अमुमन देखा जाता है कि हर ब्लॉगर यही चाहता है कि उसके blog पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़े और पाठक वहां अपना लम्बा वक़्त बिताये ताकि इससे ब्लॉग की गुणवत्ता भी बढे और लेखक एवं पाठक का सम्बन्ध भी अच्छा बना रहे.
मैंने बहुत से ब्लॉग देखें. सैकड़ों पोस्ट पढ़े. कुछ लोग अच्छा लिखते हैं. कुछ बहुत ही अच्छा , कुछ सामान्य तो कुछ बहुत ही औसत दर्जे का. औसत दर्जे का पोस्ट वो होता है जो किसी तरह बस जोड़ -जाड़कर लिख दिया गया हो ताकि वर्ड्स पूरे हो जाएं और पेज भरा भरा लगे. लेकिन इससे बात नहीं बनने वाली. क्यूंकि ऐसे ब्लॉग पर पाठक कम रुकते हैं. यदि रुकते भी है तो बस वो पॉइंट्स पर ध्यान देते हैं क्यूंकि पाठक को पता है आपने ऊपर "नमस्कार दोस्तों , हेलो फ्रेंड्स, जय हो जी , आदाब करते हैं आपको" जैसी लाइन्स से शुरूवात की है और पॉइंट्स तक आने मे आपने अपनी बातों को गोल गोल घुमाया है. ये गलती आपको नहीं करनी है. कुछ रिसर्च के बाद जो ख़ास बातें मुझे समझ में आई आपके सामने मैं blogging के वही 5 best tips प्रस्तुत करने जा रहा हूँ.
1.इंट्रोडक्शन
पोस्ट का इंट्रोडक्शन चार अच्छी लाइन से शुरुवात करें. जैसे यदि किसी को बाल झड़ने की समस्या है. वो सर्च करके आपके blog पोस्ट पर आया है.आपका लेख यदि बाल झड़ने पर है तो आप फ़ौरन पोस्ट लिखना न शुरू कर दें. बल्कि आपको चार लाइन्स की एक ऐसी भूमिका बांधनी है जिससे की पाठक आपसे जुड़ जाए.
जैस कि "आज के दौर में बालों का झड़ना एक गंभीर बीमारी कम सामजिक तिरस्कार कुछ ज्यादा है. क्यूंकि आप भले ही कितने भी दौलतमंद हों, यदि आपके सर पर बाल नहीं तो लोग आपके गंजेपन को आपकी एक कमजोरी की तरह देखते हैं. लेकिन आप चिंता मत कीजिये मैंने काफी मेहनत करके आपके लिए कुछ अनुभवी डॉक्टर्स और वैधों के परामर्श को जुटाया है जो बालों को झड़ने से रोकने का निदान बताते हैं.? इस तरह आप शुरू कि लाइन्स लिखकर पाठक को बाँध सकते हैं.
2. बेवजह की कीवर्ड स्ट्फिंग
अधिकतर लोग पोस्ट लिखते वक़्त इस बात का ध्यान रखते हैं कि उन्हें अपनी article में ज्यादा से ज्यादा keyword को फिट करना है ताकि उस पोस्ट को रैंक करवाने में आसानी हो जाए. लेकिन इसमें एक बड़ी गलती ये हो जाती है कि आपका लेख फिर आपका नेचुरल लेख नहीं रह जाता. बल्कि वो किसी गणित का फार्मूला बन जाता है. फिर ना तो वो लेख पढने में अच्छा लगता है और ना ही किसी काम का रह जाता है.
इस तरह के लेख से पाठक को फ़ौरन समझ आ जाता है कि article आपने सिर्फ अपने फायदे के लिए लिखा है, उनके लाभ के लिए नहीं. इसलिए आपको बेवजह के कीवर्ड स्ट्फिंग से बचना चाहिए और अपनी लेख को सादा साफ़ सुधरी और मुद्दे वाली रखनी चाहिए.
3. पाठक के इंटेंट को समझना
आपको कोई भी लेख लिखते समय पाठक के intent को समझना होगा. आप जिस भी विषय पर लेख लिख रहे हों, आप लिखते वक़्त खुद को एक प्रश्नकर्ता अथवा पाठक के रूप में भी प्रस्तुत कीजिये ताकि आप कोई भी article लिखते वक़्त सवाल- जवाब के तरीकों को अच्छे से लिख सके. मतलब आपको एक पाठक बनकर भी लिखना है ये हमेशा याद रहनी चाहिए तभी आप सामने वाले से जुड़े रह पायेंगे.
4. सामान्य बोलचाल की भाषा में लेख
आप अपनी article में ऐसे शब्दों का ना डालें जिसे पाठक समझ ही ना सके. कोई भी लेख सामान्य बोलचाल की भाषा में होनी चाहिए. लेकिन लिखने में एक स्टाइल अथवा शैली हो, जो पढने पर अच्छा लगे. पाठक को ऐसा हरगिज ना लगे कि लेख को किसी कम पढ़े लिखे व्यक्ति ने या किसी अनुभवहीन इन्सान ने लिखा है. मतलब एक - एक शब्दों और वाक्यों से बना पाराग्राफ आसानी से पढने लायक हो.
5. भावनात्मक जुड़ाव
आपको लेख लिखते वक़्त पाठक की भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए. पाठक को ऐसा लगना चाहिए कि आप उसके सामने हैं जो उसके सभी सवालों का उत्तर दे रहें. लिखते वक़्त अपनी लाइन्स से पाठक के मन छूने की कोशिश करें. उस विषय से सम्बंधित आप खुद पाठक से सवाल भी कीजिये और उत्तर भी दीजिये और ऐसा प्रस्तुत कीजिये कि आप बिल्कुल उनकी समस्या के निदान के लिए आये हैं. पाठक को भावनाओं से जोड़ने पर अपनापन बढ़ता है जिससे पाठक बार बार आपके article को पढने आपके blog पर आते रहेंगे.
निष्कर्ष:
लिखना एक कला है. आप जब लिखते रहेंगे तो आपको जल्द ही पता चल जाएगा की आपकी लिखने कि शैली कैसी है. जिस प्रकार हर व्यक्ति की लिखावट अलग -अलग होती है उसी प्रकार प्रत्येक इन्सान की अपनी लिखने की एक शैली होती है. आप गौर करें की आप कैसा लिखते हैं. और फिर उसे बढाते जाएँ.
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