Kaun Banega Crorepati Controversy: जब एक बच्चे ने बिग बी से की बदतमीज़ी और सीख मिली पूरे देश को
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संस्कार बनाम शोहरत: KBC के सेट पर एक बच्चा, एक सबक
Kaun Banega Crorepati (KBC) — एक ऐसा शो जो हर उम्र और हर वर्ग के लोगों को आकर्षित करता है।
क्या बच्चा, क्या जवान, क्या बुजुर्ग — हर किसी का सपना होता है कि वो कभी न कभी हॉट सीट पर बैठे और Amitabh Bachchan जी के सामने अपने ज्ञान का प्रदर्शन करे। लेकिन हकीकत यह है कि हर किसी को यह मौका नहीं मिलता। जिनको मिलता है, वे वाकई किस्मत के धनी होते हैं।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन सिर्फ एक महान अभिनेता नहीं, बल्कि संस्कार, अनुशासन और विनम्रता के प्रतीक भी हैं।
उनका शांत, संयमित और सम्मानजनक व्यवहार इस शो की आत्मा है।
शायद इसलिए दर्शक “कौन बनेगा करोड़पति” को सिर्फ एक गेम शो नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव मानते हैं।
KBC में बच्चा इशित और Big B के साथ विवाद
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक एपिसोड वायरल हुआ जिसमें 10 साल का बच्चा “इशित” हॉट सीट पर बैठा था।
शुरुआत में वह आत्मविश्वास से भरा और समझदार लग रहा था, लेकिन कुछ ही सवालों बाद उसका व्यवहार बदल गया।
वह अमिताभ बच्चन से ऐसे बात करने लगा जैसे वह कोई आदेश दे रहा हो।
शो के सेट पर बैठे दर्शक और खुद उसके माता-पिता भी चौंक गए।
पहले-पहल सबको लगा कि यह बच्चा बहुत तेज है, मगर जल्द ही साफ़ हो गया कि उसमें विनम्रता की कमी है।
फिर भी अमिताभ बच्चन जी ने अपनी शालीनता बनाए रखी और पूरे माहौल को सहज बना दिया — यही उनकी महानता है।
जब ज्ञान नहीं, संस्कार काम आए
खेल के दौरान अमिताभ बच्चन जी ने बच्चे से पूछा —
“बाल्मीकि रामायण का पहला कांड कौन-सा है?”
इशित ने जवाब दिया — “अयोध्या कांड।”
लेकिन सही उत्तर था — “बाल कांड।”
इस एक जवाब ने सब कुछ पलट दिया।
बच्चा न सिर्फ खेल से बाहर हुआ बल्कि यह दिखा गया कि बुद्धिमत्ता से पहले संस्कार जरूरी हैं।
Six Pocket Syndrome क्या है?
कई लोगों का मानना है कि यह बच्चा Six Pocket Syndrome का शिकार था।
यह एक ऐसी मानसिक प्रवृत्ति है जिसमें बच्चा परिवार के छह जेबों — यानी माँ, बाप, दादा, दादी, नाना, नानी — के अति-प्यार में पलता है।
जब वह परिवार का अकेला बच्चा होता है, तो हर किसी का ध्यान उसी पर केंद्रित हो जाता है।
धीरे-धीरे उसे हर बात अपनी मर्जी से करवाने की आदत पड़ जाती है।
और जब ऐसा नहीं होता, तो वह चिड़चिड़ा या असभ्य व्यवहार करने लगता है।
China की One Child Policy और यही समस्या
वैसे इस तरह की प्रवृत्ति सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि चीन में भी देखी गई थी, जहाँ कई दशकों तक “One Child Policy” लागू रही।
उस नीति के कारण अधिकांश परिवारों में एक ही बच्चा हुआ, और सारा प्यार, उम्मीदें और दबाव उसी पर केंद्रित हो गए।
नतीजा यह हुआ कि कई बच्चों में “Self-centered” और “Emotionally dependent” व्यवहार देखने को मिला।
“Six Pocket Syndrome” कुछ हद तक उसी सामाजिक मानसिकता का आधुनिक संस्करण है।
Parenting से मिलने वाला सबसे बड़ा सबक
इशित का उदाहरण हमें यह सिखाता है कि बच्चे को सिर्फ आत्मविश्वास नहीं, बल्कि संस्कार और सहानुभूति सिखाना भी उतना ही ज़रूरी है।
आज के माता-पिता अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल, इंग्लिश मीडियम, ऑनलाइन कोर्सेस में भेजते हैं,
लेकिन अगर घर में नम्रता, आदर और संयम नहीं सिखाया गया, तो सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है।
क्योंकि आखिर में,
“ज्ञान आपको आगे बढ़ा सकता है,
लेकिन संस्कार आपको ऊँचा उठाते हैं।”
Amitabh Bachchan से मिली सबसे बड़ी सीख
अमिताभ बच्चन जी ने इस पूरे घटनाक्रम में जिस शालीनता से स्थिति को संभाला,
वो हर दर्शक के लिए प्रेरणा बन गया।
उन्होंने हमें एक बार फिर याद दिलाया —“सफलता से ज़्यादा ज़रूरी है विनम्रता।”
निष्कर्ष
इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया कि संस्कार और व्यवहार ही असली पहचान हैं।
शोहरत, शिक्षा या पैसे से ज़्यादा अहमियत इस बात की है कि हम दूसरों के साथ कैसे पेश आते हैं।
हर माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को संस्कारों का असली अर्थ सिखाएँ —
ताकि अगली पीढ़ी में सिर्फ होशियार नहीं, बल्कि संवेदनशील इंसान पैदा हों.
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