मधु कैटभ वरदान और वध कथा - Madhu Kaitabh vardan aur vadh katha

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जानिये मधु कैटभ की उत्पत्ति कैसे हुई. आखिर क्या है मधु कैटभ की स्टोरीज. आज हम जानेंगे राक्षस असुर मधु कैटभ के वध की कहानी कि किसने किया और कैसे हुआ उनका वध? story of Madhu Kaitabha in Hindi. mythology stories in Hindi


मधु कैटभ वरदान और वध कथा - Madhu  Kaitabh vardan aur vadh katha

जब भगवान विष्णु ने माँगा दो असुर भाइयों Madhu aur Kaitabha से वरदान


वैसे वरदान देने का काम तो भगवान का होता है. लेकिन एक बार ऐसा भी हुआ था जब भगवान को ही असुरों से वरदान मांगना पडा. बात उस समय की है जब भगवान विष्णु ( lord Vishnu) ने प्रलय लाकर संसार को नष्ट कर दिया था. उस समय चारो और जल ही जल दिखाई पड़ रह था. प्रलयकाल के बाद हमेशा की तरह विष्णु के भीतर देवी योगनिद्रा समा गयी और विष्णु, भगवती योगनिद्रा के प्रभाव में आकर सो गए. और फिर देखते ही देखते कई युग बीत गए. लेकिन फिर एक दिन अचानक ही उसी दौरान विष्णु के कानों के मैल से मधु और कैटभ नामक दो दानवों का जन्म हो गया. ये दानव जन्म से ही बहुत भयानक थे. दोनों ने देखा सृष्टी में कुछ भी नहीं है चारो ओर जल ही जल है. उस समय दोंनो ही असुर सृष्टी में सबसे पहले आये थे. मधु और कैटभ दोनों को उस वक़्त आकाश में केवल माँ भगवती के मंत्र सुनाई दिए जो प्रलय के बाद सृष्टी में चारो ओर सुनाई पड़ रहे थे. 

दोनों असुरों को माँ भगवती की शक्ति के बारे पता चल गया जिसके बाद बाद दोनों भाई ने सृष्टी में अपनी सत्ता हासिल करने के लिए माँ भगवती की कठोर तप साधना शुरू कर दी..कई वर्षो के बाद माँ भगवती मधु और कैटभ के वरदान से प्रसन्न होकर जब उन्हें वरदान देने आयीं तो मधु और कैटभ दोनों भाइयों ने इच्छा मृत्यु का वरदान माँगा. देवी ने ये वरदान देकर उनकी इच्छा पूरी कर दी. लेकिन इस वरदान के बाद ही मधु और कैटभ दोनों को ही बहुत घमंड हो गया और वे चारो और युद्ध लड़ने के लिए अपने शत्रुओं को ढूँढने लगे लेकिन जैसा कि उस समय प्रलय काल में चारो ओर सिर्फ जल ही जल के अलावे दोनों भाई को कहीं कोई और दिखाई नहीं दिया. दोनों निराश हुए कि अब इतना वरदान लेकर इसके साथ युद्ध करे. 

तभी अचानक मधु और कैटभ ( Madhu- Kaitabha) दोनों भाई को विष्णु की नाभि कमल में ब्रह्मा जी दिखाई दिए. दोनों भाई ने ब्रह्मा को युद्ध के लिए ललकारा. मगर ब्रह्मा जो को दोनों भाइयों को मिले वरदान के बारे में पता चल चुका था इसलिए वो इस युद्ध को टालने में लगे थे. लेकिन मधु और कैटभ दोनों भाई ब्रह्मा जी से युद्ध करना का मन बना चुके थे. ब्रह्मा जी ने जान बचाने के लिए विष्णु जी को पुकारना शुरू किया. मगर विष्णु जी माँ भगती के प्रभाव में योगनिद्रा में थे इसलिए वो उठे ही नहीं. इस बीच मधु कैटभ दोनों असुरों ने ब्रह्मा को दौड़ना शुरू कर दिया. 

बड़ी मुश्किल से ब्रह्मा जी ने माँ भगवती को सहायता के लिए पुकारा और कहा यदि ये दोनों असुर मुझे मार देंगे तो फिर सृष्टी का निर्माण कौन करेगा. ब्रह्मा जी की विनती पर माँ भगवती विष्णु जी के शरीर से निकल गयी जिसके बाद विष्णु जी जाग गए. अब मधु और कैटभ ने विष्णु जो को युद्ध के लिए ललकारा. विष्णु जी मधु और कैटभ के साथ युद्ध करने लगे. पुरानों के अनुसार ये युद्ध पांच हज़ार वर्ष तक चला लेकिन इसके बावजूद भी विष्णु दोनों भाइयों को मार नहीं सके. तब विष्णु ने माँ भागती से सहायता मांगी. माँ भागती ने मधु और कैटभ दोनों को अपने प्रभाव में ले लिया जिससे दोनों का घमंड और बढ़ गया. युद्ध के दौरान विष्णु ने मधु और कैटभ दोनों भाई से कहा की वो उनके युद्ध से बहुत प्रसन्न है इसलिए कोई भी वर मांग ले. माँ भगवती के प्रभाव में अपने घमंड में चूर मधु और कैटभ ने विष्णु से ही कहा कि हम कोई भिखारी नहीं जो वर मांग ले..मांगना है तो तुम हमसे वर मांगो हम तुम्हे वर देंगे. तब विष्णु ने कहा ठीक है मुझे ये वरदान दो कि मैं तुम दोनों का वध कर सकूं..घमंड में चूर दोनों भाई ने  विष्णु को ये वरदान दे दिया जिसके बाद विष्णु ने अपनी जांघ में टीकाकार दोनों भाई के गर्दनों को अपने सुदर्शन चक्र से काट डाला.

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