारा एक 'सौ आठ नामोंसे उनकी स्तुति,
३६. महात्मा नन्दभद्रके सारभूत विचार तथा उनके ३७. नन्दभद्र और बालकका संवाद, बालादित्यकी द्वारा सत्यव्रतके नास्तिकतापूर्ण विचारोंका खण्डन १८१
१८७ परिचय. स्थापना और नन्दभद्रकी मुक्ति ३८. महोसागरसंगमतीर्थकी रक्षा करनेवाली देवियोंका १९२
जन्म... ५७. वेंकटाचलनिवासी श्रीहरि और पद्मावतीका विवाह २६८ ५८. तोण्डमानको निषादके साथ भगवान् श्रीनिवासका दर्शन होना २७६
३९. उभय सोमनाथके प्रादुर्भाविकी कथा और कमठके द्वारा गर्भवास तथा मानव शरीरकी उत्पत्तिका
२८० ६०. राजा परीक्षित्को ब्राह्मणका शाप, तक्षकके काटने से उनकी मृत्यु तथा उनकी रक्षा न करनेके पापसे कर्लोकित काश्यप ब्राह्मणका स्वामिपुष्करिणीमें स्नान करके शुद्ध होना.
गमन १९४ ५९. वाराहभगवान् तथा अस्थिसरोवरतीर्थकी महिमा, भक्त कुम्हार तथा राजा तोण्डमानका परमधाम-
२०७ ४३. महीसागरसंगमकी श्रेष्ठता तथा उसके गुप्तक्षेत्र होनेका कारण..
[4]
विषय
(२) वैष्णवखण्ड (भूमिवाराहखण्ड या वेंकटाचल-माहात्म्य) ५४. मेरुगिरिपर भगवान् वाराहकी सेवामें पृथ्वीदेवीका उपस्थित होना और श्रेष्ठ पर्वतों तथा वेंकटाचलवतों
२६१ तीर्थोंका माहात्म्य सुनना १७९ ५५. भगवान् वाराहका मन्त्र, उसके जपकी विधि, ध्यान तथा उसके अनुष्ठानका फल.. २६५
५६. महर्षि अगस्त्यकी प्रार्थनासे भगवान् विष्णुका वेंकटाचलपर श्री-भू देवियोंकि साथ निवास तथा आकाशराजके यहाँ पद्मावती और वसुदानका
२६६
वर्णन: ४०. कमठद्वारा शरीरकी उत्पत्ति, विनाश तथा जीवके परलोकवासका वर्णन १९८
४९. पापकर्मोंके फल, जयादित्यको स्तुति और महिमा २०२ ४२. नारदजीके गुणों का वर्णन तथा गौतमेश्वरको महिमाके प्रसंग में योगका निरूपण..
२८४
२१७ ६१. स्वामितीर्थकी महिमा और उसमें स्नान करनेसे २१९ राजा धर्मगुप्तके शापजनित उन्मादका निवारण. २८७ ६२. कृष्णतीर्थ और भगवान् वेंकटेश्वरका माहात्म्य. २९०
४४. घटोत्कचका विवाह और बर्बरीकका जन्म. ४५. बर्बरीक और विजयकी गुप्तक्षेत्र में साधना तथा
पाण्डवोंसे बर्बरीककी भेंट. ४६. बर्बरीकका वध तथा उसके पूर्वजन्मके वृत्तान्तका
६३. पापनाशनतीर्थको महिमा भद्रमति ब्राह्मणका चरित्र. २९२
वर्णन और ग्रन्थका उपसंहार... (अरुणाचल माहात्म्यखण्ड) ४७. भगवान् शंकरका अरुणाचल' रूपसे प्रकट होना
२३३
६४. आकाशगंगातीर्थकी महिमा रामानुजपर भगवान्को कृपा तथा भगवद्भक्तोंका लक्षण. ६५. दान पात्र-विचार, चक्रतीर्थकी महिमा, पद्मनाभको तथा ब्रह्मा और विष्णुका उनकी स्तुति करना २३८ तपस्या, भगवान्का वरदान तथा राक्षसके आक्रमणसे
२९५
४८. शिवके विभिन्न तीर्थोंकी महिमा
२४० चक्रद्वारा पद्मनाभकी रक्षा.
. २९७
४९. अरुणाचल क्षेत्रकी महिमा, विभिन्न पापोंके फल और उन पापकर्मीका प्रायश्चित्त.
६६. सुन्दर गन्धर्वका वसिष्ठजीके शापसे राक्षसभावको प्राप्त होकर पुनः उससे मुक्त होना.. ३००
२४४
५०. अरुणाचलेश्वरकी पूजा, शिवजीके द्वारा सृष्टिका प्रादुर्भाव तथा विष्णुके द्वारा भगवान् शंकरको स्तुति
६७. घोणतीर्थका माहात्म्य- गन्धर्वपत्नीका उद्धार....... .३०१ ६८. वेंकटाचलके मुख्य तीर्थोका वर्णन, पुराणश्रवणको
२४७ महिमा और नियम तथा अर्जुनको तीर्थयात्रा... ३०३ ५१. शिव-पार्वतीके दाम्पत्यजीवनकी एक झाँकी, ६९. अर्जुनका कालहस्तीश्वर के समीप भरद्वाजके आश्रमपर जाना और भरद्वाजजीके द्वारा अगस्त्यजीके प्रभावका वर्णन. ३०६
पार्वतीकी अरुणाचलक्षेत्रमें तपस्या और दुर्गादेवीके द्वारा शुम्भ, निशुम्भ और महिषासुरका वध... २४८ ५२. खड्गतीर्थकी उत्पत्ति, ज्योतिदर्शन, पार्वतीपर
७०. महर्षि अगस्त्यको तपस्यासे सुवर्णमुखरी नदीका प्रादुर्भाव और उसका माहात्म्य.
अरुणाचलेश्वरकी कृपा तथा भगवान् शिवका वरदान २५३ ५३. कान्तिशाली तथा कलाघरका उद्धार राजा वज्रांगदद्वारा अरुणाचलेश्वरकी आराधना तथा भगवान् शिवकी उनके ऊपर कृपा
७१. सुवर्णमुखरी नदीके तीर्थोंका वर्णन, भगवान् विष्णुकी महिमा, प्रलयकालको स्थिति तथा श्वेतवाराहरूपमें भगवान्का प्राकट्य.
२५५
३०८
३११
[]
पृष्ठ संख्या
विषय
पृष्ठ संख्या
३६८
३७३
1450
1945
३७६
25
विषय ७२. वेंकटाचलपर राजा शंख और महर्षि अगस्त्य आदिको भगवानका प्रत्यक्ष दर्शन तथा वरप्राप्ति. ३१५.
८९. समुद्रमें स्नानको विधि और भगवद्विग्रहों का वर्णन... ९०. इन्द्रद्युम्न-सरोवरमें स्नान, नृसिंहजीका दर्शन-पूजन तथा भगवद्विग्रहोंके ज्येष्ठ-स्नानका वर्णन.... ३७६
७३. आकाशगंगातीर्थमें अंजनाकी तपस्या और उसे
९१. श्रीजगन्नाथजोकी रथयात्रा, गुण्डिचा महोत्सव
३१८
वायुदेवद्वारा वरदानको प्राप्ति. (उत्कलखण्ड या पुरुषोत्तमक्षेत्र माहात्म्य) ७४. भगवान् विष्णुका ब्रह्माजीको पुरुषोत्तम क्षेत्रमें जानेका आदेश
तथा पुनः मन्दिरप्रवेश सम्बन्धी यात्रा एवं
उत्सवको महिमा. ९२. पुरुषोत्तमक्षेत्रमें चातुर्मास्यकी महिमा, राजा श्वेतपर
३२०
७५. यमराज तथा मार्कण्डेयजीके द्वारा भगवान्की स्तुति और पुरुषोत्तमक्षेत्रको महिमा. ७६. पुरुषोत्तमक्षेत्र के विभिन्न तीर्थों और देवताओंका परिचय, तीर्थ और भगवान्की महिमा तथा पापपरायण। ९४. पुष्यस्नानोत्सव, उत्तरायणोत्सव तथा दोलारोहण-
भगवत्कृपा तथा भगवत्प्रसादका माहात्म्य ३२२ ९३. भगवान् पुरुषोत्तमके पार्श्व परिवर्तन, उत्थापन और प्रावरण आदि उत्सवोंका महत्त्व.
पुण्डरीक और अम्बरीषका उस क्षेत्रमें आना... ७७. पुण्डरीक और अम्बरीषद्वारा भगवान्की स्तुति तथा पुरुषोत्तमक्षेत्रमें रहकर भजन करनेसे उनको
३२६ उत्सवका वर्णन
९५. भगवान्की द्वादशादित्य मूर्तियोंकी उपासना, दक्षके द्वारा भगवान्की आराधना और वर- प्राप्ति तथा विभिन्न विभूतियोंके रूपमें भगवान्की उपासनाका फल.....
मुक्तिका वर्णन. ७८. उत्कलदेशके भव्य रूपका परिचय, राजा इन्द्रद्युम्नका एक तीर्थयात्री से पुरुषोत्तमक्षेत्रकी महिमा सुनकर पुरोहितके भाईको वहाँ भेजना और उनका नीलाचलके
३२८
1951
1953
३८२
26
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27
5643
124
1012
३८७
2009
34
31
721
158
136
१९६. राजा इन्द्रद्युम्नका ब्रह्मलोकगमन, पुराणश्रवणकी विधि और ग्रन्थका उपसंहार
३८९
(बदरिकाश्रम-माहात्म्य) ९७. सब तीर्थोंका संक्षिप्त माहात्म्य तथा वदरीक्षेत्रकी
३३१ समीप शवरसे वार्तालाप, ७९. विद्यापतिका शवरके साथ नीलमाधवका दर्शन करके तीर्थकी परिक्रमा करना और अवन्तीमें
३९२
विस्तृत महिमाका उपक्रम .३३५ ९८. बदरीक्षेत्रकी महिमा अग्निदेवके सर्वभक्षणरूप दोषका निवारण
जाकर राजा इन्द्रद्युम्नको सब समाचार सुनाना
३९३
८०. भगवान् जगन्नाथके नीलमणिमय विग्रहका वर्णन,
इन्द्रद्युम्नके पास नारदजोका आगमन और भक्ति एवं भक्तके स्वरूपका विवेचन ३३९ ८१. राजा इन्द्रद्युम्नका पुरुषोत्तमक्षेत्रको प्रस्थान और
९९. बदरीक्षेत्रकी पाँच शिलाओंमेंसे नारदशिला और मार्कण्डेयशिलाका माहात्म्य.
३९५
१००. गरुड़शिला, वाराहीशिला और नारसिंही- शिलाकी उत्पत्ति और महिमा.
महानदी के तटपर विश्राम. २४४ ८२. राजाका एकाप्रक्षेत्र (भुवनेश्वर) में जाकर भगवान् १०१. बदरीक्षेत्र और वहाँ भगवान्के प्रसाद ग्रहणकी
३९७
शिवका पूजन करना और भगवान् शिवका नारदजीसे उनके कर्तव्यकार्योंका संकेत करना, ३४७ ८३. राजा इन्द्रद्युम्नका नारदजीके साथ नृसिंहजी, कल्पवट १०३. पंचतीर्थ, सोमतीर्थ, द्वादशादित्यतीर्थ, चतुःस्त्रोततीर्थ,
विशेष महिमा १०२. कपालतीर्थ, ब्रह्मतीर्थ और वसुधारातीर्थकी महिमा....
४००
४०१
तथा नीलमाधव के स्थानका दर्शन करना और
सत्यपदतीर्थ तथा नरनारायणाश्रमकी महिमा ४०४ ३४९ १०४. मेरुतीर्थ, लोकपालतीर्थ, दण्डपुष्करिणी, गंगासंगम तथा धर्मक्षेत्र आदिका माहात्म्य और ग्रन्थका उपसंहार
आकाशवाणी सुनना. ८४. देवर्षि नारदजीके द्वारा भगवान् नृसिंहकी स्थापना और राजा इन्द्रद्युम्नके द्वारा उनका स्तवन ......... ३५१
८५. इन्द्रद्युम्नके द्वारा सहस्त्र अश्वमेध यज्ञोंका अनुष्ठान और ध्यानमें भगवान्का दर्शन. ८६. अश्वमेधको पूर्ति, आकाशवाणी, भगवान्की काष्ठमयी
४०५
(कार्तिकमास माहात्म्य ) १०५. कार्तिकमासकी श्रेष्ठता तथा उसमें करनेयोग्य
३५३
प्रतिमाका निर्माण, संस्कार तथा स्तवन. ३५६ ८७. देवताओं तथा ब्रह्माजीके द्वारा भगवद्विग्रहोंका
स्नान, दान, भगवत्पूजन आदि धर्मोका महत्त्व.. ४०८
१०६. विभिन्न देवताओंके सन्तोषके लिये कार्तिकस्नानकी विधि तथा स्नानके लिये श्रेष्ठ तीथका वर्णन... १०७. कार्तिकव्रत करनेवाले मनुष्यके लिये पालनीय ४१०
स्तवन और उनकी स्थापना ८८. ब्रह्माजीके द्वारा भगवत्स्वरूपकी एकताका प्रतिपादन
. ३५९
तथा भगवान्का राजा इन्द्रद्युम्नको अपनी सेवाका आदेश देना.
नियम १०८. कार्तिकव्रतसे एक पतित ब्राह्मणीका उद्धार तथा ४१३ ३६६ दीपदान एवं आकाशदीपकी महिमा.
४१६
189
पृष्ठ संख्या
विषय
४६४ १२९. यमुना और श्रीकृष्णपत्नियोंका संवाद, कीर्तनोत्सवमें ४१८ उद्धवजीका प्रकट होना..
पृष्ठ संख्या
१०९ कार्तिकमें तुलसीवृक्षके आरोपण और पूजन आदिको महिमा
११०. अयोदशोसे लेकर दीपावलीतकके उत्सव- कृत्यका वर्णन. १११. कार्तिकशुक्ल प्रतिपदा और यमद्वितीयाके कृत्य
४७० ४६७ श्रोताओंको भगवद्धामकी प्राप्ति. १३१. श्रीमद्भागवतका स्वरूप, प्रमाण, श्रोता-वक्ताके लक्षण, श्रवणविधि और माहात्म्य.
४७४
११२. वृक्षकी उत्पत्ति और उसका माहात्म्य, ११३. गुणवतीका कार्तिकव्रतके पुण्यसे सत्यभामाके रूपमें अवतार तथा भगवान् के द्वारा शंखासुरका
४२५ तथा बहिनके घरमें भोजनका महत्त्व........... ४२३
४८४ ४३६ १३६. ब्रह्माजीका यमराजको समझाना और भगवान् विष्णुका उन्हें वैशाखमासमें भाग दिलाना...... १३७. भगवत्कथाके श्रवण और कीर्तनका महत्त्व तथा वैशाखमासके धर्मोके अनुष्ठानसे राजा…
[2]
पृष्ठ संख्य
विषय
पृष्ठ संख्या
१६९, कपितीर्थकी महिमा उसमें स्नान करनेसे रम्भा और घृताचीका शापसे उद्धार ५१४ १७०, रामेश्वर नामक महालिंगकी महिमा,
विषय
१४८. धर्महरिकी स्थापना और स्वर्णखनि तीर्थ, रघुका सर्वस्व दान तथा कौत्सकी याचनाको १४९. सम्भेदतीर्थ, सीताकुण्ड, गुप्तहरि और चक्रहरि सफल करना
५१७
५७५
1952
28
५९४
27
564.5
291
124
| १७१. भगवान् श्रीरामके द्वारा राक्षसोंसहित रावणका वध और सेतुके क्षेत्रमें रामेश्वरलिंगको स्थापना ५७६ | १७२. श्रीरामचन्द्रजीके द्वारा हनुमान्जीको ज्ञानोपदेश ।
तीर्थकी महिमा.
१५०. गोप्रतारतीर्थकी महिमा और श्रीरामके परमधाम- गमनको कथा
५२० १७३. हनुमानजीद्वारा भगवान् श्रीराम और सीताका स्तवन तथा अपने लाये हुए शिवलिंगका स्थापन ५८६ ५.२३ १७४, भगवान् रामेश्वरके प्रभावसे राजा शंकरका ब्रह्महत्या और स्त्रीहत्याके पापसे उद्धार...
१५१. क्षीरोदकतीर्थ, बृहस्पतिकुण्ड, रुक्मिणी आदि
कुण्डों का माहात्म्य. १५२. अयोध्याक्षेत्र के अन्य विविध तीथका वर्णन तथा वसिष्ठके मुखसे विभीषण आदिका
| १७५. राजा पुण्यनिधिके यहाँ महालक्ष्मीका पुत्रीके रूपमें निवास एवं सेतुमाधवको महिमा
अयोध्या-माहात्म्य-श्रवण ५२५ १५३. गयाकूप आदि अनेक तीर्थोंका माहात्म्य तथा ग्रन्थका उपसंहार
१७६. सेतुतीर्थको यात्राका क्रम. १७७. सेतुतीर्थका माहात्म्य तथा इस खण्डका उपसंहार ५९६ (धर्मारण्य-माहात्म्य )
५२७
(३) ब्राह्मखण्ड (सेतु-माहात्म्य)
| १७८. धर्मकी तपस्यासे धर्मारण्यक्षेत्रकी प्रसिद्धि और उसका माहात्म्य १७९. सदाचार- शौच, स्नान, सन्ध्या, तर्पण,
१५४. सेतुतीर्थ (रामेश्वरक्षेत्र) की महिमा. १५५. सेतुबन्धकी कथा तथा सेतुमें स्थित मुख्य मुख्य तीर्थोके नाम,
५३०
५३२
बलिवैश्वदेव आदिका महत्त्व १८०. वेदोंके स्वाध्याय, बलिवैश्वदेव, अतिथिसेवा, आठ प्रकारके विवाह, पंचयज्ञ तथा व्यावहारिक शिष्टाचारोंका कथन
१५६. चक्रतीर्थका माहात्म्य- गालवमुनि तथा धर्मकी तपस्याका वर्णन.
५३५
१५७. सेतुबन्धन आरम्भ करनेकी बात तथा सेतुयात्राका क्रम एवं विधान.. १५८. सीतासरोवर और मंगलतीर्थका माहात्म्य, राजा
५३९
१८१. पतिव्रता स्त्रियोंके बर्ताव, धर्म और नियम तथा श्राद्ध और धर्मारण्यका महत्त्व. ६१२
५४० १८२. धर्मारण्यवासी ब्राह्मणोंके गोत्र तथा उनकी रक्षाके लिये कामधेनुद्वारा वैश्योंकी उत्पत्ति ६१७
092
६०२
30
31
28
मनोजवकी कथा. १५९. एकान्तरामनाथ, ब्रह्मकुण्ड, हनुमत्कुण्ड और
६२१ ५४४ १८३. लोलजिह्वाक्षका वध, गणेशजीकी उत्पत्ति और देवताओंद्वारा उनका स्तवन ६२३
अगस्त्यतीर्थका माहात्म्य. १६०. रामतीर्थ, लक्ष्मणतीर्थ और जटातीर्थकी महिमा ५४६
१६२. लक्ष्मीतीर्थ और अग्नितीर्थका माहात्म्य-पिशाच- १८४. संज्ञाकी तपस्या, अश्विनीकुमारोंका जन्म तथा
योनिको प्राप्त हुए दुष्पण्यका उद्धार.
५४८
वकुलादित्यकी स्थापना ६२६ १६२. चक्रतीर्थ, शिवतीर्थ, शंखतीर्थ और यमुना, गंगा १८५. इन्द्रेश्वरकी स्थापना और उनकी महिमा, देवमज्जनक तड़ागका माहात्म्य तथा लोहासुरके अत्याचारसे धर्मारण्यकी जनताका पलायन ..... १६३. कोटितीर्थकी महिमा भगवान् श्रीकृष्णका अवतार, १८६. सरस्वती नदी द्वारकातीर्थ एवं गोवत्स आदि ५५४ तौंकी महिमा,
एवं गयातीर्थकी महिमा - राजा जानश्रुतिको रैक्वके उपदेशसे ब्रह्मभावकी प्राप्ति..
५५१
६२७
कंसवध तथा श्रीकृष्णका कोटितीर्थमें स्नान .. १६४. सर्वतीर्थ तथा धनुष्कोटि तीर्थोंकी महिमा......
६२९
५५८
१८७. संक्षेपसे श्रीरामचन्द्रजीके सम्पूर्ण चरित्रका वर्णन ६३१ १८८. वसिष्ठजी द्वारा भिन्न-भिन्न तीर्थोौकी महिमाका वर्णन, श्रीरामको धर्मारण्य-यात्रा, वहाँके भगे हुए ब्राह्मणोंको पुनः लाकर बसाना और
१६५. अश्वत्थामाके द्वारा सोते हुए पाण्डव-योद्धाओंका वध तथा धनुष्कोटिमें स्नान करनेसे उसका उद्धार.
५६१ १६६. धनुष्कोटिमें स्नान करनेसे परावसुका पापसे उद्धार.. ५६४ १६७. धनुष्कोटिकी महिमा सिवार, वानर तथा दुराचार ब्राह्मणकी कथा और महालय श्राद्धकी आवश्यकता
सत्यमन्दिरकी स्थापना करना. १८९. रामनामकी महिमा कलियुगका प्रभाव तथा
धर्मारण्यक्षेत्रके माहात्म्य श्रवणका फल. (चातुर्मास्य माहात्म्य)
५६६ १६८. क्षीरकुण्डको उत्पत्ति और महिमा - महर्षि मुद्गतको भगवान् विष्णुका दर्शन ५७०
| १९०. चातुर्मास्य व्रतका माहात्म्य, संयम-नियम, दया-धर्म तथा चौमासेमें अन्न आदि दानोंकी महिमा... ६४६
(६३६
६४४
[९]
पृष्ठ संख्या
विषय
७०६
पृष्ठ-संख्या
१९१. चातुर्मास्यमें इष्ट वस्तुके परित्याग तथा नियम- पालनका महत्त्व १९२. चातुमस्थिमें विशेष विशेष तप और भगवान्को
७०७
भेदोंका वर्णन. १९३. ब्रह्माजीक द्वारा मानसी और शारीरिक सृष्टिका प्रादुर्भाव, चारों वर्णोंके धर्म तथा शुद्र जातियोंके
विषय
२०९. भद्रायु तथा कीर्तिमालिनीके भक्तिभावकी परीक्षा ६४९ लेकर भगवान् शिवका उन्हें वरदान देना..... ७०३ २१०. भस्मकी महिमासे ब्रह्मराक्षसका उद्धार
षोडशोपचार पूजाका क्रम
६५१ २११. भस्मकी महिमा, शबरकी चिताभस्मद्वारा की
हुई पूजासे शिवजीकी प्रसन्नता और उसकी जली हुई पत्नीका पुनः जीवित होना ६५४ २१२. उमामहेश्वरव्रतकी महिमा, इसके पालनसे शारदाको शिवलोककी प्राप्ति तथा सत्कथाश्रवणका माहात्म्य और ब्राह्मखण्डकी समाप्ति ....... ७१०
१९४, पैजवन शूद्र और महर्षि गालवका संवाद तथा 'शालग्राम शिलाके पूजनका महत्त्व. १९५. सतीका देहत्याग, पार्वतीविवाह, भगवान् "शिक्का हरिहररूपमें प्राकट्य और शालग्राम-
६५६.
(४) काशीखण्ड (पूर्वार्ध) २१३. मेरुगिरिसे स्पर्धा करके विन्ध्याचलका सूर्यके मार्गको रोकना और ब्रह्माजीके आदेशसे देवताओंका काशीमें अगस्त्य मुनिके समीप जाना.
शिलाका महत्त्व.. १९६. शालग्राम-पूजन, द्वादशाक्षर मन्त्र एवं राम- नामकी महिमा.
६५८
७१७
६६१ २१४. बृहस्पतिजीके मुखसे लोपामुद्राके पातिव्रत-
धर्मका वर्णन २१५. अगस्त्यजीका काशीपुरीसे प्रस्थान, विन्ध्यपर्वतको लघुरूपमें रहनेका आदेश और महालक्ष्मीकी स्तुति.
७२१
१९७. भगवान् शिवका नर्मदेश्वर शिवलिंगरूप होना तथा गालव शूद्र संवादका उपसंहार. १९८. महादेवजीके द्वारा पार्वतीके प्रति ध्यानयोग एवं
६६३
ज्ञानयोगका निरूपण.
६६५
७२२
१९९. ज्ञानयोग और उसके साधन, स्कन्दस्वामीका सेनापतित्व और कौमारव्रत. (ब्रह्मोत्तरखण्ड)
२१६. मुक्तिदायक तीर्थोका वर्णन तथा मानसतीर्थ एवं काशीकी श्रेष्ठता. २१७. शिवशर्माका सात पुरियोंकी यात्रा करना और
.......
६६६.
७२५
२००. शिवके षडक्षर एवं पंचाक्षर मन्त्रका माहात्म्य, राजा दाशार्ह तथा रानी कलावतीकी कथा.... २०१. शिवरात्रिको शिवपूजनका महत्त्व, राजा मित्रसहका वसिष्ठके शापसे राक्षस होकर ब्राह्मणकी हत्या करना और गौतमजीका उन्हें गोकर्णक्षेत्रकी महिमा सुनाना.....
हरद्वारमें उसका परमधाम गमन, २१८. शिवशर्मा और विष्णुपार्षदोंका संवाद तथा विभिन्न
६६९
लोकोंका वर्णन २१९. शिवशर्माका सूर्यलोकमें पहुँचकर सूर्यदेवकी
७३१
महिमा श्रवण करना. २२०. इन्द्रलोक तथा अग्निलोकका वर्णन, विश्वानर मुनिके द्वारा की हुई आराधनासे प्रसन्न होकर
७३३
६७१
२०२. गोकर्णक्षेत्रमें शिवरात्रिके शिव पूजनके माहात्म्यसे एक चाण्डालीका परमधामगमन.... ..........
६७४
शिवजीका उन्हें वरदान देना. २२१. विश्वानरके पुत्र गृहपतिका भगवान् शिवकी आराधनासे अग्नि एवं दिक्पालका पद प्राप्त करना.
७३६
२०३. शिव पूजाकी महिमाके विषयमें परम शिवभक्त राजा चन्द्रसेन और भक्त श्रीकर गोपकी
अद्भुत कथा. २०४, प्रदेष में शिवपूजनकी अवहेलनासे दोषकी प्राप्तिके प्रसंग में विदर्भराज और उसके पुत्रकी कथा
६७७
७३९ ७४२
२२२. नैर्ऋत्यलोक तथा वरुणलोकका वर्णन २२३. वायु कुबेर, ईशान और चन्द्रमाके लोकोंकी स्थितिका वर्णन
६८०
२०५. प्रदोषव्रतकी विधि इसके पालनसे द्विजकुमार और राजकुमारकी दरिद्रताका निवारण तथा राज्यकी प्राप्ति..
२२४. बुधलोक और शुक्रलोककी स्थिति, बुध और शुक्रके द्वारा भगवान् शिवकी स्तुति और वरदान प्राप्ति ७४६
६८३
२०६. सोमवार व्रतके प्रभावसे सीमन्तिनीको पुनः परम सौभाग्यकी प्राप्ति..
६८८
२२५. मंगल, बृहस्पति और शनिके लोकोंकी स्थिति ७४९ २२६. सप्तर्षिलोक और ध्रुवलोककी स्थिति, ध्रुवकी तपस्या और वरदान प्राप्ति
२०७, त्यागी हुई रानी और राजकुमारको वैश्य एवं शिवयोगीद्वारा रक्षा तथा शिवयोगीका राजपुत्रको धर्मका उपदेश करना..
६९३
२२७. महर्लोक, जनलोक और तपोलोककी स्थिति, ब्रह्माजीके द्वारा सत्यलोकका महत्त्व कथन और भारतवर्ष एवं वहाँके तीर्थोकी महत्ता बताते हुए प्रयाग और काशीकी महिमाका प्रतिपादन.... ७६० ७५१
२०८. शिवयोगी शिव कवचका उपदेश और दिव्य खड्ग एवं शंख पाकर भद्रायुका शत्रुओंको जीतना तथा निषधराजकी पुत्रीसे उसका विवाह...
६९८
७४४
पृष्ठ संख्या
७६३
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1900
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माहात्म्य ७७२ २३९. श्रीगंगाजी महिमा,
८५० उपदेश तथा राजा दिवोदासकी निर्वाण प्राप्ति ८४६ २५४. धर्मनी पंचनद नाम पड़नेका कारण, अग्निविन्दुके द्वारा भगवान् विष्णुकी स्तुति, भगवान्के मुखसे पंचनद एवं विन्दुमाधवतीर्थकी महिमाका निरूपण
23
[१०]
विषय
विषय २२८. और कैसी स्थिति तथा शिव और
२५२. गणेशजीका काशीमें जाना और लोकप्रिय होता, गणेशजीका स्तवन
विष्णुकी अभिन्नता एवं महताका निरूपण
२२९. अगस्त्या श्रीपर कार्तिकेयजी सेवामें जाना और उनके मुखसे काशीको महिमा पण करना २३०. उत्पत्तिकथा, काशी और मणिकर्णिकाका
२५३. भगवान् विष्णुका काशी-गमन, केशव एवं
पादोदकतीर्थकी महिमा, धर्मक्षेत्र में पुण्यकीर्तिका
२३२. श्रीगंगाजी महिमा.
२३३. गंगासहस्त्रनामस्तोत्र..
२३४. शिवकी कृपा के बिना काशीवासको दुर्लभता तथा काशीकी महिमा.
७७३ | २५५. भगवान् विष्णुद्वारा अपने आदिकेशव प्रभृति स्वरूपों का वर्णन तथा अग्निविन्दुको मुक्ति..... ८५३.
२३५. पुरी हरिकेश यक्षको शिवाराधना के पान्यष्टक स्तोत्र द्वारा दण्डपाणिपदकी प्राप्ति और दण्ड- ७९७
७९४ |
२५६. भगवान् शिवका स्वागत या वृषभध्वजतीर्थको महिमा तथा शिक्का काशीपुरीमें प्रवेश.......... २५७, जैगीषव्यपर भगवान् शिवकी कृपा और उनके ८५४
द्वारा शिवको स्तुति २५८. ब्राह्मणो भगवान् शिवका वरदान तथा काशीक्षेत्रकी महिमा ८५९
को कथा, काशीके विविध तीर्थोका वर्णन ८०१ २३६. ईशानके द्वारा ज्ञानोद (ज्ञानवापी) तीर्थका प्राकट्य ज्ञानवापीकी महिमा के प्रसंग सुशीला (कवी)- २३७, ज्ञानवापीको महिमा और उसके सेवनसे माल्यकेतु
२५९ परापरेश्वर और व्याघ्रेश्वर लिङ्गको महिमा, भगवान् शिवद्वारा व्याघ्ररूपधारों दैत्यका वध ८६२
८०४
२६०. हिमवान्के द्वारा काशीमें शैलेश्वर लिंगकी प्रतिष्ठा
5641
(८५७)
200
२६१. रत्नेश्वर लिंगको महिमा. ८०८ २६२. कृतिवासेश्वर लिंगका प्राकट्य और उसकी महिमा,
740
318
और कलावतीको तारक ब्रह्मको प्राप्ति....... २३८. संक्षेप सदाचार और उसके महत्त्वका वर्णन ८०६ २३९, संस्कारोंका संक्षिप्त परिचय ब्रह्मचारी एवं
८६३ ८६५
ब्रह्मचर्य आश्रमके धर्म. २४०. गृहस्थ आश्रमके धर्म, पंचयज्ञको महिमा, काशीवासको महता तथा राजा दिवोदासको पृथ्वोंके राज्यको प्राप्ति..
८६६
२६३. विभिन्न तीर्थोके देवविग्रहोंका काशीमें आगमन और उनका स्थान
८६७
८११
२४१. गृहस्थोचित शिष्टाचार और धर्म, २४२. वानप्रस्थ और संन्यास आश्रमके धर्मका वर्णन,
८१३ २६४. दैत्योंसहित दुर्गमासुरका देवी और उनकी शक्तियोंक साथ युद्ध | २६५. दुर्गदैत्यका वध देवताओंद्वारा देवीकी स्तुति
८७०
योगमार्गका निरूपण
८१८
२४३. मृत्युसूचक चिह्नोंका वर्णन २४४. महाराज दिवोदासके धर्मपूर्ण राज्यका वर्णन.. २४५. भगवान् शिवके आदेश से सूर्यका काशीमें गमन
८२५
और दुर्गानामकी प्रसिद्धि ८२६ २६६. काशीके अट्ठाईस प्रमुख लिंगका संक्षिप्त वर्णन तथा ॐकारेश्वरके प्राकट्यको कथा, ब्रह्माजीके द्वारा ॐकारेश्वरका स्तवन और उनको महिमा
८७२
और निवास तथा लोलार्कतीर्थका माहात्म्य.
८२८
२४६. उत्तरार्क सूर्यकी महिमा, सुलक्षणाकी तपस्या
और उसपर शिव-पार्वतीकी कृपा. २४०, साम्बादित्य द्रौपदादित्य और मयूखादित्यको माहात्म्य-कथा,
८७४
८३०
२६७. त्रिलोचन लिंगकी महिमा....
८७८
८३२
२६९. श्रीधर्मेश्वर लिंगका माहात्म्य, धर्मपीठका गौरव २६८. केदारेश्वर लिंगकी माहात्म्य-कथा.
८८२
२४८, गरुडेश्वरलिंग तथा खखोल्कादित्यको प्रादुर्भाव- कथा, काशीमें गरूड़ और विनताको तपस्या और वरदान प्राप्ति
109
... ८३६
तथा मनोरथतृतीयाव्रतको विधि और महिमा २७०. वारेश्वर लिंगकी महिमाके प्रसंगमें राजा अमित्रजित और मलवगन्धिनीका चरित्र
८८३
काशीखण्ड (उत्तरार्ध) २४९. अरुणादित्य, वृद्धादित्य, केशवादित्य, विमलादित्य,
२७१. वारेश्वरका जन्म, तपस्या, वीरेश्वर लिंगका प्राकट्य और उसकी महिमा ८९१
गंगादित्य तथा यमादित्यको महिमाका वर्णन २५०. ब्रह्माजीका दिवोदासको सहायतासे काशीमें यज्ञ
८३८
२७२. दुर्वासेश्वर (कामेश्वर) लिङ्गकी महिमा. २७३. श्रीविश्वकर्मेश्वर लिंगकी महिमा..... २७४. दक्षेश्वर तथा पार्वतीश्वर लिंगका माहात्म्य. ८९४
करना और दशाश्वमेधतोर्थको महिमा. २५१. पिशाचमोचन तीर्थको महिमा.
८४१ ८४३ २७५. नर्मदेश्वर तथा सतीश्वर लिंगका माहात्म्य.... ८९८
८९७
८८८
८९३
पृष्ठ संख्या
९०० २०६, अमृतेश्वर लिंगकी महिमा तथा व्यासोक्त व्रत एवं धर्मोका निरूपण. २०७, काशीके तीर्थोंका संक्षिप्त वर्णन..
विषय
पृष्ठ संख्या
२७८. भगवान् शिवके मुखसे विश्वेश्वर लिंगकी महिमाका वर्णन... २७९. ९०३ पंचतीर्थी, चतुर्दश आयतन, अष्ट आयतन, शैलेशादि और एकादश आयतनोंकी यात्रा, गौरीयात्रा, गणेश-
यात्रा, अन्तगृहयात्रा तथा विश्वनाथयात्राका वर्णन ९०६
२८०. सनत्कुमारजीके द्वारा महाकालतीर्थकी श्रेष्ठताका निरूपण..
महिमा. २८२. रुद्रभक्तिका निरूपण तथा महाकालक्षेत्रमें निवास
[११]
विषय
२९५. उज्जयिनीपुरीके कनकश्रृंगा आदि नाम पड़नेका कारण २९६. काष्ठा, कला आदि कालमान, युग और कल्पभेद
९३८
९०२
तथा प्रतिकल्प पुरोका माहात्म्य.
९४३
२९७. शिप्राका माहात्म्य, उसके 'ज्वरघ्नी' और
९४४ 'अमृतोद्भवा' आदि नाम पड़नेका कारण....... २९८. जय-विजयको सनकादिका शाप, भगवान्का वाराहावतार, वाराहके हृदयसे शिप्राकी उत्पत्ति तथा उसका माहात्म्य
९४६
(५) आवन्त्यखण्ड (अवन्तीक्षेत्र माहात्म्य)
२९९. क्षातासंगम तथा उसके निकटवर्ती तीर्थोंकी महिमा, राजा युगादिदेवके धर्ममय राज्यकी प्रशंसा.... ९०९ ३००. गयातीर्थकी महिमा, पुरुषोत्तममास और पुरुषोत्तम-
९४८
तीर्थकी महत्ता तथा गोमतीकुण्डका माहात्म्य ९४९
२८९. महाकालवन भगवान् शिवका प्रवेश, कपालमोचन, देवताओंद्वारा स्तवन तथा महापाशुपतव्रतकी
३०१. गंगेश्वर और विश्वेश्वरतीर्थका माहात्म्य, बलिके ९१० द्वारा देवताओंकी पराजय, ब्रह्माजीका देवताओंको विष्णुसहस्रनामस्तोत्रका उपदेश देना.
९५१
करनेवाले मनुष्योंके नियम .................... ९१३ ३०२. भगवान्का वामनरूपसे प्रकट हो बलिसे तीन पग भूमि माँगना और वामन कुण्डकी महिमा ३०३. भैरवतीर्थ और नागतीर्थकी महिमा
२८३. हालाहल दैत्यका वध, रुद्रसरोबरकी महिमा तथा कुशस्थलीमें चार समुद्रोंका आगमन और उसका माहात्म्य.
९६२
९६२
९१५ ३०४. नृसिंहतीर्थकी महिमा ३०५. कुटुम्बेश्वर, देवप्रयाग तथा कर्कराजतीर्थकी
९६३
२८४. शंकरवापी, शंकरादित्य, गन्धवती नदी, हर- सिद्धिदेवी यक्षिणी पिशाचतीर्थ, शिप्रागुप्तेश्वर
महिमा. ३०६. अवन्तीक्षेत्रके महत्त्वपूर्ण तीर्थ, देवता, वहाँकी
९६४
आदि तथा हनुमत्केश्वरकी महिमा.
९१६
२८५. महाकालकी परिक्रमा, यात्रा और विभिन्न देवताओंके दर्शनका माहात्म्य.
यात्राके क्रम एवं माहात्म्यका वर्णन
९६६
९१९
(रेवाखण्ड) ३०७. राजा युधिष्ठिरके पूछनेपर मार्कण्डेयजीके द्वारा पुरूरवाकी तपस्यासे नर्मदाजीके मर्त्यलोकमें
२८६. वाल्मीकिको तपस्या और वाल्मीकेश्वरकी महिमा २८७. शुक्रेश्वर आदिके पूजनकी महिमा, पंचेशानी यात्राका
९२०
माहात्म्य तथा पद्मावती आदिके दर्शनका फल .. २८८. अंकपादतीर्थकी महिमा, श्रीकृष्णके द्वारा मरे
९२२ आगमनका वर्णन.
९७० ९७२
३०८. राजा हिरण्यतेजाके तपसे नर्मदाका अवतरण ३०९. नर्मदाका मर्त्यलोकमें आकर पुरुकुत्सुको अपना पति बनाना तथा नर्मदास्नानकी महिमा
हुए गुरुपुत्रके लाये जानेकी कथा. ९२३
२८९. लकप्रिय गणेश, कुसुमेश्वर, मार्कण्डेयेश्वर,
९७३
ब्रह्माणीदेवी, ब्रह्मेश्वर, यज्ञवापी, रूपकुण्ड, ३१०. नर्मदा तटवर्ती अनन्तपुर एवं व्यासतीर्थकी अनङ्गेश्वर तथा सोमेश्वरका माहात्म्य ....... २९०. नरकोंका संक्षिप्त वर्णन: केदारेश्वर, जटेश्वर, इन्द्रेश्वर, कुण्डेश्वर, गोपेश्वर, आनन्देश्वर तथा रामेश्वरके दर्शन-पूजनका माहात्म्य.
९२६
महिमा ३११. वरांगना - नर्मदासंगम तथा कपिलातीर्थका माहात्म्य, महाराज मनुकी त्रिपुरीयात्रा और नर्मदासे वरदान पाना.
९७५
१९२८
९७६
२९१. सौभाग्य आदि तीर्थोको महिमा, अर्जुनको इन्द्रसे सूर्यप्रतिमाकी प्राप्ति तथा अवन्तीमें उसको स्थापना और उनके दर्शनका माहात्म्य.
३१२. भृगुतीर्थ और भास्करतीर्थका माहात्म्य. ९७९
३१३. सोमतीर्थ, ब्रह्मकुण्ड, ब्रह्मेश्वर लिंग, सिद्धेश्वर लिंग तथा संगमतीर्थकी महिमा..
९२९
९८१
२९२. भगवान् सूर्यकी अष्टोत्तरशत नामद्वारा स्तुति तथा अन्यान्य तीर्थोकी महिमा.. २९३. स्वर्णक्षर आदिको महिमा, अन्धकासुरका युद्ध
३१४. ध्रुवेश्वर, वाराह, चान्द्रायण, द्वादशादित्य तथा गांजालतीर्थकी महिमा, राजा हरिकेशकी शुद्धि ९८२ ३१५. नर्मदा और मत्स्याके संगमका माहात्म्य, महर्षि
९३३
नरदीप एवं शंखोद्धार आदिका माहात्म्य २९४. ॐकारेश्वर आदिका महत्त्व तथा अन्धकासुरको शिवगणोंमें श्रेष्ठ स्थानकी प्राप्ति...
९३४
आपस्तम्बके द्वारा गौओंकी महत्ताका प्रतिपादन तथा तीर्थके प्रभावसे निषादोंका मछलियों- सहित उद्धार
९३६
९८४
[१२]
पृष्ठ-संय ३३७. अमरावतीके दक्षिण विष्णुमन्दिरकी महिमा,
विषय
पृष्ठ संख्या
१०२५ / ३३८, अशोकवनिकातीर्थमें महाराज रविश्चन्द्रक द्वारा यज्ञ, दान तथा मुनियोंका उद्धार. ३३९. वागीश्वरतीर्थमें राजा ब्रह्मदत्तके यज्ञमें प्रेतोंका
१०२९ उद्धार तथा सहस्रावर्त आदि तीथोकी महिमा ( ३४०. देवपथतीर्थ, शुक्लतीर्थ, दीप्तिकेश्वरकी महिमा, देवासुरोंके द्वारा महादेवजीकी स्तुति तथा वैष्णव- तोर्थकी महिमा..
विषय
३१६. कलहंसेश्वरतीर्थंका प्रादुर्भाव और उसका माहात्म्य ३१७, नर्मदापुरका माहात्म्य, जमदग्निको कामधेनुकी प्राप्ति, कार्तवीर्यद्वारा मुनिका वध और धेनुका
९८७
मेघवनका महत्व तथा विभिन्न तीथको
महाशक्तियोंके नाम.
१९८९ ९९०
अपहरण तथा परशुरामद्वारा कार्तवीर्यका वध ३१८. शिवनेत्रकुण्ड तथा जनकतीर्थका माहात्म्य ३१९. सप्तसारस्वततीर्थकी उत्पत्ति, शाण्डिल्या और नर्मदाके संगमकी महिमा तथा नर्मदा-कुब्जाके संगमपर रन्तिदेवका यज्ञ
/
९९२
३२०. कुब्जा और नर्मदा के संगमकी महिमा,
परिवारसहित ब्रह्म- ३२१. माहेश्वरतीर्थकी महिमा, राजा सालंकायनका यज्ञ..... ९९५ हरिकेश ब्राह्मणका राक्षसयोनिसे उद्धार..
९९४
| ३४१. नर्मदाजीकी तथा भगवान् विष्णुको स्तुति.. – ३४३. करंजेश्वर तथा कुण्डलेश्वरतीर्थका प्रादुर्भाव ३४२. मेघनादतीर्थका प्राकट्य और उसकी महिमा १०३०
३२२. श्वेतकिंशुक आदि तीर्थोंकी महिमा ३२३. मान्धाताका चरित्र ३२४. बाणासुरके तीन पुरोंका भगवान् शङ्करके द्वारा संहार, जालेश्वरनामक बाणलिंगकी उत्पत्ति
९९७ ९९९
और माहात्म्य. ३४४, पिप्पलेश्वर, विमलेश्वर, विश्वरूपा-नर्मदासंगम तथा एक दिनमें मेघनादेश्वर आदि पाँच लिंगोंकी यात्राका माहात्म्य, राजा धर्मसेनकी कथा... १०३९
१०३०
.. १०३३
१०३८
१००२
२००७ वरदान ३२६. पुराणलक्षण, कलिकालका प्रभाव तथा राजर्षि वसुदान के यज्ञमें प्रकट हुई कपिला और नर्मदाके संगमका माहात्म्य
१००१ और बाणासुरको शिवलोक प्राप्ति ३२५. अमरकण्टक और यज्ञपर्वतके श्रेष्ठ तीर्थ एवं लिंग, राजा इन्द्रद्युम्नका यज्ञ और उन्हें देवोंका
३४५. मृकण्ड - आश्रममें दो गन्धर्वोका उद्धार तथा चन्द्रमती-नर्मदा-संगम आदि अन्य तीर्थोकी महिमा १०४०
| ३४६. भानुमतीका तीर्थसेवन, शूलभेदतीर्थ में शबर- दम्पतिका उद्धार और सती भानुमतीको कैलास- धामकी प्राप्ति १०४१ | ३४७. आदित्येश्वरतीर्थकी महिमा, मुनियोंद्वारा नर्मदाका
३२७. अमरावतीमें भगवान्का दैत्यसूदनरूपसे निवास तथा वहाँके अन्यान्य तोथों और शिव- लिंगोंका माहात्म्य
स्तवन और उस तीर्थमें गोदानकी महिमा १०४५ १००८ ३४८. धनदतीर्थका माहात्म्य, पूज्य और अपूज्य ब्राह्मण, वृषोत्सर्गकी महत्ता तथा गौतमेश्वर- तोर्थकी महिमा
३२८. अमरकण्टकपर सूत्रयागका माहात्म्य, कावेरी- संगम और पयोष्णी संगमकी महिमा तथा
१०४७
वहाँके अन्य तीर्थोंके सेवनकी महत्ता १०१० ३४९. पराशराश्रमकी महिमा, पराशरमुनिकी तपस्या, वरदान - प्राप्ति, भीमेश्वरमें गायत्री जपका महत्त्व १०१२ ३५०. नर्मदा- नागेशके संगममें कण्ठकी ब्रह्महत्यासे और नारदेश्वरतीर्थका माहात्म्य...........
३२९. भद्ररुद्रेश्वरकी महिमा, दुर्वासाजीके द्वारा अमरकण्टकका गयातीर्थके तुल्य होना तथा राजा भरतका यज्ञ.
१०४८
३३०. ब्रह्माजीके द्वारा सौम्या दृष्टिसे दानवोंका निवारण
तथा रुद्रके एक सौ एक नामद्वारा शिवजीका स्तवन ३३१. कपिला-नर्मदा-संगम और ईशान आदि तीर्थोंकी महिमा, यमलोकके मार्गके कष्टों तथा अट्ठाईस नरककोटियोंका वर्णन.
मुक्ति और सद्गति ३५१. पूतकेश्वर तथा जलशायी (चक्र) तीर्थका माहात्म्य, श्रीविष्णुके द्वारा नलमेघ दानवके वधकी कथा
१०१३
१०४९
३३२. पापियोंकी नरक यातनाका वर्णन.. ३३३. दान, पुण्य, शिवध्यान और नर्मदासेवनसे नरकसे उद्धार होनेका तथा संसारसे वैराग्यका उपदेश
१०५०
१०१९ १०१५
३५२. प्रभासेश्वर, मार्कण्डेयेश्वर, संकर्षण, मन्मथेश्वर तथा एरण्डीसंगममें पुत्रप्राप्तिपदतीर्थकी महिमा, अनसूयाजीके पुत्ररूपसे ब्रह्मा, शिव और विष्णुका अवतार
१०२०
३३४. मातंग, मृगवन और वाराहतीर्थकी महिमा ३३५. संसारसे मुक्त होनेके लिये पाप और पाखण्डी जनोंके त्याग तथा शिव एवं नर्मदाके आश्रय लेनेका उपदेश.
१०२२
३५३. सौवर्णतीर्थ, करण्डेश्वरतीर्थ, भाण्डारतीर्थ, रोहिणीतीर्थ, चक्रतीर्थ तथा धूमपाततीर्थका माहात्म्य और माहात्म्य-श्रवणका फल. १०२३ ३५४. श्रीसत्यनारायण व्रतकी विधि, ब्राह्मण और
३६. शिवलोककी उत्कृष्टता, गोसेवाका महत्त्व, दानकी महिमा तथा नर्मदातटपर दान एवं शिव-ध्यानका माहात्म्य
३५५. सत्यनारायण व्रतकी महिमा, राजा उल्कामुख, साधु वणिक् और राजा वंशध्वजकी कथा १०५८ लकड़हारेकी कथा
१०२४
१०५१
१०५४
१०५६
[१३]
पृष्ठ-संख्या
विषय
विषय
पृष्ठ संख्या
३८१. परशुरामद्वारा लोहयष्टिकी स्थापना और उसकी महिमा तथा देवीकुण्डका माहात्म्य......... ३८२. राजवापीके प्रसंगमें राजा दशरथका प्रभाव,
२७
२९
११२७
११३२
(६) नागरखण्ड (पूर्वार्ध) ३५६. राजा त्रिशंकुका वसिष्ठ पुत्रोंक शापसे चाण्डाल होना..
२०६३
११२२.
३५७. विश्वामित्रजीके द्वारा त्रिशंकुका यज्ञ पूरा करके
शनैश्चरग्रहकी पराजय ३८३. श्रीरामके द्वारा लक्ष्मणका त्याग और लक्ष्मणका १०६७ परमधाम गमन ३८४. चित्रशर्मा तथा अन्यान्य ब्राह्मणोंके द्वारा भगवान्
नूतन सृष्टि रचनाका उद्योग आदि. ३५८. नागबिलका महत्त्व, इन्द्रकी ब्रह्महत्यासे मुक्ति ३५९. शंखतीर्थको उत्पत्ति, उसमें स्नानसे राजा
२०६५
११२३
चमत्कारके कुष्ठरोगकी निवृत्ति,
२०६९
शंकरको सन्तुष्ट करना. ३८५. अड़सठ क्षेत्रों और उनमें भी प्रधान आठ क्षेत्रोंके नाम तथा उनके कोर्तनका महत्त्व ३८६. भगवान् शिवके दिये हुए मन्त्रद्वारा ब्राह्मर्णोपर
३६०. राजा चमत्कारकी तपस्यासे सन्तुष्ट हुए शिवका अचलेश्वररूपसे निवास.
२०७१
११२८
३६१. चमत्कारपुरमें गयाशीर्षतीर्थकी महिमा. ३६२. मार्कण्डेयमुनिको अमरत्वकी प्राप्ति, ब्रह्माजीकी स्थापना, बालसख्यतीर्थकी महिमा.
१०७२
आये हुए सपके उपद्रवका निवारण ११२९ ३८७. चमत्कारपुरमें पुनर्वासी ब्राह्मणोंकी संख्या. ३८८, रैवत और क्षेमंकरी द्वारा रैवतेश्वर तथा कात्यायनी-
....
१०७७
३६३. मृगपदतीर्थ और विष्णुपदतीर्थका प्रादुर्भाव तथा माहात्म्य, विष्णुपदीमें स्नान आदिका महत्त्व.
१०७९ की स्थापना ३८९, दुर्वासाके शापसे चित्रसम दैत्यका महिष होना
३६४. विष्णुपदीकी अदभुत महिमा, चण्डशर्माकी शुद्धि..... ३६५. हाटकेश्वरक्षेत्रकी दक्षिणोत्तर सीमाके गोकर्णौका
१०८०
तथा कात्यायनीके द्वारा महिषका वध....... ३९०. केदारक्षेत्रका प्रादुर्भाव तथा वहाँ भगवान् शिवकी आराधनाका माहात्म्य
११३३
परिचय, गोकर्ण और यमका संवाद.......... ३६६. सिद्धेश्वर लिङ्गकी महिमा तथा षडक्षर मन्त्रका माहात्म्य एवं अहिंसाकी महत्ताका वर्णन. १०८४
१०८२
--...... ११३७
३९१. शुक्लतीर्थकी महिमा.. ३९२. कर्णोत्पलातीर्थकी उत्पत्ति, राजा सत्यसन्ध और
११३९
३६७. सप्तर्षि आश्रमकी महिमा तथा सप्तर्षियोंका हाटकेश्वर क्षेत्रमें आगमन ....
१०८९
कर्णोत्पलाकी अद्भुत कथा...... ३९३. शाण्डिलोके उपदेशसे कात्यायनीके द्वारा पञ्चपिण्डा
३६८. अगस्त्य - आश्रममें शिव पूजा आदिका माहात्म्य......
१०९१
३६९. दुर्वासा लोमहर्षण-संवाद, मन्त्र सिद्धिकी विधि...... १०९२
गौरीकी उपासना.
११४३
३७०. धुन्धुमारेश्वरकी स्थापना और महिमा
१०९३ ३९४. वास्तुपदतीर्थ तथा अजागृहा देवीकी महिमा. ११४४ ३९५. पतिव्रताकी शक्तिसे उसके मरे हुए पतिको
३७१. विश्वामित्रका मेनकासे वार्तालाप, सती स्त्रियोंक
पालन करनेयोग्य धर्मका वर्णन
१०९५ पुनः नवजीवनकी प्राप्ति
११४६
३७२. सरस्वतीर्थको महिमा, राजा अम्बुवीधिको ३९६. शूलीतीर्थ और दीर्घिकातीर्थका प्राकट्य, माण्डव्य मूकताका निवारण.
१०९७ मुनिका धर्मराजको शाप ३७३. महाकालके समीप जागरणकी महिमा, राजा ३९७. अन्न और जलके दानकी महत्ता
११४८
११५०
रुद्रसेनका पूर्ववृत्तान्त. ३७४. कलशेश्वरका माहात्म्य, नन्दिनीके द्वारा व्याघ्रयोनिको प्राप्त राजा कलशका शापसे उद्धार
१०९९ ३९८. अदितिदेवीद्वारा आराधित अमरेश्वर
लिंगको महिमा. ३९९. शुकदेवजीका जन्म, वैराग्य, व्यासजीके साथ
११०१
३७५. अगस्त्यकुण्ड, कपिलानदी, वैष्णवीशिला और सिद्धक्षेत्र आदिकी महिमा...
उनका संवाद और वनगमन...... ४००. राजा सुरथके द्वारा भैरवजीकी स्थापना और
११५३
११०५
३७६. गालवको सूर्यदेवकी आराधनासे पुत्रकी प्राप्ति ३७७. चमत्कारीदेवीकी महिमा, कार्तिकेयजीके द्वारा
११०७ आराधना
११५
४०१. गौरी, जया और विजयाकुण्डका माहात्म्य. ११५
शक्तिकी स्थापना....... ३७८. स्कन्दस्वामी और देवयजनकी महिमा तथा
नागरखण्ड (उत्तरार्ध) ४०२. सब पापोंकी शुद्धिके लिये पुरश्चरणसप्तमी व्रतकी विधि एवं महिमा... ११५
तीनों सूर्य-विग्रहोंके दर्शनका माहात्म्य.. १११३ ३७९. चन्द्रदेवके मंदिरके निर्माणका महत्त्व, अम्वावृद्धाके
४०३ चण्डशमके द्वारा सत्ताईस शिवलिंगों का पूजन ११० ४०४. विश्वामित्रकी उत्पत्ति, राज्यप्राप्ति तथा राज्य त्यागकर तप करनेका निश्चय
दर्शनकी महत्ता.......... ३८०. ब्रह्मकुण्ड, गोमुखतीर्थकी उत्पत्तिकथा
१११४
११ ४०५. विश्वामित्रकी तपस्या, ब्राह्मण पदकी प्राप्ति.. ११
एवं महिमा..
............१११७
पृष्ठ संख्या
१२२३
१२२५
१२२६
१२२९
[१४]
पृष्ठ संख्या
विषय
विषय
४०६ गौ-पूजा अमाको सौभाग्यवृद्धि ११६५ ४०७ पूर्वजन्ममें अमारुरूपा लक्ष्मीदेवीके द्वारा
४३७. प्रभासमें भगवान् शिवका स्वरूप, पार्वतीद्वारा
उनकी स्तुति,
पंच गौरीको उत्पत्ति ४०८, हाटकेश्वरक्षेत्र तीनों पुष्कर तीर्थोंके आगमनका
१९६७ ४३८, प्रभासमें सूर्यदेव, सिद्धेश्वर लिंग तथा सिद्धलिंगकी
महिमा,
१९७० ४३९, अर्कस्थलका माहात्म्य, आदित्यको महिमा, दन्तधावनकी विधि,
४०९, अतिथि सत्कारका माहात्य
११७१.
४१०. हाटकेश्वर क्षेत्रमें पुष्करके प्राकट्यका वार्षिक समय ११७२ ४४०. चन्द्रमाकी उत्पत्ति तथा उनके द्वारा ओषधि
४९१. ब्राह्मणकन्या और राजकन्याका अनुपम प्रेम ११७३
आदिका पोषण..
४९२ परावसुके द्वारा मद्यपानका प्रायश्चित
११७४
४४१. सृष्टि-कथा- दक्षकन्याओं तथा धर्म एवं कश्यपजीको संततिका संक्षिप्त वर्णन.........
४९३. ब्राह्मणकन्या और शूद्रराजकन्याकी तपस्या, भगवान् शिक्का वरदान.
१२३०
११७७ ११७९
|
४४२, चन्द्रमाके द्वारा प्रभासक्षेत्रमें शिवकी आराधना ४४३. सोमवारव्रतकी विधि और महिमा, गन्धर्व-
१२३१
४१४. त्रिविध क्षेत्र, अरण्य और पुरी आदिका वर्णन
४१५. अहल्याका शापोद्धार तथा हाटकेश्वरक्षेत्रमें अहल्या शतानन्द और गौतमजीको तपस्या ११८१
सेनाकी रोगनिवृत्ति. ४४४. सोमनाथकी यात्रा-विधि
४१६ तीर्थको महिमा, राजा दम्भका चरित्र तथा ताम्बूलके दोष.
४४५. समुद्र स्नानकी विधि और महिमा..
१२४१
४९७ विश्वामित्र एवं रत्नादित्यको महिमा.
१९८२
४४६. सोमनाथके दर्शन-पूजनकी महिमा. ११८५ ४४७, सरस्वती नदीकी महिमा तथा वहाँ स्नान, दान
१२४२
१२३५
१२३७
200
१२४४
४९८ श्राद्धकल्प.
११८७
और श्राद्धका माहात्म्य १९८८ ४४८, कपर्दी'को अग्रपूजाका हेतु और महिमा.. १२४५ ४४९, केदारलिंगकी महिमा, राजा शशिविन्दुके पूर्व- जन्मका वृत्तान्त.
४१९. श्राद्धको आवश्यकता तथा समय ४२० श्राद्धको विधि विहित और निषिद्ध ब्राह्मण तथा मन्वादिका वर्णन.............
१२४६
४२१. बद्धकर्ता और श्राद्धभोकाके लिये नियम ४२२ सपिण्डनको आवश्यकता, तीन गति ........
११९२
४५०. श्वेतकेत्वीश्वर आदि विभिन्न शिवलिंगों का माहात्म्य ११९४ ४५१. प्रभासक्षेत्रकी त्रिविध शक्तियों तथा दूती शक्तियोंके दर्शन-पूजनका माहात्म्य
१२४८
४२३, नरकों और पापोंसे मुक्त होनेका उपाय तथा भगवान् जलशायोको महिमा ४२४. चातुर्मास्य व्रतके पालनीय नियम और उनकी
१२५०
११९७
४५२. भैरवेश्वर आदि विविध लिंगोंका माहात्म्य १२५२ ४५३. कलकलेश्वर, उत्तकेश्वर, वैश्वानरेश्वर तथा
महिमा.
१९९८
गौतमेश्वरकी महिमा.
१२५४
४२५ शिवरात्रिको महिमा)
१२०० ४५४. वैष्णवक्षेत्रमें भगवान् दैत्यसूदनको महिमा..
४२६. सिद्धेश्वरकी महिमा और तुलादानका महत्त्व. ४२७. पृथ्वीदानकी महिमा,
१२०२
४५५. योगेश्वरीदेवीकी महिमा १२०३ ४५६. आदिनारायणका माहात्म्य
१२५५
१२५७
४२८. चार प्रकारके कालमानका वर्णन,
१२०४
४५७. पाण्डवेश्वरलिंग तथा ग्यारह रुद्रोंका माहात्म्य ४२९. निम्बेश्वरको स्थापना तथा ग्यारह रुद्रोंका प्राकट्य १२०८ ४५८. चन्द्रेश्वर, चक्रपाणि, दण्डपाणि तथा साम्बा-
१२५९ १२५८
४३०. नागरखण्डका उपसंहार
१२१०
दित्यकी महिमा. ४५९. बालरूपधारी ब्रह्माको महिमा, ब्रह्माजीकी
१२६२
(७) प्रभासखण्ड
४३१. सूतजोके द्वारा प्रभास खण्डका उपक्रम... १२११ आयुका मान
१२६३
४३२. शिव-पार्वती-संवाद, तोथका संक्षिप्त वर्णन
१२१५
४६०. ब्राह्मणोंकी महिमा, क्षेत्रवासी ब्राह्मणोंके भेद | ४६१. ब्रह्माजीके प्रति भक्तिके भेद तथा उनके एक सौ
१२६५
४३३. प्रभासतीर्थकी सीमा, क्षेत्र विभाग, महिमा तथा रक्षकगणोंका वर्णन .....
आठ नाम,
१२६७
४३४. सोमनाथके दिव्य स्वरूपका दिग्दर्शन. ४३५, सोमनाथके आठ नाम और पार्वतीके अठारह
१२१९ ४६२. प्रत्यूषेश्वर, अनिलेश्वर, प्रभासेश्वर, रामेश्वर, लक्ष्मणेश्वर आदिका माहात्म्य...
नामोंका वर्णन ४३६. सोमनाथको महिमा,
१२२० ४६३. गोप्यादित्यकी स्थापना और महिमा तथा
१२६९
नीलसे हानि
१२१७)
...... १२७२
पृष्ठ संख्या
विषय
४५. पौलोमीश्वर, शाण्डिल्येश्वर क्षेमेश्वर तथा ४६४. रामेश्वर चांगदेश्वर तथा रावणेश्वरकी महिमा...
लक्ष्मीकी महिमा सागरादित्यका माहात्म्य ४६६. अक्षमालेश्वर, पाशुपतेश्वर, ध्रुवेश्वर तथा सिद्धि-
१३२७
व्रजमें आगमन. ५०१. गोपी-सरोवरका निर्माण और उसकी महिमाका
[१५]
पृष्ठ संख्या विषय
१२७३ ४८८, पृथुके गोष्पदतीर्थमें श्राद्ध-यज्ञ करनेसे वेनको स्वर्गप्राप्ति १३१९
१२७३ ४८९. नारायणगृह तथा जालेश्वर लिंगको महिमा १३२०
४९०. चन्द्रेश्वर, कपिलेश्वर तथा नलेश्वरकी महिमा १३२३
१२७५ ४९१. राजा गज और भद्रमुनिका संवाद १३२४
४९२ तीर्थमें पूजन, श्राद्ध और दानकी महिमा. १२७६ ४९३. राजा बलिके राज्यको प्रशंसा
४६७, महाकाली देवी, पुष्करावर्तका नदी एवं कंकाल भैरवकी महिमा.
१३२९
४६८.
लोमशेश्वर, चित्रपथा नदी, रूपकुण्ड, रत्नेश्वर ४९४. देवर्षि नारदका वामनजीको मत्स्य आदि अवतारोंका वृत्तान्त सुनाना.. १३३१
तथा वैनतेयेश्वरका माहात्म्य.
१२७८
४९५. वामनजीका बलिसे तीन पग भूमि ग्रहण करना (श्रीद्वारका-माहात्म्य)
४६९, रेवन्त और अनन्तेश्वरकी महिमा, सावित्रीकी कथा, सावित्री व्रतकी महिमा ४७० शालकटंकटा देवी, दशरथेश्वर, भरतेश्वर
१२७९
१३३५
आदिका महत्त्व ४७१. देवमाता, शेषस्थान, प्रभासपंचक तथा संगममें
१२८३ ४९६. भगवान्के परमधाम पधारनेपर महर्षियोंका ब्रह्माजीकी आज्ञासे प्रह्लादजीके समीप जाना १३३९ ४९७. द्वारकाकी महिमा, वहाँकी यात्रा और उसमें
(स्नानका महत्त्व ४७२. श्राद्धके विषयमें कुछ ज्ञातव्य बातें. ४०३. श्राद्ध विधि, सप्तशुद्धिका विचार, श्राद्धमें ग्राह्य
१२८४
१२८५
योग देनेका माहात्म्य. ४९८. गोमतीमें स्नान और भगवत्पूजनकी महिमा १३४४
१३४१
एवं त्याज्यका निर्णय, ४७४. परायी वस्तुके अपहरण और प्रतिग्रहके दोष ४७५. उत्तम-अधम जन्म, व्यर्थ और सफल दान, सुपात्र के लक्षण..
१२८८
४९९. चक्रतीर्थ तथा रुक्मिणीहदका माहात्म्य ५००. विष्णुपदोद्भवतीर्थकी महिमा उद्धवजीका
१३४५
१२९२
१३४६
१२९४
४७६. मार्कण्डेयेश्वर आदि विविध लिंगोंकी महिमा १२९५ ४७७, गौतम और प्रेतका संवाद, प्रेतोंका उद्धार तथा प्रेततीर्थको उत्पत्ति.
वर्णन.. १३५० ५०२. ब्रह्मकुण्ड, चन्द्रसरोवर तथा पंचनदतोर्थका
१२९६ १२९९
माहात्म्य १३५१ ५०३. सिद्धेश्वर लिंग, ऋषितीर्थ और देवी-देवताओंके सेवनकी महिमा.
४७८. नरकेश्वरका माहात्म्य ४७९. संवर्तेश्वर, बलभद्रेश्वर, दशाश्वमेधिक तीर्थ
१३५२ ५०४. श्रीकृष्ण तथा रुक्मिणीदेवीके दर्शन और
तथा दुर्वासादित्यका माहात्म्य ४८०. नागरादित्य, पिंगा नदी, संगमेश्वर तथा गंगेश्वरकी महिमा
१३००
पूजनकी महिमा १३५४ ५०५. द्वारकापुरी तथा वहाँ श्रीकृष्णके दर्शन-पूजनका माहात्म्य.
१३०१
४८१. नन्दादित्य, पर्णादित्य, गंगेश्वर तथा मूल स्थानगत
१३५५
सूर्यकी महिमा.
१३०२ १३०६ ५०७. द्वारकापुरी, गोपीचन्दन तथा गोमतीका माहात्म्य १३५८
५०६. शंखोद्धारतीर्थकी महिमा
१३५७
४८२. भगवान् सूर्यके अष्टोत्तरशतनामोंकी महिमा ४८३. महर्षि च्यवनकी कथा और च्यवनेश्वरकी
५०८. एकादशीकी रात्रिमें श्रीहरिके समीप जागरणका माहात्म्य.
महिमा.
१३०७
१३६०
४८४. सुकन्या-सरोवर, गोष्पदतीर्थ तथा कुबेरेश्वरकी महिमा)
५०९. द्वारका यात्राकी विधि एवं महिमा ........ १३६२
१३०९
५१०. ऋषियों और देवताओंकी द्वारका यात्रा तथा
४८५. भद्रकाली, कुबेर तथा गुप्तप्रयागका माहात्म्य १३११ ४८६. माधव, श्रृंगालेश्वर और देवविग्रहोंके
१३६४
५११. दिलीप वसिष्ठ-संवाद. भगवदर्शन एवं पूजन
१३६५ ५१२. द्वारकापुरी तथा श्रीकृष्ण दर्शनका माहात्म्य
१३१३
१३६६
४८७. तलस्वामी, शंखावर्ततीर्थ और गोष्पद- सेवनकी महिमा. तीर्थकी महिमा.
५१३. द्वारका श्रीकृष्णदर्शनकी महिमा
१३१५ ५१४. द्वारका-माहात्म्यके पाठकी महिमा..
....... १३७१
[१६]
विषय
विषय
पृष्ठ संख्या
चित्र-सूची
२९. रानी सुमित्रा के द्वारा अपने पति और पुत्रकी दशाका वर्णन.
९. ३०, हनुमानजी के द्वारा भगवान् श्रीराम और सोताका
स्तवन,
7841
८७
... ६२४
६४२
६५५
इकरंगे
५४२
१. दक्षके द्वारा सतीका तिरस्कार.
२. वीरभद्रद्वारा दक्षयज्ञविध्वंस.
५८३ २१ ३१. ब्राह्मणके द्वारा राजकन्याका हाथ पकड़ा जाना ५९०
[२१]
३. गरुड़पर मन्दराचल. ४. समुद्र-मन्यन
५१० २३ ३२. राजाके द्वारा ब्राह्मणको बन्दी बनाया जाना
१५. समुद्र मन्थन से श्रीमहालक्ष्मीका प्रादुर्भाव..
५९२
६. श्रीलक्ष्मीका भगवान्को माला अर्पण ७. ब्राह्मणों से घिरे हुए देवर्षि नारदजी के साथ
२३
३३. राजाको स्वप्न में भगवान्के दर्शन. ३४. राजाके द्वारा लक्ष्मीनारायणका स्तवन
५९२
अर्जुनका संवाद ८. त्रिदेवोंकी श्रेष्ठता-
३५. गणेशजीका मस्तक छेदन.
६२४ ३६. गणेशजीको गजमस्तक दान
१५७
अचविग्रहसे प्रकट होकर भगवान् विष्णु ऐतरेयको दर्शन दे रहे हैं.
३७. भगवान् रामचन्द्रका दान १७६ ३८. ब्रह्माजीका प्राकट्य ......
१०. मुर-कन्याको न मारनेके लिये श्रीकृष्णसे ३९. ध्रुवकी सफल साधना...
७५७
कामाख्याका अनुरोध. ११. बर्बरीकका बल-प्रदर्शन.
२२१
इकरंगे (लाइन) २३५ १. लोमशजीद्वारा नैमिषारण्यमें मुनियोंको शिवजीका
१२. राजा वज्रगदपर भगवान् अरुणाचलेश्वरकी
माहात्म्य कथन २. दक्षद्वारा भगवान् शंकरका स्तवन
कृपा
२६०
११
१३. पद्मालया और भगवान्का परस्पर माला
३. भगवान् विष्णुके द्वारा देवताओंको आश्वासन
१५
पहनाना १४. भूदेवी तथा श्रीदेवीसहित सपरिकर
४. मोहिनीद्वारा देवताओंको अमृतरसपान.
२६
५. त्वष्टाका ब्रह्माजीसे पुत्र प्राप्तिके लिये वर माँगना ६. इन्द्रका बृहस्पतिजीसे प्रदोषव्रतकी उद्यापन-
३३
भगवान् विष्णु.
२७९
१५. भक्त भीम कुम्हारका पत्नीसहित
विमानारोहण. १६. ब्रह्मा और यमराजके द्वारा भगवान् विष्णुका स्तवन
३९
२८३
७. जुआरीका स्वर्गमें ऋषि-मुनियोंको अंधाधुंध दान देना. विधि पूछना
३२१ ३५५
४६
१७. राजा इन्द्रद्युम्नको ध्यानमें भगवान्के दर्शन......
८. विरोचनद्वारा ब्राह्मणरूपधारी इन्द्रको अपना मस्तक उतारकर देना.. ९. भगवान् विष्णुका बलि और उसकी पत्नीको
१८. भगवान् विष्णुको लक्ष्मीदेवी भोजन परोस रही हैं
३७८
१९. राजा श्वेतको भगवान् लक्ष्मीनृसिंहके
वरदान देना
५०
दिव्य दर्शन
२०. रत्नहिंडोलेपर भगवान् लक्ष्मीनारायण.
३७९
२१. कदम्बमूलमें भगवान् गोविन्द झूला झूल रहे हैं
३८६
२२. वटवृक्षसे देवताओंका निकलना. २३. भक्त विष्णुदासके द्वारा चाण्डालकी सेवा......
६०
२७५
१०. पार्वतीजीके तपसे जगत् सन्तप्त होनेपर
देवताओंद्वारा ब्रह्माजीकी शरण लेना.... ..... ५६ ३८५ ११. तपस्यामें लगी हुई पार्वतीजीको भगवान् शंकरका
दर्शन तथा परस्पर वार्तालाप ४२० १२. पार्वतीजीका कुमार षडाननको गोदमें लेनेके
४३४
लिये उनकी ओर बढ़ना १३. कार्तिकेयजीके शक्ति प्रहारसे तारककी मृत्यु ७४
२४. चाण्डालके स्थानपर विष्णुदासको भगवान्का दर्शन,
४३४ १४. कैलाशमें शिवजीका राज्य १५. अर्जुनके द्वारा पंचाप्सरसतीर्थमें ग्राह बनी
८२.
२५. हेमकान्तके द्वारा त्रितमुनिको छत्र-जल-दान.
४७९
२६. छत्र और जलदानसे हेमकान्तपर भगवत्कृपा.. ४७९
अप्सराओंका उद्धार. १६. धर्मवर्माका छद्यरूपमें पधारे हुए नारदजीसे परिचय पूछना
८६
२७. सर्वस्व दानी रघु और ब्राह्मण कौत्स ...... ....
५१६
२८. गावमुनिको रक्षा
९८
५३८
Y
पृष्ठ-संख्या
विषय
२५६
२६२
२७७
[१७]
विषय
पृष्ठ संख्या
४५. पार्वतीजीको अरुणाचलपर अपूर्व ज्योतिका दर्शन २५३. ४६. दुर्वासाजीका कान्तिशाली और कलाधरको
१७. नारदजीका ब्राह्मणोंके सामने अपना स्वरूप
प्रकट करना.
१०७
११०
शाप देना..
१८. मेघातिथिका चिरकारीको छातीसे लगाना.
१९. ब्रह्माजीका इन्द्रद्युम्नको पृथ्वीपर लौटनेका आदेश ११२ ४७ पृथ्वीदेवीद्वारा भगवान् वाराहका पूजन.........
२०. लोमशजीका इन्द्रद्युम्नको अपनी चिरायु बताना.. ११४ ४८. भगवान् वाराहके स्वरूपका ध्यान, २१. इन्द्रद्युम्न आदिके सामने भगवान् शंकरका
*........... PEE ४९. भगवान् श्रीकृष्णका पद्मावतीका स्मरण करना २६९ १२२ ५०. भगवान् विष्णुका यसको अपने पुत्रका वध
प्राकट्य.
२२. महीसागरसंगमतीर्थमें कुमारद्वारा पार्वतीजी एवं गणेशजीकी स्थापना
करनेसे रोकना ५१. अस्थिसरोवर के प्रभावसे जीवित हुई ब्राह्मणीकी
१२८ १४२ अपने पतिदेवसे भेंट..
२३. कुमारीका दर्पणमें अपना मुँह देखना. २४. कुमारीका पार्वतीजीकी सखी चित्रलेखाके ५२. तक्षकके काटने से वृक्षका भस्म होना.
२८२
....... २८५
स्वरूपको प्राप्त होना. २५. कालभौतिका प्रकट हुए शिवलिंगकी
१४४
५३. धर्मज्ञ रोडका सिंहको उपदेश. ५४. श्रीरामकृष्णके समक्ष भगवान् विष्णुका प्राकट्य २९०
२८९
स्तुति करना. २६. भगवान् वासुदेवका नारदजीके समक्ष प्रकट होना.
१४९
५५. रामानुजद्वारा भगवान् श्रीविष्णुका स्तवन ........ ५६. चक्रद्वारा राक्षसका शिरश्छेदन
२९६
२९९
१६७
५७. अगस्त्यजीका गंगाजीको अपना अभीष्ट मार्ग
२७. ऐतरेयका माताको उपदेश देना. २८. भगवान् सूर्यदेवका नारदजीके सामने प्राकट्य
१७०
दिखाना. १७९ ५८. राजा शंखका अगस्त्यजीके साथ भगवान् विष्णुका कीर्तन करना.
३०९
२९. सत्यव्रतका नन्दभद्रके सामने अपने नास्तिकतापूर्ण
३१६
विचार रखना
१८५ १८८
५९. अंजनाको वायुदेवके द्वारा वरदान ६०. विश्वावसु शबरद्वारा ब्राह्मणका आतिथ्य सत्कार ३३५
३१९
३०. बालकका नन्दभद्रको उपदेश देना..
३१. व्यासजीका कीटको उद्बोधन करना.. ३२. हारीतका अपने पुत्र कमठसे परम भोजनका
१९१ ६१. विद्यापतिका इन्द्रद्युम्नको नीलाचलवासी भगवान् विष्णुका वृत्तान्त सुनाना,
३३९
१९६ ६२. इन्द्रद्युम्नका नारदजीके साथ भगवान्का प्रसाद
३३. ब्राह्मणोंद्वारा सूर्य भगवान्को स्तवन.. २०५ स्वरूप पूछना
ग्रहण करना.. ६३. इन्द्रद्युम्नद्वारा भगवान्को स्तवन.
३४५
३४. भगवान् श्रीकृष्णद्वारा उग्रसेनजीको नारदजीके गुणोंका कथन
३५४
२०८ ६४. श्रीजगन्नाथजीकी रथयात्रा ३७५ ३५. धर्मका महीसागरसंगमतीर्थका सावधान करना २१८ ६५. दक्ष प्रजापतिको श्रीजगन्नाथजीका वरदान देना ३८८
३६. बर्बरीकका भगवान् श्रीकृष्णसे श्रेयको पूछना २२५ ६६. भगवान् शिवके द्वारा बदरीक्षेत्रकी
३७. वर्वरीकका नागगणसे वरदान माँगना.......... ३८. बर्बरीकका नागकन्याओंके विवाह प्रस्तावको
२२८
महिमाका कथन. ६७. देवताओंद्वारा भगवान् विष्णुसे वरयाचना ४०६
...... ३९४
ठुकराना.
२२९ ६८. तुलसीवृक्षके नीचे भगवान् श्रीकृष्णको
३९. भगवान् शंकरका बर्बरीकको भीमसेनको छोड़ देनेके लिये आदेश. ४०. भगवान् श्रीकृष्णके द्वारा बर्बरीकका मस्तकछेदन २३४
-४११ २३१ ६९. सत्यभामाका भगवान् श्रीकृष्णसे अपने पूर्वजन्मोंका वृत्तान्त पूछना.... ४२७ मूर्तिका पूजन.
४१. भगवान् शंकरका भगवान् विष्णु एवं ब्रह्माजीके सामने प्रकट होना
७०. रोटी चुराकर दौड़ते हुए चाण्डालके पीछे
२३९. विष्णुदासका घी लेकर जाना. ७१. ब्रह्माजीका भगवान् से मार्गशीर्षमासका
४२. मार्कण्डेयजीका नन्दिकेश्वरसे अरुणाचलक्षेत्रकी महिमा पूछना....
४३३
२४४ ४३. गौतमाश्रममें हिंसक प्राणियोंका परस्पर प्रेम २५०
७२. राजा वीरबाहुका भरद्वाजजीसे अपने सौभाग्यका कारण पूछना.....
४४४
४४. दुर्गादेवीका महिषासुर के साथ युद्ध करनेके लिये प्रस्थान.
२५१ ७३. कुसुमसरोवरपर संकीर्तनमें उद्धवजीका प्राकट्य ४६७
माहात्म्य पूछना
[१८]
विषय
पृष्ठ संख्या
७२० ७२५ १९. लक्ष्मीजीका लोपामुद्राको हृदयसे लगाना, ७७. भगवान् सूर्यका राजा घोष के सामने प्रकट होना... ५२५ १००. शिवशर्माका सूर्यलोकमें पहुँचना,
७३३
૭૮૨
रक्षा करना
विषय
१९८. लोपामुद्रा चरण चिह्नोंको देखकर देवताओंका नमस्कार करना.....
७४. कुतियाका दिव्य देहको प्राप्त होना.... ७५. शेषनागजीका लक्ष्मणजी सामने प्रकट होना ५११. ७६. भगवान् रामद्वारा सीताकुण्डका माहात्म्य कथन ५१७
७८. वानरोंका समुदपर पुल बाँधना ७९. eater शुकदेवजीको जयतीर्थमें स्नान करनेके लिये भेजना,
५३५१०१. शिवजीका बालक गृहपतिकी इन्द्रके वज्रसे
५४८ १०२. शुक्राचार्यद्वारा भगवान् शंकरका स्ववन७४७ १०३. ध्रुवका माता सुनीति के सामने फूट-फूटकर रोना
८०. सुचरित मुनिके सामने भगवान् शंकरका अर्थ-नारीश्वररूपमें प्रकट होना.
५५८
७५२
८१. साधा मुक्त ब्राह्मणका दत्तात्रेयजीसे
१०४. भगवान् नारायणका ध्रुवको वरदान देना ७६० ५६८ १०५. भगवान् विष्णुका अपने चक्रसे पुष्करिणी
संवाद.
८२. राजा पुण्यनिधिके सामने लक्ष्मीनारायणका
खोदना. ७६७ ५९३ १०६. पार्वतीजीकी महादेवजीसे हरिकेशको वर देनेके लिये प्रार्थना.. ७९९
८३. धर्मकी तपस्यामें विघ्न डालनेके लिये वर्द्धिनी प्राकटप
अप्सराका उपस्थित होना
६०४ १०७. काशी-गमनके लिये कलावतीका अपने पतिसे ८०५ प्रार्थना करना.
८५. वैश्योंको उत्पत्ति, ८४. अतिथि सत्कार.
६१३
८६. वसिष्ठजीके द्वारा भगवान् रामके प्रति भिन्न-
६२२
१०८. रिपुंजयको ब्रह्माजीका दर्शन देना.. .८१३ १०९. सुलक्षणाकी बकरीपर अनुग्रह करनेके लिये
८७, भगवान् रामका अबलाको दुःखी देखकर द्रवित होना. भिन्न तीर्थोको महिमाका वर्णन,
शिवजीसे प्रार्थना.. ११०. सूर्यदेवके सामने भगवान् शंकरका प्राकट्य ... ८३३ .८३१
•
६३९
१११. विमलादित्यको भगवान् सूर्यके दर्शन.
६३६
.८४०
११२. कपर्दीका शिव नाम संकीर्तन करना ८४३ ११३. धर्मक्षेत्रतीर्थमें पुण्यकीर्तिरूपधारी भगवान्का
८८. नारदजीका ब्रह्माजी से चातुर्मास्य व्रतका माहात्म्य पूछना
• ६४६
उपदेश देना
८९. गालवमुनिद्वारा शालग्रामपूजनका
६५७
११४, रिपुंजयके सामने शिव पार्षदोंसे घिरे हुए दिव्य विमानका अवतरण.
माहात्म्य कथन,
९०. भगवान् विष्णुकी पार्वतीजीसे क्षमा याचना ...... ९१. कार्तिकेयजीको क्रौंचपर्वतपर भीषण तपस्या .... ६६८ ११५. अग्निविन्दुके सामने लक्ष्मीसहित भगवान्
६६०
९२. शिवदूतोंका चाण्डालिनीको दिव्यतेजसे
विष्णुका प्राकट्य. ६७६ ११६. लीलाकमलका स्पर्श पाते ही जैगीषव्यका उल्लसित हो उठना...
सम्पन्न करना
९३. विदर्भराजकी पत्नीका ग्राहद्वारा पकड़ा जाना.. ६८१
८५७
९४. अपनी कन्या सीमन्तिनीका भविष्य सुनकर ११७. भगवान् शिवका व्याघ्ररूपधारी दैत्यका
चित्रवर्माका चिन्तामें डूब जाना............... ९५. भद्रायु और रानीका शिवयोगीकी पूजा करना ६९६
६८८
वध करना ....... ११८. पार्वतीजीका भगवान् शंकरसे रत्नेश्वर लिंगका .८६२
९६. भद्रायुका व्याघ्रपर तीखे बाणोंकी वर्षा करना
७०३
स्वरूप एवं प्रभाव पूछना .८६५ ११९. नन्दीको भगवान् शंकरसे सेवाके लिये प्रार्थना
१९७. नैध्रुवका शारदाके प्रति उमा-महेश्वरव्रतको
महिमा-कथन.
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