बाल्मीकि रामायण में यदि राम कोई भगवान नहीं तो क्या हैं ?

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संक्षिप्त में एक राजा के पुत्र का परिचय जिनका नाम राम है   









बाल्मीकि रामायण में राम को भगवान कहीं नहीं बताया गया है फिर भी इन बातों का वर्णन अवश्य है . 



१. आज्ञाकारी राम 

पौराणिक ग्रंथों पर हुए शोधों के आधार पर कहा जा सकता है कि राम बचपन से ही एक अति आज्ञाकारी पुत्र थे. वरना कौन पुत्र आज के समय में अपने पिता की बात मानकर १४ वर्षों के लिए घर छोड़कर जाएगा?  वो भी एक राजपुत्र, जिसे राजा बनना हो .गद्दी संभालनी हो . पिता ने एक बार कहा और वो उस वचन का पालन करने घर से निकलकर चले गए.

२.भ्रातृत्व प्रेमी  

राम का अपने भाइयों के प्रति अपार स्नेह से पूरा संसार परिचित है. लक्ष्मण में तो उनके प्राण बसते थे. राम का पात्र हमे भाई से प्रेम करने के लिए प्रेरित करता है.  

३.चरित्रवान 

अपनी पत्नी सीता को छोड़कर राम ने, न तो कभी किसी अन्य पराई स्त्री को दृष्टि उठाकर देखा और नहीं ही कभी उनके मन में दूसरी स्त्री का ख्याल ही आया.
 
४. हितैषी 
 
राम , हनुमान को अपना भक्त नहीं अपितु उन्हे अपने  भाई सरीखे मानते थे. और उन्ही के कहने पर राम ने सुवेल पर्वत पर अग्नि के समझ सुग्रीव के साथ सच्ची मित्रता निभाने की कसम भी खायी. बाली को मारकर सुग्रीव को उसका राज्य और उसकी पत्नी रोमा को लौटाकर राम ने उस वचन का पालन किया. 

५. करुणामयी 

राम एक राजपुत्र थे. कुछ उन्हे भगवान भी मानते थे. किंतु राम स्वयं को एक साधारण इंसान ही समझते थे, जिन्हें लोगों के दुःख दर्द का हमेशा ख्याल रखता था. करुणा और भावों से भरे हुए राम वनगमन के समय एक भील छोटी जाति की स्त्री शबरी के हाथों उनके झूठे बेर खा लेते हैं जो यह दर्शाता है कि उनके मन ऊंच और नीच का कभी कोई भेद भाव नहीं था.


६. धर्म का मान रखने वाले धर्मज्ञ

सदा धर्म का मान रखने वाले राम को पता था कि जिस रावण ने उनकी पत्नी सीता को हरा है वो रावन उनका महा-शत्रु है . फिर भी संसार का सबसे बड़ा पंडित होने के कारण राम धर्मानुसार उसी रावन से पूजा भी करवाते हैं जो इस बात को दर्शाता है कि अहेंकार को शून्य करके व्यक्ति को केवल उसी को मानना चाहिए हो सत्य है . रावण की विद्वता को स्वीकार करना राम के गुणों को और अधिक बड़ा कर देता है .   

७. विनम्र एवं नीतिवान
 
रावण को मृत्यु की शय्या पर लिटाने के बाद वही राम उनके सामने हाथ जोड़कर उनके पैरों के पास आकर उनसे राजनीति की शिक्षा भी लेते हैं. जो यह दर्शाता है कि राम शत्रु को भी महान समझते हैं यदि वो व्यक्ति एक महा ज्ञानी है तो. राम ने तो रावण का वध करने के बाद एक साल तक पश्चात्प व्रत भी किया था . क्यूंकि राम के अनुसार उन्होंने एक महाभक्त का वध किया था .   

८.धैर्य का प्रतीक धैर्यवान 

पूरा जीवन धैर्यवान बने रहना एक महानता की निशानी है .१४ वर्षों के अंतराल वनाश्रय की असहनीय दुःख पीड़ा के बाद भी एक और बड़े दुःख, सीता को पाने के लिए फिर से संघर्ष कोई महान धैर्यवान पुरुष ही कर सकता है. 

९. दूरदर्शी और विश्वासी 

राम में दूरदर्शिता कूट -कूट कर भरी हुई थी .उन्हें पता था  कि उन्हें कब क्या कौन सा निर्णय लेना है . उचित  व्यक्तियों  की तत्काल परख करना भी उनके भीतर एक महा गुण था.  तभी तो राम की टोली में बहुत लोगों को विभीषण पर विश्वास नहीं था लेकिन राम ने प्रथम दृष्टि में ही विभीषण को परख लिया था.


१०. एक विशाल ह्रदय वाले प्रजाभक्त . 
 
राम को अपनी पत्नी पर विश्वास था कि वह पवित्रता की देवी है फिर भी केवल एक धोबी के कहने मात्र से राम ने अपनी पत्नी का त्याग कर दिया वो भी उस समय जब वो गर्भवती थी , क्यूंकि राम अपनी प्रजा को अपने परिवार से ऊपर रखना चाहते थे .इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वो कितने बड़े प्रजाभक्त थे . वरना जिस संघर्ष से उन्होंने अपनी पत्नी सीता को प्राप्त किया था ,उन्हें सिर्फ एक धोबी के कहने भर से छोड़ देते?   

इसलिए राम को भगवान का स्थान दिया गया. ठीक उसी प्रकार जैसे कि गौतम बुद्ध. उन्होंने भी जन्म तो इन्सान के रूप में लिया था किन्तु उनके कर्मों ने उन्हें भी भगवान बना दिया था .

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