एलोरा (Ellora caves) पहले निजाम के हैदराबाद राज्य में था, लेकिन उसके भारत में विलीन हो जाने के बाद अब यह महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले के अंतर्गत आता है. एलोरा जाने के लिए मध्य रेलवे के दिल्ली – मुंबई रेल पथ के मनमाड रेलवे स्टेशन पर उतरना पड़ता है. यहाँ से छोटी लाइन द्वारा जो सिकन्दरबाद तक जाती है, औरंगाबाद तक जाना होता है. यहाँ से बस द्वारा वरुल, जो एलोरा का स्थानीय नाम है, 30 किलोमीटर जाना पड़ता है.
एलोरा ( Ellora) का मूल नाम वरुल ही है. यह पाषण शिल्प स्थापत्य कला का एक उच्चतम नमूना है जिसे यूनस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है. इसका निर्माण राष्ट्रकूट के वंश द्वारा पांचवी से दशवी शताब्दी के बीच करवाया गया था. जाते वक़्त मार्ग में दौलताबाद का किला पहाड़ के ऊपर दिखाई पड़ता है.
एलोरा में आठवी सदी में
कैलास मंदिर का निर्माण हुआ था जो पूरा का पूरा पर्वत काटकर बनाया गया था. मंदिर
का आँगन २६० फूट लम्बा और १६० फूट चौड़ा है. इस आँगन के बीचोबीच एकलिंग देवालय जो
९६ फूट ऊंचा है. इसके आगे १६ खम्भों पर स्थित एक मंडप है. इसी के सामने एक पृथक
नंदी-मंडप है, जो कम सुन्दर नहीं है. शिव की लीलाओं तथा विविध अवतारों की मूर्तियाँ,
जो मंदिर के भीतर विद्धमान है, कला के उत्कृष्ट नमूने हैं. सबसे आकर्षक और महान
यहीं गुफा-मंदिर है. इसके अलावे अतिपय हिन्दू , जैन और बौद्ध गुफा मंदिर है.
एलोरा (Ellora) की गुफाओं की संख्या 34 है . इनके पास पक्की सड़क बनाई गयी है . नीचे रुकने के लिए छोटी- छोटी गुमटियां बनाई गयी हैं. सड़क पहाड़ पर स्थित बंगले तक गयी हैं. यहाँ के दर्शनीय गुफा मंदिर को देखने के लिए दूर दूर से देश विदेश के यात्री आते हैं. इन 34 गुफाओं में से लेकर 10 तक बौद्धों के अधिकार में है. उनमे बुद्ध तथा अन्य बौद्ध देवताओं की विशाल मूर्तियाँ हैं.
11 से लेकर 18 तक सनातन वैदिक धर्माव लम्बियों के इष्ट देवों के मंदिर तथा मूर्तियाँ एवं गुफाएं हैं. 29 से लेकर 34 तक गुफाओं में जैन तीर्थकरों की मूर्तियाँ हैं. इन सबमे महान कैलास – मंदिर गुफा है जिसका वर्णन पहले किया जा चुका है. ये गुफाएं पहाड़ काट काटकर कितनी कठिनता, परिश्रम और पैसे खर्च करके बनाई गयी होंगी, इसका अंदाज़ा लगाना आसन नहीं. पर आज, जन – शुन्यता के कारण यहाँ भयंकरता घोर रूप में निवास करती है...अकेले – दुकेले मनुष्य इसमें घुसते ही भयाक्रांत कर लेता है.
यदा कदा ही लोग एकाकी भीतर जाते होंगे. क्यूंकि भीतर बहुत सन्नाटा पसरा है इसलिए लोग झूंड में साथ जाते हैं.
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