कैसे हुई देवी देवताओं की उत्पत्ति और किसने दिया उन्हें भगवान का दर्ज़ा ?

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कैसे हुई देवी देवताओं की उत्पत्ति और किसने दिया उन्हें भगवान का दर्ज़ा ?

Bhgwano ki utpatti ki katha aur kahani.

भगवानों की उत्पत्ति कथा और कहानी.

हिन्दू सनातन धर्म में देवी -देवताओं का विशेष महत्व माना जाता है . और ऐसा भी माना जाता है कि यहाँ ३३ कोटि देवी-देवता निवास करते है. किन्तु जानकारी के लिए बता दें  कि प्राय: लोग ३३ कोटि को ३३ करोड़ समझत लेते हैं. लेकिन यहाँ कोटि का अर्थ प्रकार से है जिनमें 12 आदित्य. 8 वसु. 11 रूद्र और 2 अश्विनी कुमार हैं. अब मन में प्रश्न आता है कि आखिर हिंदी पौराणिक कथाओं में कैसे हुए देवी देवताओं की उत्पत्ति ? Hindi devi devta ke peeche kya stori hai.?  हिंदी पौराणिक ग्रथों के मुताबिक़ देवी - देवताओं की उत्पत्ति कुछ तो सृष्टी के समय हुई और कुछ  समुद्र मंथन के समय हुई लेकिन उन्हें भगवान का दर्ज़ा तो मानवो ने दिया है . किन्तु कैसे यही जानना रोचक है . 

 धार्मिक कथाओं को उत्पत्ति तथा उनके वास्तविक अर्थ के विषय में कोई भी दो विद्वान्, कदाचित् ही कहीं, एकमत हुए हों। धार्मिक कथाओं में देवी-देवता अथवा अवतारी स्त्री-पुरुषों को उत्पत्ति एवं उनके कार्यों का विवरण रहता है। अपने विकास की एक विशेष अवस्था में, मनुष्य-जाति प्राकृतिक घटनाओं की पुष्टि तथा उन्हें समझने की चेष्टा, कथाओं द्वारा किया करती है। जैसा 'मालीनौस्की' ने अपनी पुस्तक 'मिथ इन प्रिमिटिव साइकोलॉजी' (Myth in Primitive Psychology) में लिखा है कि ये कथाएँ जान-बूझकर मन से गढ़ी हुई कहानियाँ नहीं हैं। धार्मिक कथाओं से सम्बंद्र जातियों का इन कथाओं की सत्यता में अटूट विश्वास हो जाता है। ये कथाएँ उनकी मानसिक आवश्यकताओं को उतना ही सन्तोषपूर्वक पूर्ण करती हैं, जितना भोजन उनकी शारीरिक आवश्यकताओं को ।

मानव-विज्ञानवेत्ताओं ने आदिम धर्म की उत्पत्ति के तीन स्रोत बताये हैं- आदिम मनुष्य ने निर्जीव पदाथों और सूर्य, चन्द्रमा, आकाश, पृथ्वी, अग्नि प्रभृति प्राकृतिक विभूतियों को अपने ही जैसा प्राणवान् समझा। फिर, पेड़-पौधे, नदी-पहाड़ अथवा पशु-पक्षी में पूर्वजों अथवा देवताओं की आत्मा का अनुमान करके उनकी ओर वह श्रद्धा से देखने लगा। एक देवता के अनेक गुणों से भिन्न-भिन्न देवताओं को उत्पत्ति हुई; पुनः किसी प्रतापी पुरुष ने अपने इष्टदेव को सबसे बड़ा देवता सिद्ध किया अथवा कहीं किसी दार्शनिक ने किन्हीं एक देवाधिदेव को मानने का उपदेश दिया। परन्तु, आगे चलकर उन देवाधिदेव के साथ और छोटे-मोटे देवता भी मिल गये ।

धार्मिक कथाओं के, विशेष कर हिन्दू धार्मिक कथाओं के, अध्ययन करनेवालों में सबसे प्रसिद्ध नाम प्रोफेसर मैक्समूलर (Professor Max Müller) का है, जिन्हें भारतीय पण्डितों ने प्रेम तथा आदर से 'मोक्षमुल्लर भट्ट' कहना आरम्भ कर दिया था। उन्होंने आयंजातियों की भाषा तथा उनकी धार्मिक कथाओं की एकता निश्चयात्मक रूप से सिद्ध कर दी। मैक्समूलर के विषय में उनके समालोचकों ने ऐसा प्रचार करने की चेष्टा की कि ये धार्मिक कथाओं को भाषा से उत्पन्न एक रोग- 'डिजीज ऑब लैंग्वेज' ( Disease of Language) मानते थे। मैक्समूलर ने अपने 'कण्ट्रीब्युशन्स टू द साइन्स ऑव माइयोलॉजी' (Contributions to the Science of Mythology) में उन मानव-विज्ञानवेत्ताओं की खिल्ली उड़ाई, जो अतिशय सभ्य आर्य जातियों की धार्मिक कथाओं का सम्बन्ध संसार की बर्बर जातियों के रीति-रिवाजों से जोड़ना चाहते थे। 

श्री त्रिवेणी प्रसाद सिंह...

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