रामायण : नल-नील को बचपन में मिला था शाप ( Nal-Neel ko mila tha shaap)

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Story of Nal Neel from Ramayan in Hindi. Curse of Nal & Neel in Hindi. Nal aur Neel ko kyun shaap mila tha ? 

रामायण  : नल नील को बचपन में मिला था शाप ( Nal-Neel ko mila tha shaap)


त्रेतायुग में आतातायी रावण के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे थे. दुष्ट रावण ऋषि मुनियों को मारकर उनके लहू से स्नान भी करता था. उसने चारो ओर पूजा- पाठ बंद करवाकर कई देवताओं को बंदी बना लिया था. नव ग्रहों में शनिदेव भी रावण की कैद में था. जब चारो ओर रावण का आंतक बढ़ गया तो सभी देवता भगवान नारायण के पास गए और उनसे आग्रह किया कि वे रावण से उन्हें मुक्ति दिलाये तब नारायण ने कहा कि वे शीघ्र ही मानव रूप में धरती पर राम के रूप में जन्म लेकर रावण का वध करेंगे. भविष्य में राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध होने वाला था जिस युद्ध में राम को एक बहुत बड़ी सेना की ज़रुरत पड़ने वाली थी. इसलिए कार्य के लिए ब्रह्मा की ओर से सभी देवताओं से कहा गया कि वे धरती पर जाकर ऐसे बच्चे पैदा करें जो रावण से युद्ध लड़ने के लायक हो. तब इंद्र से वालि, सूर्य से सुग्रीव , अग्नि से नील को और विश्वकर्मा से नल का जन्म हुआ. इस तरह और भी देवताओं से बहुत सारे जीवों ने जन्म लिया जिनका काम था भविष्य में राम के कार्य में सहायक बनाना. उन्ही में नल और नील (Nal & Neel)  नामक दो वानर बच्चे भी थे. मगर ये बच्चे बचपन से बहुत ही शरारती थे. ये दोनों वानर बच्चे ऋषि मुनियों को परेशान करते और उनकी पूजा करने की सामग्रियों को मूर्ती सहित नदी में जाकर फेंक देते. नल और नील ने अब तक भगवान नारायण की कई मूर्तियों को नदी में फेंक दिया था. सभी ऋषि नल और नील की इस उदंडता से परेशान थे. ऋषि- मुनि और साधु बेचारे अपने अपने भगवान को ढूंढते रहते मगर उन्हें क्या पता कि नल नील उनके भगवानों को रोज़ नदी में जाकर फेंक देते थे. भगवानों की मूर्तियाँ पानी में डूबी रहती थी इसलिए दोनों की चोरियां पकड़ी नहीं जा सकती थी. लेकिन एक दिन ये दोनों ही वानर बच्चे ऋषि दुर्वासा के हत्थे चढ़ गए और ऋषि दुर्वासा ने दोनों को ये शाप दिया कि अब से तुम दोंनो जिस भी वस्तु नदी में फेकोगे वो कभी नहीं डूबेगी. इसके बाद यही होने लगा. नल- नील अब जब भी भगवान की कोई मूर्ती नदी में फेंकते, वो नदी में डूबने की जगह तैरने लगती. बाद में नल नील का वही शाप राम के उस समय काम आया जब राम जी रावण पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र सेतु बना रहे थे. उस समय नल- नील जिस भी पत्थर पर हाथ रखते वो पानी में तैरने लगता था. इस प्रकार नल- नील को मिला शाप भविष्य में एक वरदान की तरह फलित हुआ.

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