श्रीवराह पुराण हिन्दी कथा सूची ( Varaah puran Stories in hindi)

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Varaah puran Stories in hindi. Varah Puran Ki Stories

 सम्पूर्ण वराह पुराण की  हिंदी कथा  सूची.


उनका ब्रह्ममें लीन होना

१५ महातपाका उपाख्यान

५०

१- भगवान् वराहके प्रति पृथ्वीका प्रश्न और भगवान् के उदरमें विश्वब्रह्माण्डका दर्शनकर भयभीत हुई पृथ्वीद्वारा उनकी स्तुति.


२- विभिन्न सर्गोका वर्णन तथा देवर्षि नारदको वेदमाता सावित्रीका अद्भुत कन्याके रूपमें दर्शन होनेसे आश्चर्यकी प्राप्ति



१६- प्रतिपदा तिथि एवं अग्निको महिमाका वर्णन.


१७- अश्विनीकुमारोंकी उत्पत्तिका प्रसङ्ग और उनके द्वारा भगवत्स्तुति


११


१८ गौरीकी उत्पत्तिका प्रसङ्ग, द्वितीया तिथि एवं रुद्रद्वारा जलमें तपस्या, दक्षके यज्ञमें रुद्र और विष्णुका संघर्ष.


३- देवर्षि नारदद्वारा अपने पूर्वजन्मवर्णनके प्रसङ्गमें 'ब्रह्मपारस्तोत्र'का कथन.


१५


५४


४- महामुनि कपिल और जैगीषव्यद्वारा राजा अश्वशिराको भगवान् नारायणकी सर्वव्यापकताका प्रत्यक्ष दर्शन कराना.


१९- तृतीया तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें हिमालयकी पुत्रीरूपमें गौरीकी उत्पत्तिका वर्णन और भगवान् शंकरके साथ उनके विवाहको कथा .....


५८


२०- गणेशजीकी उत्पत्तिका प्रसङ्ग और चतुर्थी


१७


तिथिका माहात्म्य २१ सर्पोकी उत्पत्तिका प्रसङ्ग और पञ्चमी


१५- रैभ्य मुनि और राजा वसुका देवगुरु बृहस्पतिसे संवाद तथा राजा अश्वशिराद्वारा यज्ञमूर्ति भगवान् नारायणका स्तवन एवं उनके श्रीविग्रहमें लीन होना.


६१


२०


तिथिकी महिमा २२- षष्ठी तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें स्वामी कार्तिकेयके जन्मकी कथा


६३


६५


२३- सप्तमी तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें आदित्योंकी


६- पुण्डरीकाक्षपार-स्तोत्र, राजा वसुके जन्मान्तरका प्रसङ्ग तथा उनका भगवान् श्रीहरिमें लय होना...


२३


७- रैभ्य- सनत्कुमार-संवाद, गयामें पिण्डदानकी महिमा एवं रैभ्य मुनिका ऊर्ध्वलोक गमन.


२६


८- भगवान्का मत्स्यावतार तथा उनकी देवताओंद्वारा स्तुति


९- राजा दुर्जयके चरित्र-वर्णनके प्रसङ्गमें मुनिवर गौरमुखके आश्रमकी शोभाका वर्णन,


३२


१०- राजा दुर्जयका चरित्र तथा नैमिषारण्यकी


६८


उत्पत्तिकी कथा. २४- अष्टमी तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें मातृकाओंकी


उत्पत्तिकी कथा.


६९


२५-नवमी तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें दुर्गादेवीकी उत्पत्ति-कथा.


७१


२६-दशमी तिथिके माहात्म्यके प्रसङ्गमें दिशाओंकी उत्पत्तिकी कथा.


प्रसिद्धिका प्रसङ्ग


३५


७४


२७-एकादशी तिथिके माहात्म्य के प्रसङ्गमें कुबेरकी उत्पत्ति-कथा.


११- राजा सुप्रतीककृत भगवान्की स्तुति तथा श्रीविग्रहमें लीन होना.


१२- पितरोंका परिचय, श्राद्धके समयका निरूपण तथा पितृगीत..


४०


७४


७५


१३- श्राद्ध-कल्प,


२८-द्वादशी तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें उसके


४२


अधिष्ठाता श्रीभगवान् विष्णुकी उत्पत्ति - कथा .......


४५ २९ - त्रयोदशी तिथि एवं धर्मकी उत्पत्तिका वर्णन


३० - चतुर्दशी तिथिके माहात्म्यके प्रसङ्गमें रुद्रकी


७६


१४- गौरमुखके द्वारा दस अवतारोंका स्तवन तथा

(4)


क्रम


पृष्ठ संख्या


क्रम


पृष्ठ-


संख्या


४८


५०


५१


-५२


८४


५४


- ४० वामन द्वादशीव्रत



उत्पत्तिका वर्णन


७८ ६३-कलियुगका वर्णन


३१- अमावास्या तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें पितरोंकी


६४- प्रकृति और पुरुषका निर्णय.


उत्पत्तिका कथन ३२- पूर्णिमा तिथिकी महिमाके प्रसङ्गमें उसके स्वामी


८१ ६५-वैराज वृत्तान्त ..........


६६-भुवनकोशका वर्णन.


चन्द्रमाकी उत्पत्तिका वर्णन ३३- प्राचीन इतिहासका वर्णन.


८१ ६७- जम्बूद्वीपसे सम्बन्धित सुमेरुपर्वतका वर्णन.


१८३


६८-आठ दिक्पालोंकी पुरियोंका वर्णन


३४- आरुणि और व्याधका प्रसङ्ग, नारायण-मन्त्र श्रवणसे ६९ - मेरुपर्वतका वर्णन .....


बाघका शापसे उद्धार ३५- सत्यतपाका प्राचीन प्रसङ्ग.


७०-मन्दर आदि पर्वतोंका वर्णन


१८७७१-मेरुपर्वतके जलाशय,


३६ मत्स्य- द्वादशीव्रतका विधान तथा फल-कथन


८८


७२- मेरुपर्वतकी नदियाँ


३७- कूर्म द्वादशीव्रत


९३ ७३- देवपर्वतोंपरके देव-स्थानोंका परिचय.


३८ - वराह- द्वादशीव्रत.


९४


७४- नदियोंका अवतरण


३९- नृसिंह- द्वादशीव्रत ९६ ७५- नैषध एवं रम्यकवर्षोंके कुलपर्वत, जनपद


९७


और नदियाँ. ९८ ७६- भारतवर्षके नौ खण्डोंका वर्णन


४१- जामदग्न्य- द्वादशीव्रत..


४२- श्रीराम एवं श्रीकृष्ण द्वादशीव्रत


९९


७७-शाक एवं कुशद्वीपोंका वर्णन.


४३- बुद्ध द्वादशीव्रत


१०० ७८-क्रौञ्च और शाल्मलिद्वीपका वर्णन


४४- कल्कि - द्वादशीव्रत.


.१०२


७९ - त्रिशक्ति-माहात्म्य और सृष्टिदेवीका आख्यान.....


४५- पद्मनाभ - द्वादशीव्रत.


.१०३


८०- त्रिशक्ति-माहात्म्यमें 'सृष्टि', 'सरस्वती' तथा 'वै


४६ - धरणीव्रत.


१०५


देवियोंका वर्णन. ८१ महिषासुरकी मन्त्रणा और देवासुर संग्राम.


४७- अगस्त्य-गीता


.२०७


४८-अगस्त्य-गीतामें पशुपालका चरित्र


१०८ १८२-महिषासुरका वध


४९ उत्तम पति प्राप्त करनेका साधनस्वरूप व्रत


१०९


१८३- त्रिशक्तिमाहात्म्य 'में रौद्रीव्रत


५०- शुभ-व्रत.


. ११० ८४-रुद्रके माहात्म्यका वर्णन.


५१-धन्य-व्रत.


.११२


८५- सत्यतपाका शेष वृत्तान्त.


५२ - कान्ति-व्रत


११३ ८६-तिलधेनुका माहात्म्य


५३ - सौभाग्य- व्रत:


. ११४ ८७- जलधेनु एवं रसधेनु दानकी विधि


५४- अविघ्नव्रत.


.११५ ८८-गुद्देनु- दानकी विधि


५५-शान्ति व्रत.


- ११६ ८९ शर्करा तथा मधुधेनुके दानको विधि, - ११६ १०- क्षीरधेनु' तथा 'दधिधेनु'दानकी विधि........


१५६ काम-व्रत


१५७- आरोग्य व्रत


११७ ११- नवनीतधेनु' तथा 'लवणधेनु' की दानविधि


५८- पुत्रप्राप्ति व्रत


. ११९ ९२ कार्पास' एवं 'धान्य- धेनु' की दानविधि...... .११९ ९३-कपिलादानकी विधि एवं माहात्म्य


५९- शौर्य एवं सार्वभौम- व्रत


६०-- राजा भद्राश्वका प्रश्न और नारदजीके द्वारा


९४-कपिला-माहात्म्य, ‘उभयतोमुखी' गोदान, हेमकुम्भदान और पुराणकी प्रशंसा. - १२२ ९५ पृथ्वीद्वारा भगवान्‌की विभूतियोंका वर्णन.....


विष्णु के आश्चर्यमय स्वरूपका वर्णन


१२०


१६१- भगवान् नारायण-सम्बन्धी आश्चर्यका वर्णन


६२- सत्ययुग, त्रेता और द्वापर आदिके गुणधर्म. . १२३ ९६- श्रीवराहावतारका वर्णन.

(६)


क्रम


पृष्ठ संख्या


पृष्ठ-संख्या


क्रम


. २७०


, २७३


• २७५ १२५- 'गोनिष्क्रमण'-तीर्थ और उसका माहात्म्य....... १२६- स्तुतस्वामीका माहात्म्य.


२७७ २७८


.२८१


.२८३


.२९१


. ३००१


. १८४१२३ - शालग्रामक्षेत्रका माहात्म्य.


९७- विविध धर्मोकी उत्पत्ति,


१२४- रुरुक्षेत्र एवं हृषीकेशके माहात्म्यका वर्णन .


१८६ ९८- सुख और दुःखका निरूपण..


.


१८८


९९- भगवान्‌की सेवामें परिहार्य बत्तीस अपराध


१९०


१००- पूजाके उपचार.....


१२७- द्वारका-माहात्म्य


१०१ श्रीहरिके भोज्य पदार्थ एवं भजन-ध्यानके नियम......१९४


१२८- सानन्दूर-माहात्म्य. २८०


. १९५ . १९७


१०२- मुक्तिके साधन.


१२९ - लोहार्गल क्षेत्रका माहात्म्य


१०३ - कोकामुखतीर्थ (वराहक्षेत्र) का माहात्म्य १०४ पुष्पादिका माहात्म्य


१३०- मथुरातीर्थकी प्रशंसा.


२०१ १०५- वसन्त आदि ऋतुओंमें भगवान्‌की पूजा करनेकी विधि और माहात्म्य २०३


१३१ - मथुरा, यमुना और अक्रूरतीर्थोंके माहात्म्य १३२- मथुरा-मण्डलके 'वृन्दावन' आदि तीर्थ और


-२८५


उनमें स्नान-दानादिका महत्त्व. १३३- मथुरा-तीर्थका प्रादुर्भाव, इसकी प्रदक्षिणाकी


.२८९


१०६ - माया चक्रका वर्णन तथा मायापुरी (हरिद्वार)


का माहात्म्य १०७- कुब्जाम्रकतीर्थ (हषीकेश) का माहात्म्य,


२०५


विधि एवं माहात्म्य १३४- देववन और 'चक्रतीर्थ' का प्रभाव.


२९५ . २९७


रैभ्यमुनिपर भगवत्कृपा १०८- दीक्षासूत्रका वर्णन


२१३


१३५- 'कपिल-वराह' का माहात्म्य


.२२१ १३६-अत्रकूट (गोवर्धन) पर्वतकी परिक्रमाका


१०९- क्षत्रियादि-दीक्षा एवं गणान्तिकादीक्षाकी विधि तथा दीक्षित पुरुषके कर्तव्य..............


प्रभाव...


.


२२३


१३७- असिकुण्ड तीर्थ तथा विश्रान्तिका माहात्म्य.....


३०३.


११० पूजाविधि और ताम्रधातुको महिमा.


२२६


१३८- मथुरा तथा उसके अवान्तरके तीर्थोंका माहात्म्य ३०५ १३९ - गोकर्णतीर्थ और सरस्वतीकी महिमा .........३०७ १४० - सुग्गेका मथुरा जाना और वसुकर्णसे


१११- राजाके अन्न भक्षणका प्रायश्चित्त.. ..


२२९


११२ - दातुन न करने तथा मृतक एवं रजस्वलाके


स्पर्शका प्रायश्चित्त. ११३- भगवान्‌की पूजा करते समय होनेवाले अपराधोंके


वार्तालाप,


.२२९


३०९


१४१- गोकर्णका दिव्य देवियोंसे वार्तालाप तथा


मथुरामें जाना. १४२- ब्राह्मण-प्रेत-संवाद, सङ्गम-महिमा तथा वामन-


.२३०


११४- सेवापराध और प्रायश्चित्त-कर्मसूत्र. प्रायश्चित्त...


.२३३


११५ बराहक्षेत्रकी महिमा प्रसङ्ग गीध और


पूजाकी विधि १४३ - ब्राह्मण कुमारीकी मुक्ति.


,३१३


श्रृंगालका वृत्तान्त तथा आदित्यको वरदान......... ११६ - वराहक्षेत्रान्तर्वर्ती 'आदित्यतीर्थ' का प्रभाव (खञ्जरीटकी कथा)


२३८


. ३१६


१४४- साम्बको शाप लगना और उनका सूर्याराधन व्रत ३१९ १४५ - शत्रुघ्नका चरित्र, सेवापराध एवं मथुरा


२४७


११७- भगवान्के मन्दिरमें लेपन एवं संकीर्तनका माहात्म्य


माहात्म्य


.. ३२१


१४६ - श्राद्धसे अगस्तिका उद्धार, श्राद्ध-विधि तथा 'ध्रुवतीर्थ' की महिमा. .३२३


११८ कोखबरी क्षेत्रका माहात्म्य.


. २५६


११९- 'बदरिकाश्रम' का माहात्म्य. १२०- उपासनाकर्म एवं नारीधर्मका वर्णन


१४७- काष्ठ-पाषाण प्रतिमाके निर्माण, प्रतिष्ठा एवं पूजाकी विधि.


. २५९


. ३२७


.


२६१


१४८- मृन्मयी एवं ताम्र-प्रतिमाओंकी प्रतिष्ठा- विधि,


१२१ मन्दारकी महिमाका निरूपण,


३३०


१४९ कांस्य प्रतिमा स्थापनको विधि,


३३३


.३११


२५१


१२२ सोमेश्वर मुक्तिक्षेत्र (मुक्तिनाथ) और त्रिवेणी आदिका माहात्म्य.


.


२६४


१५०- रजत-स्वर्णप्रतिमाके स्थापन तथा शालग्राम

(61)


 पृष्ठ-स


 पृष्ठ संख्या


 क्रम


 क्रम


 ३३४


 १६०- कर्मविपाक-निरूपण


 १६१ - दानधर्मका महत्त्व


 और शिवलिङ्गकी पूजाका विधान. १५१- सृष्टि और श्राद्धकी उत्पत्ति-कथा एवं


 पितृयज्ञका वर्णन.


 १५२- अशौच, पिण्डकल्प और श्राद्धकी उत्पत्तिका


 ३३५


 १६२- पतिव्रतोपाख्यान,


 १६३ - पतिव्रताके माहात्म्यका वर्णन.


 प्रकरण.


 ३४०


 १६४ - कर्मविपाक एवं पापमुक्तिके उपाय.


 १६५- पाप नाशके उपायका वर्णन


 .३४५


 १५३- श्राद्धके दोष और उसकी रक्षाकी विधि. १५४- श्राद्ध और पितृयज्ञकी विधि तथा


 १६६ - गोकर्णेश्वरका माहात्म्य.


 दानका प्रकरण.


 . ३४८


 १६७ - गोकर्णमाहात्म्य और नन्दिकेश्वरको वर-


 १५५- 'मधुपर्क' की विधि और शान्तिपाठकी


 प्रदान १६८- गोकर्णेश्वर तथा जलेश्वरके माहात्म्यका


 महिमा....


 ३५३


 वर्णन


 ३५६


 १५६ - नचिकेताद्वारा यमपुरीकी यात्रा.


 १५७- यमपुरीका वर्णन .


 . ३५८


 १६९ - 'गोकर्णेश्वर' और ' शृङ्गेश्वर' आदिका


 १५८- यम यातनाका स्वरूप


 ३६१


 माहात्म्य


 १५९ - राक्षस- यमदूत-संघर्ष तथा नरकके क्लेश


 . ३६७


 १७० - वराहपुराणकी फलश्रुति


 चित्र - सूची


 नरकोंके दृश्य और उनके नाम-


 ६- महारौरव.


 ७- प्राणरोध


 ११- संदंश


 ३६३


 ८- अवीचिमान

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