6 big mistakes in blogging नए ब्लॉगर न करें ये गलतियां.

@Indian mythology
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6 big mistakes in blogging नए ब्लॉगर न करें ये गलतियां.



इस भयंकर बेरोज़गारी के दौर में जब से लोगों को पता चला है कि blogging उनके भविष्य के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है तब से इस क्षेत्र में  एक बाढ़ सी आ गयी है. शायद इसीलिए अब इस फील्ड में पहले की अपेक्षा लोगों कि संख्या में अच्छा ख़ासा इज़ाफा देखने को मिल रहा है. कारण है blog की फ्री सर्विस सेवा, जिसमे एक भी पैसा बिना खर्च किया हमारा ब्लॉग बन जाता है. 


वैसे भी हमें मुक्त की चीज़ें जबरजस्त तरीके से आकर्षित करती है. लेकिन बेहतर परिणाम के लिए हमें मुक्त की चीज़ों में भी समय तो देना ही पड़ता है. वो भी दिन हफ्ते नहीं बल्कि कई कई महीने. और कभी कभी तो सालों भी.  ब्लोगिंग के साथ भी ऐसा ही है. यहाँ आप कुछ हफ्ते या महीनों में किला फतेह नहीं कर सकते, आपको पूरा समय देना पड़ेगा तब जाकर कहीं बेहतर परिणाम निकलते हैं . 


लेकिन क्या कारण है कि लोगों के ब्लोगिंग में अच्छा ख़ासा समय देने के बाद भी परिणाम शिफर यानि कि ज़ीरो ही निकलकर आता है. आपको लाखों ऐसे लोग मिल जायेंगे जो बहुत लम्बे समय से ब्लोगिंग कर रहे हैं मगर उनके blog पर low organic search होते हैं जिससे उन्हें केवल 5-10 traffic ही मिल पाते हैं और फिर ऐसा लम्बे समय तक बने रहने के कारण वे हताश परेशान होकर blogging छोड़ देते हैं. 


लेकिन जो लोग दिल से कोई काम करते हैं उन्हें एक ना एक दिन सफलता तो अवश्य ही मिलती है. हजारों ब्लॉगर सफल हुए, आप भी हो सकते हैं इसमें कोई बड़ी बात नहीं. आप अच्छा लिखते होंगे. अच्छे जानकार होंगे. सब कुछ आपका व्यवस्थित हो सकता है, लेकिन हो सकता है शायद आप कहीं blogging में mistake कर रहे हों और आपको पता न चलता हो. नए ब्लॉगर को इस पर ध्यान देने की ज़रुरत है. आज मैं आपके ऐसे ही 6 big mistake in blogging में बताने जा  रहा हूँ. नए  



नए ब्लॉगर न करे ऐसी गलतियां. बस इन विशेष बातों का ध्यान रखें .   



1. हाई CPC के पीछे भागना छोड़ दें. 



6 big mistakes in blogging नए ब्लॉगर न करें ये गलतियां.



जो भी नए blogger आते हैं सबसे पहले तो वो अत्याधुनिक टूल के बारे में जानकारी लेकर उससे सज्ज हो जाते हैं और फिर ऐसे keyword  पर फोकस करते हैं जिसकी CPC बहुत हाई होती है. मगर उन्हें  ये नहीं पता होता कि CPC के रेट को google खुद ही घटाता -बढाता रहता है. वो कभी एक सा सस्टेन नहीं रहता. इसलिए नए  blogger को  हाई CPC न देखकर key word difficulty पर focus करना चाहिए और ऐसे keyword पर फोकस करना चाहिए जो low competition का हो और उसकी search volume भी अधिक है. 


आप ऐसे low competition keyword को लेकर अपने article को जल्दी rank करवा सकते हैं. वहीँ आप यदि high difficulty वाले keyword चुनते हैं तो आप आपको अपना article रैंक करवाने में सालों लग जायेंगे या हो सकता है उससे भी ज्यादा का वक़्त लग जाए. आप यदि आजमाना चाहते हैं तो आजमाकर देख लीजिये.ऐसा कीजिये आप एक बार high difficulty वाले key word पर एक बहुत बढ़िया सा article लिखये और फिर उसे पोस्ट करके महीनों बाद google search में चेक कीजिये. आप देखेंगे कि google में वही सारे pages सर्कुलेट हो रहे जो बहुत पुराने websites हैं. 


उदहारण के लिए पुरानी news websites को देखिये, वो गिनकर मात्र 15 ही होंगे लेकिन जब भी कोई बड़ी न्यूज़ आती है तो वो सबसे पहले उन्ही की साईट में दिखाई पड़ती है. इसके पीछे एक और कारण भी है कि उनके पास राइटिंग और SEO करने वाली टीम अलग अलग होती है. वो दिन भरकर यही करते हैं. उन्हें सालों का EXPERIENCE हैं. इसलिए आप low competition वाले keyword को choose कीजिये और उसी में लिखते जाइए.  एक समय बाद आप देखेंगे कि आपका article अचानक से google के पेज पर दिखने लगा है. 



2. Back links के पीछे शुरू में ही वक़्त बर्बाद ना करें.


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इस विषय पर you tube पर लाखों वीडियों  चल रहे हैं जिसमे ये बताया गया है कि जब तक कोई blogger अच्छे- खासे बैक लिंक नहीं बना लेता, उसकी साईट रैंक ही नहीं कर सकती. हाँ ये सच है कि बैक लिंक से आपकी साईट कि गुणवत्ता बढती है वो अच्छे से रैंक भी करती है...लेकिन अब आप खुद सोचिये जब आपके blog पर अच्छे और बेहतरीन पोस्ट नहीं रहेंगे तो यहाँ ट्रफिक आकर भी क्या होगा. क्यूंकि आपके blog को पढने वाले पाठक को जैसे ही पता चलेगा कि कंटेंट छोटा है अथवा दमदार नहीं तो वो एक ही स्क्रोल करके पूरा कंटेंट देख लेगा और वहां से चला जाएगा. 


ये आपके blog के लिए  good sign नहीं होगा क्यूंकि  इससे आपके blog का bounce rate बढ़ता जाएगा. फिर एक समय के बाद आपकी साईट डीरेंक होनी शुरू हो जायेगी. इसलिए back links के पीछे समय ना बर्बाद करते हुए आप बहुत बढ़िया सा पोस्ट लिख डालिए. पोस्ट की लेंग्थ दुसरे मिलते- जुलते article से बड़ा रखिये और अपने शब्दों में लिखिए . माना जाता है कि सबसे छोटा article तीन सौ word का होता है और सबसे बड़ा पांच हज़ार का. मगर आप पांच हज़ार मत लिखिए शुरू में .क्यूंकि हो सकता है इतना लंबा जाते -जाते आपकी लेख में दोहरावपन आ जाए. मतलब बातें रिपीट होने लगे और आपको पता भी न चले, इससे भी पाठक आपका पोस्ट छोड़कर चले जायेंगे. इसलिए आप बीच की निति को अपनाते हुए अपने article को 1500 words में लिखये. 



3. ब्लोग्गिं से पहले जमकर रिसर्च करें


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हमारे यहाँ देखा-देखी का चलन बहुत जबरजस्त है. इस पर गाँव की एक कहावत भी फीट बैठती है - नव्वा को देखते ही नाखून बढ़ जाना. मतलब किसी को कुछ दिखा नहीं कि बस शुरू हो गए. आजकल आपने गौर किया होगा कि सड़क पर सोने वाला भिखारी आदमी भी झट से mobile से कोई वीडयो बनाकर पोस्ट या share कर देता है. शॉट्स तो हर सेकेण्ड बन रहे है. और सब एक दुसरे को देख देख के बना रहे हैं. लेकिन जिनका वीडियों अच्छा होता है उसे ही पब्लिक देखती है. 


blog पोस्ट के साथ भी यही है. हम दुसरे की देखा-देखी में जल्दी -जल्दी पोस्ट लिखकर पब्लिश करने लगते हैं. फिर चाहे वो कहीं से कॉपी पेस्ट हो या फिर कम वर्ड्स वाले पोस्ट हो, क्या फर्क पड़ता है? डालते जाओ. लेकिन इससे होता कुछ नहीं, बस आपके वक़्त की बर्बादी होती है. क्यूंकि आपने कहीं से देख सुन लिया कि भाई कॉपी पेस्ट करके original content बनाइये और organic traffic पाइए. फिर आप स्पीन कर करके कॉपी पेस्ट मटेरियल को अपने blog में डालने लगते हैं. जब वो पोस्ट आपको google search में कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती फिर आपको काफी देर में जाकर पता चलता है कि वो व्यक्ति तो झूठ बोल रहा था.  और ये सच भी है . क्यूंकि यदि ऐसा होता तो फिर सभी कोपी पेस्ट करते. 


यहाँ भाषाओं की तो कोई कमी नहीं है. और गूगल में अच्छा ख़ासा google translator भी तो है. बस वहां किसी भी language को  डालिए हो और कोई दूसरी भाषा select कर लीजिये हो गया आपका गरमा गर्म तवा article तैयार. लेकिन ध्यान रहे, google को ट्रांसलेशन वाले article नहीं बल्कि  अच्छे कंटेंट चाहिए वो भी original वाले. क्यूंकि google search engine में लोग इसीलिए आते हैं ताकि वो अपने खोजे गए search के बारे में कोई अच्छा सा article पढ़ सके ना कि किसी कॉपी पेस्ट आर्टिकल का ट्रांसलेशन देख सके.  


ध्यान रहे, गूगल सिर्फ आपके इंटेंट को समझता है और उसी के अनुसार वो कोई भी रिजल्ट  आपको शो करता है. इसलिए यहाँ ट्रांसलेशन का तो सवाल ही नहीं आता. search करने वाले के पास तो वही कंटेंट आएगा जो वो ढूंढ रहा. मान लीजिये आपने google में type किया  "I am hungry". अब देखिये वो क्या show करता है. google आपको बहुत सारे hotels दिखायेगा जो आपके घर के आमने -सामने होगा ताकि वो आपकी भूख का समाधान कर सके, अब आप इसी चीज़ को आप google translator में डालकर देखिये. वो आपको सिर्फ इसका अनुवाद करके बताएगा न कि कोई होटल आदि के बारे में बताएगा. 


मेरा कहने का अर्थ यही है कि कोई भी व्यक्ति google search में आकर अपने मतलब की चीज़ें search करता है ताकि वो उसे पढ़कर उसके बारे में जान सके. यदि उसे उस चीज़ का अनुवाद करना होगा तो वो google अनुवादक में जाएगा. वैसे भी google आपकी हिंदी से इंग्लिश और इंग्लिश से  हिंदी का बहुत अच्छे से अनुवाद नहीं कर पाता . छोटे वाक्य के साथ चल जाता है मगर बड़े वाक्यों के साथ गलतियां हो जाती हैं. यदि आप उन्हें अपने पोस्ट में डालेंगे तो पाठक को समझ आ जाएगा कि  ये दूसरी किसी हिंदी भाषा का इंग्लिश अनुवाद है. इसलिए कुछ भी लिखने से पहले रिसर्च यानि कि खोज आवश्यक है कि हमारी article कैसी हो ताकि वो google की नज़रों में अच्छा माना जाए.



4. डोमन रेटिंग और रैंकिंग  की फिजूल चिंता 


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ये तो  हर blogger को पता होता कि जितनी भी पुरानी websites हैं  उनकी domain rating बहुत ही हाई होती है. अनेक वर्षों से एक ही website पर काम करने पर उससे जुडी डोमन कि गुणवत्ता बहुत ही अधिक उच्च स्तर कि हो जाती है इसलिए उस वेबसाइट की हजारों आर्टिकल्स google में rank कर रहे होते हैं. एक ही विषय पर बहुत सारे तरह-तरह के आर्टिकल होते हैं. और सभी में उनकी गहरी पैठ होती है. इनमे से कुछ डोमन की रेटिंग तो 90-95 तक होती है. ऐसे में नए ब्लॉगर के मन में ये बात बैठ जाती है कि वो चाहकर भी high authority वाले domain को beat ही नहीं कर सकते. क्यूंकि उनका domain तो नया है. लेकिन आप पूरा गूगल छान मारिये आप को गूगल की ओर से दिया ऐसा कोई भी स्टेटमेंट नहीं मिलेगा जिसमे वो ऐसी बातें कहता हो...ना पीछे कभी कहा है ना आगे कभी कहेगा. 


ये तो domain बेचने वालों की एक मार्केटिंग प्लान है. पुरानी high authority वाले domain की बहुत सारी articles रैंक में नहीं होती क्यूंकि उनमे गुणवत्ता की कमी होती है. ऐसे में इसे कोई भी blogger उन्हें अपनी अच्छी article से beat कर सकता है. Google को सिर्फ अच्छे content चाहिए होते हैं. बाकी उसे domain rating से कोई मतलब नहीं होता. आपका एक अच्छा article पुराने से पुराने हाई अथॉरिटी वाले डोमेन को भी मात दे सकता है. इसलिए आप ये बात अपने जेहन से निकाल दीजिये और बस अपनी अच्छी लिखाई पर focus कीजिये.



5. AdSense लेने में जल्दबाजी 



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कोई भी ब्लॉगर इस blogging फिल्ड में इसीलिए आता है ताकि वो इससे अच्छी कमाई कर सके और बोल्ल्गिंग में कमाई का ज़रिया है AdSense . लेकिन इसका मिलना हर उस blogger के लिए एक सपने पूरे होने जैसा है जो भी नया -नया इस फिल्ड में आया है. कुछ लोगों की तो किस्मत ही इतनी ख़राब होती है कि उनके कई बार साईट सबमिट करने के बाद भी उनका  AdSense रिजेक्ट हो जाता है. और कुछ लोगों को बहुत जल्द मिल जाता है. लेकिन ये सारा खेल आपके blog post, blog की साज-सजावट, थीम, नेविगेशन, कांटेक्ट पेज, पालिसी पेज पर निर्भर करता है कि आपने उन्हें कैसा क्रिएट किया है. 


लेकिन इन सबसे अधिक महत्व इस बात का है कि आपने पोस्ट किस तरह के लिखे हैं. यदि posts कुछ अधिक लम्बे बड़े और अधिक संख्या में न हुए तो आपको AdSense का approval मिलने से रहा. ये तो हुई ऐसे लोगों की बात जो फ़ौरन AdSense लेने के लिए मचल रहे होते हैं. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि आपको अपने blog को AdSense के लिए तभी submit करना है जब आपके blog पर traffic आनी शुरू हो जाए. क्यूंकि मान लीजिये आपने अड़सेन्स का approval ले लिया और आपके blog पर कोई traffic नहीं तो आप उसका क्या करेंगे.? 


क्यूंकि उसके कुछ ही दिनों में blog पर या तो ad लिमिट लग जाएगा फिर हमेशा के लिए डिसेबल हो जाएगा.  हालांकि ऐसे बहुत कम cases होते हैं जब traffic की कमी के कारण आपका AdSense सस्पेंड हो गया हो. ये तभी suspend होता है जो आपने google की  किसी policy की अवहेलना की हो. वरना इस पर ad limit लगा रहता है. इसलिए आपके लिए बेहतर यही है कि आप अपने blog को तभी submit करें जब उसमे कम से कम 10-20 हज़ार traffic आने लगे. 



6. SEO पर वक़्त बर्बाद करना .



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गौर करें, जिन्हें अपना BUSINESS करना होता है वो रोग भी बताते हैं और रोग का इलाज़ भी. मार्किट में जब भी कोई चीज़ आती है तो उससे रिलेटेड सौ चीज़ें आ जाती है. जब कोरोना आया तो मास्क वाले, दवा वाले, सेनिटायज़र  वाले , स्टीम भाप मशीन वाले, पल्स चेकर, स्मेल टेस्ट कीट बेचने वालों ने यहाँ तक कि बाबा के कोरोनिल ने भी अथाह पैसे कमाए. इन्हें भी आप एक टूल की तरह समझिये. लेकिन जब आप अपने शरीर पर अच्छे से ध्यान देंगे. उसका रख -रखाव करेंगे तो क्या आपको उन सारी चीज़ों  की ज़रुरत पड़ेगी? नहीं पड़ेगी. 


उसी प्रकार जब लाखों करोड़ों websites चल पड़ी तो उन्हें और अच्छा रैंकिंग करवाने के नाम पर बहुत सारे टूल्स भी आ गए जो आपको ये बताते हैं कि आपकी वेबसाइट को फर्स्ट पेज में रखने के लिए आपको अमुक -अमुक टूल्स खरीदने हैं और ऐसे -ऐसे SEO करने हैं. अब बेचारा नया ब्लॉगर अच्छा पोस्ट लिखना छोड़ इन्ही सब चीज़ों में उलझा रहता है. लेकिन ध्यान दें, google में हमेशा अच्छा कंटेंट ही चलता है. वही king है.  यदि आपकी पोस्ट बहुत अच्छी है तो आपको दुनियाँ भर की SEO करने की कोई ज़रुरत नहीं है. बस आप मन लगाकर सरल भाषा में ऐसा जबरजस्त पोस्ट लिखें कि उसे पढ़कर पाठक बार बार आपके blog पर आने के लिए मजबूर हो जाये.      



निष्कर्ष: 


अंत में कहना चाहूँगा कि google search engine एक ऐसी जगह हैं जहाँ आप कुछ ढूंढते हैं और google फ़ौरन वो article आपके सामने लाकर रख देता है. अगर आप blog राइटर हैं और लिखते हैं तो ये समझिये कि google को  हमेशा एक अच्छे कंटेंट राइटर की ज़रुरत होती है ना कि इंजिनियर की. इसलिए google का इंजिनियर अपना काम करता है और कंटेंट राइटर अपना. इसलिए सौ बातों कि एक बात, आपको बस अच्छा लिखना है. यदि आपने अच्छा लिखा तो आपकी जीत पक्की है. अगले पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा कि ये हिंदी और इंग्लिश का क्या गणित है.?  इस विषय पर एक पूरा रिसर्च है मेरा. यदि किन्ही को कुछ पूछना हो तो कमेन्ट कर पूछ सकते हैं. 


धन्यवाद 

 







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