रुद्राक्ष क्या है ? कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान?
रुद्र, अर्थात शिव की आखों से निकली अश्रु की एक बूँद, जिसने एक फल का रूप लिया ,वो रुद्राक्ष कहलाया . ऐसे सभी व्यक्ति जो धर्म, अर्थ काम और मोक्ष की कामना रखते हैं उन सभी को रुद्राक्ष धारण करना चाहिए .लेकिन आजकल कोई भी, कहीं भी रुद्राक्ष बेचते मिल जाता है. मगर आज भी कई लोगों को असली रुद्राक्ष के बारे पता नहीं होता और वो असली की जगह नकली रुद्राक्ष खरीदकर धारण कर लेते हैं . प्रस्तुत लेख जो कि रुद्राक्ष के बारे में है इसकी वास्तविकता शिवपुराण से है और शिवपुराण एक ऐसा पुराण है जो अत्यंत ही लोकप्रिय है. अब आइये जाने रुद्राक्ष के विषय में कुछ आवश्यक बातें .
रुद्राक्ष की ऐसे करें पहचान
जो रुद्राक्ष आँवले फल के बराबर है, उसे श्रेष्ठ माना गया है . जो बेर के बराबर है उसे मध्यम श्रेणी का रुद्राक्ष माना गया है और जो चने के बराबर है उसे निम्न कोटि का रुद्राक्ष माना गया है .किन्तु यदि रुद्राक्ष असली हो और छोटा भी हो तो भी वो उत्तम फल देने वाला और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला होता है. जो रुद्राक्ष समान अकार -प्रकार के , चिकने सुदृढ़ , कंटकयुक्त और सुन्दर होते हों वो रुद्राक्ष फलदाई होता है .
किन्तु जिसे कीड़े ने दूषित कर दिया हो ,जो खंडित टूटा फूटा हो , जिसमे उभरे हुए दाने न हों , जो वर्णयुक्त हो , पूरा गोल न हो , इन छ: प्रकार के रुद्राक्ष को शीघ्र ही त्याग देना चाहिए . जिस रुद्राक्ष में स्वयं ही डोरा पिरोने योग्य छिद्र हो गया हो, वही असली और उत्तम रुद्राक्ष माना जाता है . और जिस पर किसी मनुष्य ने स्वयं ही छिद्र किया हो वो मध्यम श्रेणी का माना जाता है .पौराणिक ग्रंथों में कुल 14 प्रकार के रुद्राक्षों में बारे में बताया गया है .जो इस प्रकार से हैं .
एकमुखी रुद्राक्ष
एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात् शिव का स्वरुप है .वह भोग और मोक्षरुपी फल देने वाला है . उसके छूने मात्र से भी ब्रह्महत्या का पाप
कट जाता है .रूद्रद्राक्ष की पूजा से
लक्ष्मी का भी आगमन होता है .
दोमुखी रुद्राक्ष
दोमुखी रुद्राक्ष को देवे-देवेश्वर माना गया है .यह सम्पूर्ण कामनाओं को पूरा करने वाला और सुखदायी फल देने वाला .इससे गौ हत्या का पाप कट जाता है.
तीनमुखी रुद्राक्ष
तीनमुखी रुद्राक्ष शिव के तीसरे नेत्र का प्रतिक है . यह साधक को साक्षात् फल देने वाला है.
चारमुखी रुद्राक्ष
यह साक्षत ब्रह्मा का स्वरुप है और ब्रह्म के समान
पापो से मुक्ति देने वाला है उसके दर्शन से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की
प्राप्ति हो जाती है .
पञ्चमुखी रुद्राक्ष
पांच मुख वाला रुद्राक्ष कालाग्नि के सामान है
.जो आपके पापो को भष्म कर देता है.
छ: मुखी रुद्राक्ष
यह शिवपुत्र कार्तिकेय का स्वरुप है .कार्तिकेय देवताओं के प्रधान सेनापति हैं जो एक वीर योद्धा माना जाता है. इसे दाहिने बाह में धारण करना चाहिए .
सातमुखी रुद्राक्ष
यह अनंग नाम से प्रसिद्द है . इससे दरिद्रता दूर होती
है और साधक को ऐश्वर्य का लाभ मिलता है.
आठमुखी रुद्राक्ष
यह भैरव स्वरुप है .भैरव, शिव का वो स्वरुप है जिसने ब्रह्मा के अभिमानी मस्तिष्क को खंडित किया था .इससे धारण करने
वाला मनुष्य पूर्णायु बनता है.
नौमुखी रुद्राक्ष
यह रुद्राक्ष भैरव और कपिलमुनि का प्रतीक है . इसमें नौ दुर्गा का भी वास होता है . इसे धारण करने वाले साधक पर माता की भी कृपा बनी रहती है .
दसमुखी रुद्राक्ष
यह
रुद्राक्ष साक्षात् विष्णु का प्रतीक है . इसे धारण करने वाला कभी दरिद्र नहीं
रहता . जो इसे धारण करता है वह व्यक्ति रूद्र और नारायण दोनों से जुडा रहता है .
ग्यारहमुखी
यह रुद्राक्ष साक्षात् रूद्र यानि शिव का प्रतीक है. इसे धारण करने
वाले वाला साधक हर प्रकार के विकारों से मुक्त हो जाता है .
बारहमुखी रुद्राक्ष
इसे धारण करने वाले साधक के घर बारह मास सुख- शांति और समृद्धि छाई रहती है .
तेरहमुखी रुद्राक्ष
यह विश्व वेदों का स्वरुप है . माना जाता है कि इसे धारण करने वाला बहुत ही ज्ञानी होता है .
चौदहमुखी रुद्राक्ष
इसे धारण करने वाला साधक अपनी साधना शक्ति से
14 लोकों में विचरण कर सकता है . पुराणों के
अनुसार सात लोक ऊपर और सात लोक नीचे हैं .
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