पदम्पुराण. हिंदी कहानी और कथाओं की सूची.
Mythology Padam puran hindi stories
पौराणिक पद्मपुराण की कथा सूची.
पद्मपुराण संक्षिप्त कहानी की विषय सूची :- ( Padam Puran hindi story index)
१- ग्रन्थका उपक्रम तथा इसके स्वरूपका परिचय
२- भीष्म और पुलस्त्यका संवाद-सृष्टिक्रमका वर्णन तथा भगवान् विष्णुको महिमा............
३- ब्रह्माजीकी आयु तथा युग आदिका कालमान, भगवान् वराहद्वारा पृथ्वीका रसातलसे उद्धार और ब्रह्माजीके द्वारा रचे हुए विविध सर्वोका वर्णन..
४- यज्ञके लिये ब्राह्मणादि वर्णों तथा अन्नकी सृष्टि, मरीचि आदि प्रजापति, रुद्र तथा स्वायम्भुव मनु आदिकी उत्पत्ति और उनकी संतान- परम्पराका वर्णन
५- लक्ष्मीजीके प्रादुर्भावकी कथा, समुद्र मन्थन और अमृत-प्राप्ति.
६- सतीका देहत्याग और दक्ष-यज्ञ-विध्वंस... ७- देवता, दानव, गन्धर्व, नाग और राक्षसोंकी
उत्पत्तिका वर्णन.
८- मरुद्गणोंकी उत्पत्ति, भिन्न-भिन्न समुदायके राजाओं तथा चौदह मन्वन्तरोंका वर्णन..........
९ पृथुके चरित्र तथा सूर्यवंशका वर्णन
१०- पितरों तथा श्राद्धके विभिन्न अंगोंका वर्णन ..
११- एकोद्दिष्ट आदि श्राद्धोंकी विधि तथा श्राद्धोपयोगी तोथका वर्णन
१२- चन्द्रमाकी उत्पत्ति तथा यदुवंश एवं सहस्रार्जुनके प्रभावका वर्णन,
१३- यदुवंशके अन्तर्गत क्रोष्ट्र आदिके वंश तथा श्रीकृष्णावतारका वर्णन
१४- पुष्कर तीर्थकी महिमा, वहाँ वास करनेवाले लोगोंके लिये नियम तथा आश्रम धर्मका निरूपण
१५- पुष्कर क्षेत्रमें ब्रह्माजीका यज्ञ और सरस्वतीका प्राकट्य
१६- सरस्वतीके नन्दा नाम पड़नेका इतिहास और उसका माहात्म्य
१७- पुष्करका माहात्म्य, अगस्त्याश्रम तथा महर्षि अगस्त्यके प्रभावका वर्णन
१८- सप्तर्षि आश्रमके प्रसंगमें सप्तर्षियोंके अलोभका वर्णन तथा ऋषियोंके मुखसे अन्नदान एवं दम आदि धर्मोकी प्रशंसा .......
१९- नाना प्रकारके व्रत, स्नान और तर्पणकी विधि तथा अन्नादि पर्वतोंके दानकी प्रशंसामें राजा धर्ममूर्ती कथा
२०- भीमद्वादशी व्रतका विधान
२१- आदित्य शयन और रोहिणी-चन्द्र-शयन-व्रत, तडागकी प्रतिष्ठा, वृक्षारोपण की विधि तथा सौभाग्य-शयन व्रतका वर्णन
२२- तीर्थ महिमाके प्रसंग वामन- -अवतारकी कथा, भगवान्का बाष्कलि दैत्यसे त्रिलोकीके राज्यका अपहरण
२३- सत्संगके प्रभावसे पाँच प्रेतोंका उद्धार और पुष्कर तथा प्राची सरस्वतीका माहात्म्य
२४- मार्कण्डेयजीके दीर्घायु होनेकी कथा और
२६ श्रीरामचन्द्रजीका लक्ष्मण और सीताके साथ २८ पुष्करमें जाकर पिताका श्राद्ध करना तथा अजगन्ध शिवकी स्तुति करके लौटना.........
२५- ब्रह्माजीके यज्ञके ऋत्विजोंका वर्णन, सब देवताओंको ब्रह्माद्वारा वरदानकी प्राप्ति, श्रीविष्णु और श्रीशिवद्वारा ब्रह्माजीकी स्तुति तथा ब्रह्माजीके द्वारा भिन्न-भिन्न तीर्थोंमें अपने नामों और पुष्करकी महिमाका वर्णन ...........
२६ - श्रीरामके द्वारा शम्बूकका वध और मरे हुए ब्राह्मण बालकको जीवनकी प्राप्ति...
२७- महर्षि अगस्त्यद्वारा राजा श्वेतके उद्धारकी कथा
२८- दण्डकारण्यकी उत्पत्तिका वर्णन
२९ - श्रीरामका लंका, रामेश्वर, पुष्कर एवं मथुरा होते हुए गंगातटपर जाकर भगवान् श्रीवामनकी स्थापना करना ...
३०- भगवान् श्रीनारायणको महिमा, युगोंका परिचय, प्रलयके जलमें मार्कण्डेयजीको भगवान्के दर्शन तथा भगवानकी नाभि कमलकी उत्पत्ति,
३१- मधु-कैटभका वध तथा सृष्टि-परम्पराका वर्णन
३२- तारकासुरके जन्मकी कथा, तारककी तपस्या, उसके द्वारा देवताओंकी पराजय और ब्रह्माजीका देवताओंको सान्त्वना देना.
३३- पार्वतीका जन्म, मदन दहन, पार्वतीको तपस्या और उनका भगवान् शिवके साथ विवाह ...
विषय
५१ सोमशर्माकी पितृ-भक्ति,
३४.गणेश और कार्तिकेयका जन्म तथा कार्तिकेय- द्वारा तारकासुर का वध
१६० ५२- सुव्रतकी उत्पत्तिके प्रसंग सुमना और
शिवशर्माका संवाद - विविध प्रकारके पुत्रोंका वर्णन तथा दुर्वासाद्वारा धर्मको शाप १६९ ५३- सुमनाके द्वारा ब्रह्मचर्य, सांगोपांग धर्म तथा
३५ उत्तम ब्राह्मण और गायत्री मन्त्री महिमा
३६ अधम ब्राह्मणका वर्णन, पतित विप्रकी कथा और गरुड़जीका चरित्र,
३७- ब्राह्मणों के जीविकोपयोगी कर्म और उनका महत्व तथा गौकी महिमा और गोदानका धर्मात्मा और पापियोंकी मृत्युका वर्णन ५४ वसिष्ठजीके द्वारा सोमशर्मा के पूर्वजन्म-सम्बन्धी शुभाशुभ कर्मोंका वर्णन तथा उन्हें भगवान्के भजनका उपदेश,
३८- दिनोचित आचार, तर्पण तथा शिष्टाचारका वर्णन
१८० ५५ सोमशमकि द्वारा भगवान् श्रीविष्णुकी आराधना, भगवान्का उन्हें दर्शन देना तथा सोमशर्माका उनकी स्तुति करना .....
३९- पितृभक्ति, पातिव्रत्य, समता, अद्रोह और विष्णुभक्तिरूप पाँच महायज्ञोंके विषयमें ब्राह्मण नरोत्तमको कथा
४० पतिव्रता ब्राह्मणीका उपाख्यानकुलस्त्रयों सम्बन्धमें उमा नारद-संवाद, पतिव्रताको महिमा और कन्यादानका फल
१८४ ५६- श्रीभगवान्के वरदानसे सोमशर्माको सुव्रत नामक पुत्रकी प्राप्ति तथा सुव्रतका तपस्यासे माता-पितासहित वैकुण्ठलोकमें जाना
४१. तुलाधारके सत्य और समताकी प्रशंसा, सत्य- भाषणकी महिमा, लोभ-त्यागके विषयमें एक शूद्रकी कथा और मूक चाण्डाल आदिका परमधामरामन
४२ पोखरे खुदाने वृक्ष लगाने, पीपलको पूजा करने, पौंसले (प्याऊ) चलाने, गोचरभूमि छोड़ने देवालय बनवाने और देवताओंकी पूजा करनेका माहात्म्य.....
४३. रुद्राक्षको उत्पत्ति और महिमा तथा आँवलेके फलको महिमामें प्रेतोंकी कथा और तुलसी- दलका माहात्म्य
१९६ ५७- राजा पृथुके जन्म और चरित्रका वर्णन.......... ५८- मृत्युकन्या सुनीथाको गन्धर्वकुमारका शाप, अंगको तपस्या और भगवान्से वर प्राप्ति........
५९ सुनीथाका तपस्याके लिये वनमें जाना, रम्भा आदि सखियाँका वहाँ पहुँचकर उसे मोहिनी विद्या सिखाना, अंगके साथ उसका गान्धर्व- विवाह, वेनका जन्म और उसे राज्यकी प्राप्ति
६० छद्मवेषधारी पुरुषके द्वारा जैन-धर्मका वर्णन, उसके बहकावे में आकर वेनकी पापमें प्रवृत्ति और सप्तर्षियोंद्वारा उसकी भुजाओंका मन्थन ६१- वेनकी तपस्या और भगवान् श्रीविष्णुके द्वारा उसे दान तीर्थ आदिका उपदेश
६२- श्रीविष्णुद्वारा नैमित्तिक और आभ्युदयिक आदि दानोंका वर्णन और पत्नीतीर्थके प्रसंगमें सती सुकलाकी कथा ..
४४- तुलसी स्तोत्रका वर्णन ४५ श्रीगंगाजीकी महिमा और उनको उत्पत्ति,
४६- गणेशजीकी महिमा और उनकी स्तुति एवं पूजाका फल
६३- सुकलाका रानी सुदेवाकी महिमा बताते हुए
४७- संजय व्यास-संवाद- मनुष्ययोनिमें उत्पन्न हुए दैत्य और देवताओंके लक्षण..........
एक शूकर और शूकरीका उपाख्यान सुनाना,
४८ भगवान् सूर्यका तथा संक्रान्तिमें दानका माहात्म्य शूकरीद्वारा अपने पति के पूर्वजन्मका वर्णन ......
२२५ ६४- शूकरीद्वारा अपने पूर्वजन्मके वृत्तान्तका वर्णन तथा रानी सुदेवाके दिये हुए पुण्यसे उसका उद्धार
४९- भगवान् सूर्यको उपासना और उसका फल- भदेश्वरको कथा
भूमिखण्ड
६५- सुकलाका सतीत्व नष्ट करनेके लिये इन्द्र और काम आदिको कुचेष्टा तथा उनका असफल होकर लौट आना
५० शिवरामक चार पुर्वेका पितृभक्तिके प्रभावसे श्रीविष्णुधामको प्राप्त होना.
६६ सुकलाके स्वामीका तीर्थयात्रा लौटना और
धर्मकी आज्ञासे सुकलाके साथ श्राद्धादि
करके देवताओंसे वरदान प्राप्त करना ६७- पितृतीर्थके प्रसंग पिप्पलकी तपस्या और सुकर्माकी पितृभक्तिका वर्णन, सारसके कहने से पिप्पलका सुकर्मा के पास जाना और सुकर्माका उन्हें माता- पिताकी सेवाका महत्त्व बताना.......
६८- सुकर्माद्वारा ययाति और मातलिके संवादका उल्लेख मातलिके द्वारा देहकी उत्पत्ति, उसकी अपवित्रता, जन्म-मरण और जीवनके कष्ट तथा संसारकी दुःखरूपताका वर्णन ........
६९- पापों और पुण्योंके फलोंका वर्णन............ ७०- मातलिके द्वारा भगवान् शिव और श्रीविष्णुकी महिमाका वर्णन, मातलिको विदा करके राजा ययातिका वैष्णवधर्मके प्रचारद्वारा भूलोकको वैकुण्ठतुल्य बनाना तथा ययातिके दरबार में काम आदिका नाटक खेलना........
७१ ययातिके शरीरमें जरावस्थाका प्रवेश, कामकन्यासे भेंट, पूरुका यौवन दान, ययातिका कामकन्याके साथ प्रजावर्गसहित वैकुण्ठधाम गमन
७२- गुरुतीर्थके प्रसंगमें महर्षि च्यवनकी कथा-
कुंजल पक्षीका अपने पुत्र उज्ज्वलको ज्ञान, व्रत और स्तोत्रका उपदेश ......
७३- कुंजलका अपने पुत्र विज्वलको उपदेश- महर्षि जैमिनिका सुबाहुसे दानकी महिमा कहना तथा नरक और स्वर्गमें जानेवाले पुरुषका वर्णन
७४- कुंजलका अपने पुत्र विज्वलको श्रीवासुदेवाभिधान-स्तोत्र सुनाना ............
७५- कुंजल पक्षी और उसके पुत्र कपिंजलका संवाद - कामोदाकी कथा और विहुण्ड दैत्यका वध
७६- कुंजलका च्यवनको अपने पूर्व-जीवनका वृत्तान्त बताकर सिद्ध पुरुषके कहे हुए ज्ञानका उपदेश करना, राजा वेनका यज्ञ आदि करके विष्णुधाममें जाना तथा पद्मपुराण और भूमिखण्डका माहात्म्य.
७० आदि सृष्टिके क्रमका वर्णन
७८- भारतवर्षका वर्णन और वसिष्ठजीके द्वारा पुष्कर तीर्थकी महिमाका बखान
७९ जम्बूमार्ग आदि तीर्थ, नर्मदा नदी, अमर-कण्टक पर्यंत तथा कावेरी संगमकी महिमा
८० नर्मदा तटवर्ती तीथका वर्णन
८१- विविध तीर्थोकी महिमाका वर्णन
८२ धर्मतीर्थ आदिकी महिमा, यमुना स्नानका माहात्म्य-हेमकुण्डल वैश्य और उसके पुत्रकी कथा एवं स्वर्ग तथा नरकमें से जानेवाले शुभाशुभ कर्मों का वर्णन.
८३- सुगन्ध आदि तीर्थोकी महिमा तथा काशीपुरीका माहात्म्य
८४- पिशाचमोचन कुण्ड एवं कपर्दीश्वरका माहात्म्य-पिशाच तथा शंकुकर्ण मुनिके मुक्त होनेकी कथा और गया आदि तीर्थोकी महिमा
१८५- ब्रह्मस्थूणा आदि तीर्थों तथा प्रयागकी महिमा; इस प्रसंगके पाठका माहात्म्य
४८६- मार्कण्डेयजी तथा श्रीकृष्णका युधिष्ठिरको प्रयागकी महिमा सुनाना
८७- भगवान्के भजन एवं नाम कीर्तनकी महिमा
८८- ब्रह्मचारीके पालन करनेयोग्य नियम ८९- ब्रह्मचारी शिष्यके धर्म
९० - स्नातक और गृहस्थके धर्मोका वर्णन. ९१- व्यावहारिक शिष्टाचारका वर्णन
९२- गृहस्थधर्ममें भक्ष्याभक्ष्यका विचार तथा दान-
धर्मका वर्णन
९९३- वानप्रस्थ आश्रमके धर्मका वर्णन
९४- संन्यास आश्रमके धर्मका वर्णन
९५- संन्यासीके नियम
९६ - भगवद्भक्तिकी प्रशंसा, स्त्री-संगकी निन्दा, भजनकी महिमा, ब्राह्मण, पुराण और गंगाकी महत्ता, जन्म आदिके दुःख तथा हरिभजनकी आवश्यकता
९७- श्रीहरिके पुराणमय स्वरूपका वर्णन तथा पद्मपुराण और स्वर्गखण्डका माहात्म्य
पृष्ठ-सं १११- चक्रांका नगरीके राजकुमार दमनद्वारा घोड़ेका पकड़ा जाना तथा राजकुमारका प्रतापाग्रयको युद्धमें परास्त करके स्वयं पुष्कलक द्वारा पराजित होना
९८- शेषजीका वात्स्यायन मुनिसे रामाश्वमेधकी कथा आरम्भ करना, श्रीरामचन्द्रजीका लंकासे अयोध्याके लिये विदा होना .
९९- भरतसे मिलकर भगवान श्रीरामका अयोध्याके निकट आगमन
११२- राजा सुबाहुका भाई और पुत्रोंसहित युद्ध आना तथा सेनाका क्रौंच-व्यूहनिर्माण. ११३- राजा सुबाहुकी प्रशंसा तथा लक्ष्मीनिधि और सुकेतुका द्वन्द्व-युद्ध
४२६
१०० श्रीरामका नगर प्रवेश, माताओंसे मिलना, राज्य ग्रहण करना तथा रामराज्यकी सुव्यवस्था १०१ - देवताओंद्वारा श्रीरामकी स्तुति, श्रीरामका उन्हें वरदान देना तथा रामराज्यका वर्णन......
४२८
११४- पुष्कलके द्वारा चित्रांगका वध, हनुमान्जीके चरण-प्रहारसे सुबाहुका शापोद्धार तथा उनका आत्मसमर्पण....
४३१
१०२- श्रीरामके दरबारमें अगस्त्यजीका आगमन, उनके द्वारा रावण आदिके जन्म तथा तपस्याका वर्णन और देवताओंकी प्रार्थनासे भगवान्का अवतार लेना
११५- तेजःपुरके राजा सत्यवान्की जन्मकथा- सत्यवान्का शत्रुघ्नको सर्वस्व-समर्पण .......
११६- शत्रुघ्नके द्वारा विद्युन्माली और उग्रदंष्ट्रका वध तथा उसके द्वारा चुराये हुए अश्वकी प्राप्ति....
४३४
१०३ - अगस्त्यका अश्वमेधयज्ञकी सलाह देकर अश्वकी परीक्षा करना तथा यज्ञके लिये आये। हुए ऋषियोंद्वारा धर्मकी चर्चा. १०४ यज्ञ सम्बन्धी अश्वका छोड़ा जाना और श्रीरामका
११७- शत्रुघ्न आदिका घोड़ेसहित आरण्यक मुनिके आश्रमपर जाना, मुनिकी आत्म कथामें रामायणका वर्णन और अयोध्यामें जाकर उनका श्रीरघुनाथजीके स्वरूपमें मिल जाना..........उसकी रक्षा के लिये शत्रुघ्नको उपदेश करना
१०५- शत्रुघ्न और पुष्कल आदिका सबसे मिलकर सेनासहित घोड़ेके साथ जाना, राजा सुमदकी कथा तथा सुमदके द्वारा शत्रुघ्नका सत्कार....
१०६ शत्रुघ्नका राजा सुमदको साथ लेकर आगे जाना और च्यवनमुनिके आश्रमपर पहुँचकर सुमतिके मुखसे उनकी कथा सुनना- च्यवनका सुकन्यासे ब्याह
१०७- सुकन्याके द्वारा पतिकी सेवा, च्यवनको यौवन- प्राप्ति, उनके द्वारा अश्विनीकुमारों को यज्ञभाग- अर्पण तथा च्यवनका अयोध्या-गमन..........
१०८- सुमतिका शत्रुघ्नसे नीलाचलनिवासी भगवान् पुरुषोत्तमकी महिमाका वर्णन करते हुए एक इतिहास सुनाना
४४१ ११८- देवपुरके राजकुमार रुक्मांगदद्वारा अश्वका अपहरण, दोनों ओरकी सेनाओंमें युद्ध और पुष्कलके बाणसे राजा वीरमणिका मूर्च्छित होना
४४४ ११९ - हनुमान्जीके द्वारा वीरसिंहकी पराजय, वीरभद्रके हाथसे पुष्कलका वध, शंकरजीके द्वारा शत्रुघ्नका मूच्छित होना, हनुमानके पराक्रमसे शिवका सन्तोष, हनुमान्जीके उद्योगसे मरे हुए वीरोंका जीवित होना, श्रीरामका प्रादुर्भाव और वीरमणिका आत्मसमर्पण.
१२० - अश्वका गात्र-स्तम्भ, श्रीरामचरित्र कीर्तनसे एक स्वर्गवासी ब्राह्मणका राक्षसयोनिसे उद्धार तथा अश्वके गात्र-स्तम्भकी निवृत्ति
१२१ - राजा सुरथके द्वारा अश्वका पकड़ा जाना, राजाकी भक्ति और उनके प्रभावका वर्णन, अंगदका दूत बनकर राजाके यहाँ जाना और राजाका युद्धके लिये तैयार होना
१०९ - तीर्थयात्राकी विधि, राजा रत्नग्रीवकी यात्रा तथा गण्डकी नदी एवं शालग्रामशिलाकी महिमाके प्रसंग एक पुल्कसकी कथा ................
१२२- युद्धमें चम्पकके द्वारा पुष्कलका बाँधा जाना, हनुमान्जीका चम्पकको मूर्च्छित करके पुष्कलको छुड़ाना, सुरथका हनुमान् और शत्रुघ्न आदिको जीतकर अपने नगरमें ले जाना तथा श्रीरामके आनेसे सबका छुटकारा होना
११० - राजा रत्नग्रीवका नीलपर्वतपर भगवान् का दर्शन करके रानी आदिके साथ वैकुण्ठको जाना तथा शत्रुघ्नका नीलपर्वतपर पहुँचना
१२३- वाल्मीकि आश्रमपर लवद्वारा घोड़कर बँधना और अश्य-रक्षकोंकी भुजाओंका काटा जाना १२४ गुप्तचरोंसे अपवादकी बात सुनकर श्रीरामका भरतके प्रति सीताको वनमें छोड़ अनेका आदेश और भरतको मूर्च्छा,
१३५- भगवान श्रीकृष्णके द्वारा व्रज तथा द्वारकामै निवास करनेवालोंको मुक्ति, वैष्णवी द्वादश शुद्धि, पाँच प्रकारकी पूजा, शालग्रामके स्वरूप और महिमाका वर्णन, तिलककी विधि, अपराध और उनसे छूटनेके उपाय, हविष्यान्न और तुलसीकी महिमा द्वारा
५३२ २३६- नाम-कीर्तनकी महिमा, भगवान के चरण- चिह्नोंका परिचय तथा प्रत्येक मासमें भगवान्की विशेष आराधनाका वर्णन १३७- मन्त्रचिन्तामणिका उपदेश तथा उसके ध्यान
१२५ सीताका अपवाद करनेवाले धोबी के पूर्वजन्मका वृतान्त
१२६ भी लक्ष्मणका दुःखित चित्तसे सीताको जंगलमें छोड़ना और वाल्मीकिके आश्रमपर लय- कुशका जन्म एवं अध्ययन.........
१२७- युद्धमें लवके द्वारा सेनाका संहार, कालजितका वध तथा पुष्कल और हनुमानजीका मूच्छित होना
१२८- शत्रुघ्न के बाणसे सबकी मूछ कुशकारण- क्षेत्रमें आना, कुश और लवकी विजय तथा सीताके प्रभावसे शत्रुघ्न आदि एवं उनके सैनिकोंकी जीवरक्षा
आदिका वर्णन १३८- दीक्षाकी विधि तथा श्रीकृष्णके द्वारा रुद्रको
युगल मन्त्रकी प्राप्ति ५४२ १३९- अम्बरीष नारद-संवाद तथा नारदजीके द्वारा
निर्गुण एवं सगुण ध्यानका वर्णन. १४०- भगवद्भक्तिके लक्षण तथा वैशाख स्नानकी
महिमा
५४५ १४१ वैशाख माहात्म्य
१४२ वैशाख स्नानसे पाँच प्रेतोंका उद्धार तथा
१२९ शत्रुघ्न आदिका अयोध्यामें जाकर श्रीरघुनाथजी से मिलना तथा मन्त्री सुमतिका उन्हें यात्राका समाचार बतलाना.
१३०- वाल्मीकिजी के द्वारा सीताकी शुद्धता और अपने पुत्रोंका परिचय पाकर श्रीरामका सीताको लानेके लिये लक्ष्मणको भेजना, लक्ष्मण और सीताकी बातचीत, सीताका अपने पुत्रोंको भेजकर स्वयं न आना, श्रीरामकी प्रेरणासे पुनः लक्ष्मणका उन्हें बुलानेको जाना तथा शेषजीका वात्स्यायनको रामायणका परिचय देना
१३१ - सीताका आगमन, यज्ञका आरम्भ, अश्वकी मुक्ति, उसके पूर्वजन्मकी कथा, यज्ञका उपसंहार और रामभक्ति तथा अश्वमेध-कथा-श्रवणकी महिमा
१३२- वृन्दावन और श्रीकृष्णका माहात्म्य
१३३ श्रीराधा-कृष्ण और उनके पार्षदोंका वर्णन तथा - नारदजीके द्वारा व्रजमें अवतीर्ण श्रीकृष्ण और राधाके दर्शन
१३४ भगवान्के परात्पर स्वरूप श्रीकृष्णकी महिमा - - तथा मथुराके माहात्म्यका वर्णन
'पाप-प्रशमन' नामक स्तोत्रका वर्णन ५५१ १४३- वैशाख मासमें स्नान, तर्पण और श्रीमाधव- पूजनकी विधि एवं महिमा.
१४४- यम- ब्राह्मण-संवाद-नरक तथा स्वर्गमें ले जानेवाले कर्मोंका वर्णन .........
१४५ तुलसीदल और अश्वत्थकी महिमा तथा वैशाख माहात्म्यके सम्बन्धमें तीन प्रेतोंक
उद्धारकी कथा १४६ - वैशाख माहात्म्यके प्रसंगमें राजा महीरथकी
कथा और यम-ब्राह्मण-संवादका उपसंहार १४७- भगवान् श्रीकृष्णका ध्यान
५६०
१४८- नारद-महादेव-संवाद- बदरिकाश्रम तथा नारायणको महिमा
५६४
उत्तरखण्ड
१४९- गंगावतरणकी संक्षिप्त कथा और हरिद्वारका
५६८
माहात्म्य १५० - गंगाकी महिमा, श्रीविष्णु, यमुना, गंगा, प्रयाग, काशी, गया एवं गदाधरकी स्तुति ५७२ १५१ - तुलसी, शालग्राम तथा प्रयागतीर्थका माहात्म्य
पृष्ठ संख्या
६३५ १७२ कार्तिक मासको 'रमा' और 'प्रबोधिनी'
१५२- त्रिरात्र तुलसीव्रत की विधि और महिमा......... १५३- अन्नदान, जलदान, तडाग-निर्माण, वृक्षारोपण
एकादशीका माहात्म्य १७३- पुरुषोत्तम मासकी 'कमला' और 'कामदा' एकादशीका माहात्म्य
६३७
तथा सत्यभाषण आदिको महिमा. १५४- मन्दिरमें पुराणकी कथा कराने और सुपात्रको दान देने से होनेवाली सद्गतिके विषयमें एक १७४- चातुर्मास्य व्रतकी विधि और उद्यापन. आख्यान तथा गोपीचन्दनके तिलककी महिमा
६४०
१७५ यमराजकी आराधना और गोपीचन्दनका माहात्म्य
१५५ संवत्सरदीप व्रतकी विधि और महिमा...... १५६ जयन्ती संज्ञावाली जन्माष्टमी व्रत तथा विविध प्रकारके दान आदिकी महिमा........
१७६- वैष्णवोंके लक्षण और महिमा तथा श्रवण- ६.४५ द्वादशी व्रतकी विधि और माहात्म्य-कथा......
१७७- नाम-कीर्तनकी महिमा तथा श्रीविष्णुसहस्रनाम-
१५७ महाराज दशरथका शनिको संतुष्ट करके लोकका कल्याण करना १५८- त्रिस्पृशाव्रतकी विधि और महिमा.
६४९
स्तोत्रका वर्णन. १७८- गृहस्थ आश्रमकी प्रशंसा तथा दान-धर्मकी
६५१ १५९ पक्षवर्धिनी एकादशी तथा जागरणका माहात्म्य ६५३
१६० एकादशीके जया आदि भेद, नक्तव्रतका स्वरूप, एकादशीकी विधि, उत्पत्ति कथा और महिमाका वर्णन
महिमा. १७९- गण्डकी नदीका माहात्म्य तथा अभ्युदय एवं और्ध्वदैहिक नामक स्तोत्रका वर्णन
६५७
१६१- मार्गशीर्ष शुक्लपक्षकी 'मोक्षा' एकादशीका
१८० ऋषिपंचमी व्रतकी कथा, विधि और महिमा १८१- न्याससहित अपामार्जन नामक स्तोत्र और
उसकी महिमा १८२ श्रीविष्णुकी महिमा - भक्तप्रवर पुण्डरीककी
०६६३
कथा १८३- श्रीगंगाजीकी महिमा, वैष्णव पुरुषोंके लक्षण
159
६६५
माहात्म्य १६२ पौष मासकी सफला' और 'पुत्रदा' नामक
एकादशीका माहात्म्यः १६३ माघ मासकी पट्तिला' और 'जया'
एकादशीका माहात्म्य... १६४ फाल्गुन मासकी 'विजया' तथा 'आमलकी'
एकादशीका माहात्म्य १९६५ चैत्र मासकी 'पापमोचनी' तथा 'कामदा'
एकादशीका माहात्म्य
१६६ वैशाख मासकी 'वरूपचिनो' और 'मोहिनी' एकादशीका माहात्म्य.
१६७- ज्येष्ठ मासको 'अपरा' तथा 'निर्जला'
एकादशीका माहात्म्य १६८ आषाढ़ मासकी 'योगिनी' और 'शयिनी' एकादशीका माहात्म्य.
१६९ श्रावण मासको 'कामिका' और 'पुत्रदा' एकादशीका माहात्म्य
१७० भाद्रपद मासकी 'अजा' और 'पद्या एकादशीका माहात्म्य
१७१ आश्विन मासको 'इन्दिरा' और 'पापांकुशा' एकादशीका माहात्म्य
तथा श्रीविष्णु प्रतिमाके पूजनका माहात्म्य १८४- चैत्र और वैशाख मासके विशेष उत्सवका वर्णन, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़में जलस्थ श्रीहरिके पूजनका महत्त्व
६६७
६७२ १८५ पवित्रारोपणकी विधि, महिमा तथा भिन्न-भिन्न मासमें श्रीहरिकी पूजामें काम आनेवाले विविध ६७४ पुष्पोंका वर्णन
६७६ १८६ कार्तिक- व्रतका माहात्म्य-गुणवतीको कार्तिकव्रतके पुण्यसे भगवान्की प्राप्ति........६७९ १८७- कार्तिककी श्रेष्ठताके प्रसंगमें शंखासुरके वध, 'वेदोंके उद्धार तथा' तीर्थराज के उत्कर्षकी कथा
६८१ १८८- कार्तिक मासमें स्नान और पूजनकी विधि..... ११८९ कार्तिक-व्रतके नियम और उद्यापनको विधि
६८३ १९० कार्तिक- व्रतके पुण्यदानसे एक राक्षसीका उद्धार १९१ - कार्तिक माहात्म्यके प्रसंगमें राजा चोल और
६८५
विष्णुदासकी कथा
माहात्म्य २१६- श्रीमद्भगवद्गीताके नवें और दसवें अध्यायोंका
१९२ - पुण्यात्माओंके संसर्गसे पुण्य की प्राप्ति के प्रसंगम धनेश्वर ब्राह्मणकी कथा
१७८३
१९३- अशक्तावस्थामें कार्तिक-व्रतके निर्वाहका उपाय १९४- कार्तिक मासका माहात्म्य और उसमें पालन
२१७- श्रीमद्भगवद्गीताके ग्यारहवें अध्यायका माहात्म्य २१८- श्रीमद्भगवद्गीताके बारहवें अध्यायका माहात्म्य करने योग्य नियम
७८८ २१९ - श्रीमद्भगवद्गीताके तेरहवें और चौदहवें
१९५ - प्रसंगतः माघस्तानकी महिमा, शूकरक्षेत्रका माहात्म्य तथा मासोपवास-व्रतकी विधिका वर्णन १९६- शालग्रामशिलाके पूजनका माहात्म्य ...........
अध्यायोंका माहात्म्य
७९१ २२० श्रीमद्भगवद्गीताके पंद्रहवें तथा सोलहवें
७९२
अध्यायोंका माहात्म्य २२१- श्रीमद्भगवद्गीताके सत्रहवें और अठारहवें
१९७- भगवत्पूजन, दीपदान, यमतर्पण, दीपावली- कृत्य, गोवर्धन पूजा और यमद्वितीया के दिन करनेयोग्य कृत्योंका वर्णन
अध्यायोंका माहात्म्य
७९४ २२२- देवर्षि नारदकी सनकादिसे भेंट तथा नारदजीके
१९८- प्रबोधिनी एकादशी और उसके जागरणका महत्त्व तथा भीष्म पंचक व्रतको विधि एवं महिमा १९९- भक्तिका स्वरूप, शालग्रामशिलाकी महिमा तथा वैष्णव पुरुषोंका माहात्म्य................
द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्यके वृत्तान्तका वर्णन २२३- भक्तिका कष्ट दूर करनेके लिये नारदजीका
७९६
उद्योग और सनकादिके द्वारा उन्हें साधनकी प्राप्ति ७९८ २२४- सनकादिद्वारा श्रीमद्भागवतकी महिमाका वर्णन तथा कथा-रससे पुष्ट होकर भक्ति, ज्ञान और वैराग्यका प्रकट होना.
२००- भगवत्स्मरणका प्रकार, भक्तिकी महत्ता, भगवत्तत्त्वका ज्ञान, प्रारब्धकर्मकी प्रबलता तथा भक्तियोगका उत्कर्ष २०१- पुष्कर आदि तीर्थोंका वर्णन
२२५- कथामें भगवान्का प्रादुर्भाव, आत्मदेव
८०४
ब्राह्मणकी कथा-धुन्धुकारी और गोकर्णकी
२०२ - वेत्रवती और साभ्रमती (साबरमती) नदीका माहात्म्य
उत्पत्ति तथा आत्मदेवका वनगमन ...
८०५
२२६ - गोकर्णजीकी भागवत कथासे धुन्धुकारीका
२०३- साभ्रमती नदीके अवान्तर तीर्थोका वर्णन ......
८०९
प्रेतयोनिसे उद्धार तथा समस्त श्रोताओंको
२०४- अग्नितीर्थ, हिरण्यासंगमतीर्थ, धर्मतीर्थ आदिकी महिमा परमधामकी प्राप्ति
८११
२२७- श्रीमद्भागवतके सप्ताह पारायणकी विधि तथा भागवत माहात्म्यका उपसंहार
२०५- साभ्रमती-तटके कपीश्वर, एकधार, सप्तधार और ब्रह्मवल्ली आदि तीर्थोकी महिमाका वर्णन २०६- साभ्रमती तटके बालार्क, दुर्धर्षेश्वर तथा
८१३
२२८- यमुना तटवर्ती 'इन्द्रप्रस्थ' नामक तीर्थकी माहात्म्य-कथा
खड्गधार आदि तीर्थोकी महिमाका वर्णन ... २०७ - वात्रघ्नी आदि तीर्थोंकी महिमा
८१६
२२९ - निगमोद्बोध नामक तीर्थकी महिमा- शिवशर्माके पूर्वजन्मकी कथा
२०८ - श्रीनृसिंहचतुर्दशीके व्रत तथा श्रीनृसिंहतीर्थकी महिमा
२३०- देवल मुनिका शरभको राजा दिलीपकी कथा सुनाना- राजाको नन्दिनीकी सेवासे पुत्रकी प्राप्ति
८२४
२०९ - श्रीमद्भगवद्गीताके पहले अध्यायका माहात्म्य २१०- श्रीमद्भगवद्गीताके दूसरे अध्यायका माहात्म्य
२११ - श्रीमद्भगवद्गीताके तीसरे अध्यायका माहात्म्य २१२ - श्रीमद्भगवद्गीताके चौथे अध्यायका माहात्म्य
८३१ २३१ - शरभको देवीकी आराधनासे पुत्रकी प्राप्ति; शिवशर्माके पूर्वजन्मकी कथाका और
८३४
२१३- श्रीमद्भगवद्गीताके पाँचवें अध्यायका माहात्म्य ८३६ २१४- श्रीमद्भगवद्गीताके छठे अध्यायका माहात्म्य
निगमोद्बोधक तीर्थकी महिमाका उपसंहार......
८३७ २३२ - इन्द्रप्रस्थके द्वारका, कोसला, मधुवन, बदरी,
२१५ - श्रीमद्भगवद्गीताके सातवें तथा आठवें अध्यायोंका माहात्म्य
हरिद्वार, पुष्कर, प्रयाग, काशी, कांची और गोकर्ण आदि तीर्थोंका माहात्म्य
मन्धनसे लक्ष्मीजीका प्रादुर्भाव और एकादशी-
२३३- वसिष्ठजीका दिलीपसे तथा भृगुजीका विद्याधरसे मास्नानकी महिमा बताना तथा माघस्नानसे विद्याधरकी कुरूपताका दूर होना द्वादशीका माहात्म्य
८९८ २५०- नृसिंहावतार एवं प्रहादजीकी कथा, २५१- वामन अवतारके वैभवका वर्णन.
२३४- मृगभृंग मुनिका भगवान्से वरदान प्राप्त करके अपने पर लौटना २३५ मृगभृंग मुनिके द्वारा मापके पुण्यसे एक
९०१ २५२- परशुरामावतारकी कथा.
२५३- श्रीरामावतारकी कथा-जन्मका प्रसंग ....... २५४- श्रीरामका जातकर्म, नामकरण, भरत आदिका
हाथीका उद्धार तथा मरी हुई कन्याओंका जीवित होना
९०४
जन्म, सीताकी उत्पत्ति, विश्वामित्रकी यजरक्षा तथा राम आदिका विवाह
२३६- यमलोक से लौटी हुई कन्याओंके द्वारा वहाँ की अनुभूत बातोंका वर्णन..
९०९ २५५ - श्रीरामके वनवाससे लेकर पुन: अयोध्या में
२३७- महात्मा पुष्करके द्वारा नरकमें पड़े हुए जीवोंका उद्धार
आनेतकका प्रसंग. ९१४ २५६- श्रीरामके राज्याभिषेकसे परमधामगमनतकका प्रसंग
२३८- मृगभृंगका विवाह, विवाहके भेद तथा गृहस्थ- आश्रमका धर्म..........
९१६ २५७ श्रीकृष्णावतारकी कथा-व्रजकी लीलाओंका ९२० प्रसंग
२३९- पतिव्रता स्त्रियोंके लक्षण एवं सदाचारका वर्णन
२४० मृगशृंगके पुत्र मृकण्डु मुनिकी काशी यात्रा. २५८- भगवान् श्रीकृष्णकी मथुरा-यात्रा, कंसवध ९२३ और उग्रसेनका राज्याभिषेक २५९ - जरासन्धकी पराजय द्वारका-दुर्गकी रचना,
काशी-माहात्म्य तथा माताओंकी मुक्ति. २४१- मार्कण्डेयजीका जन्म, भगवान् शिवकी आराधनासे अमरत्व प्राप्ति तथा मृत्युंजय-
कालयवनका वध और मुचुकुन्दकी मुक्ति. ९२५ २६०- सुधर्मा सभाकी प्राप्ति, रुक्मिणी हरण तथा
स्तोत्रका वर्णन २४२ माघस्नान के लिये मुख्य-मुख्य तीर्थ और नियम २४३- माघ मासके स्नानसे सुव्रतको दिव्यलोककी रुक्मिणी और श्रीकृष्णका विवाह २६१- भगवान् के अन्यान्य विवाह, स्यमन्तकमणिकी कथा, नरकासुरका वध तथा पारिजातहरण ९३४ २६२ अनिरुद्धका ऊषाके साथ विवाह
प्राप्ति २४४- सनातन मोक्षमार्ग और मन्त्रदीक्षाका वर्णन २४५- भगवान् विष्णुकी महिमा, उनकी भक्तिके भेद
तथा अष्टाक्षर मन्त्र के स्वरूप एवं अर्थका निरूपण २४६ श्रीविष्णु और लक्ष्मीके स्वरूप, गुण, धाम एवं विभूतियोंका वर्णन २४७- वैकुण्ठधाममें भगवान्को स्थितिका वर्णन,
२६३- पौण्ड्रक, जरासन्ध, शिशुपाल और दन्तवक्त्र-
योगमायाद्वारा भगवान्की स्तुति तथा भगवान् के द्वारा सृष्टि रचना
२४८- देवसर्ग तथा भगवान्के चतुर्व्यूहका वर्णन ...... २४९ मत्स्य और कूर्म अवतारों की कथा, समुद्र- का वध, व्रजवासियोंकी मुक्ति, सुदामाको ऐश्वर्य प्रदान तथा यदुकुलका उपसंहार...... ९३९ २६४ श्रीविष्णु-पूजनकी विधि तथा वैष्णवोचित
आचारका वर्णन
२६५ श्रीराम-नामकी महिमा तथा श्रीरामके १०८ नामका माहात्म्य
९४२ ९४४ २६६ - त्रिदेवोंमें श्रीविष्णुको श्रेष्ठता तथा ग्रन्थका उपसंहार.
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