शोले के गब्बर भाई का चरित्र चित्रण करें .कॉमेडी स्क्रिप्ट ( Gabbar Singh comedy script film Sholay)

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( Gabbar singh comedy script film Sholay )

(A comedy biography of Gabbar Singh from Sholay movie)

Gabbar singh comedy script

शोले के गब्बर भाई का चरित्र चित्रण करें


मुंबई के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती गब्बर की माँ फिलमिया देवी, डाकुओं की फिल्म देखने की जबरजस्त शौक़ीन थी .जिस दिन गब्बर जन्म ले रहा था उस दिन भी फिलमिया देवी टीवी पर डाकू की ही एक फिल्म देख रही थी. लेकिन गब्बर जब पैदा हुआ तो उसे देखकर सब डर गए  क्यूंकि वो खाकी डाकू वाली वर्दी में जन्मा था. और जन्म लेते ही पुछा - कितने आदमी थे ????  जो मेरी माँ को परेशान किये हो बे..??? माँ ने किसी तरह गब्बर को शांत कर उसे दूध पिलाना चाहा, मगर गब्बर का ध्यान माँ की दूध की ओर नहीं बल्कि गेटकीपर रामू काका की खैनी पर था. 


लिहाज़ा गब्बर को उसी वक़्त खैनी बनाकर दिया गया. तभी अचानक एक आकाशवाणी हुई कि गब्बर के जीवन में एक नहीं बल्कि दो -दो शनि हैं- एक जय और दूसरा वीरू. तब फिलमिया देवी गब्बर को लेकर रामगढ़ भाग आई. बाद में आकाशवाणी के अनुसार गब्बर का सामना जय और वीरू से हुआ और वो मारा गया. मगर जो लोग गब्बर के जीवन से परिचित नहीं उन्हें बता दूं कि वो एक महान आत्मा थे.


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सादगी भरा जीवन : - नौजवान गब्बर सिंह, शहर की भीड़-भाड़ से दूर रामगढ़ के जंगलों में रहकर सादा जीवन बिताते थे और एक ही कपडे में सालों निकाल देते थे. वो मुश्किल से कभी नहाते थे और अपने बाल दाढ़ी खुद ही काट लिया करते थे. गब्बर पढ़ा लिखा नहीं था. ना ही धोखेबाज और झूठा वरना वो आज संसद में बैठने वाले डाकुओं का राजा होता.  वैसे गब्बर के दो ख़ास साथी, कालिया और शाम्भा थे. कालिया, गालिया बहुत देता था इसलिए उसकी माँ ने उसे गब्बर की माँ फिलमिया देवी को सौप दिया था और शाम्भा एक आंधी में उड़कर आकर फिलमिया देवी के आँगन में गिरा था. तब से फिलमिया देवी ने तीनो को पालपोस कर बड़ा किया. मगर बाद में गाँव देहात और जंगल में टीवी न होने के कारण फिलमिया देवी डाकुओं की एक भी मूवी देख नहीं पायी जिससे उनकी दोनों किडनी  ख़राब हो गई और वो चल बसी.  


शम्भा और कालिया को खाना पकाना नहीं आता था इसलिए गब्बर, बसंती को उनकी भौजाई बनाना चाहता था. बसंती उसी गाँव में रहती थी, जहाँ ठाकुर की एक आटा चक्की चलती थी. बसंती पार्ट टाइम गाँव में धन्नों के टाँगे में आटा डिलीवरी करने का काम किया करती थी. लेकिन बाद में जब ठाकुर इस शादी के खिलाफ खड़ा हुआ तो गब्बर ने उसके दोनों हाथ काट दिए. लेकिन गब्बर बहुत दयालू था, वो चाहता तो ठाकुर का बहुत कुछ काट सकता था मगर नहीं काटा और गब्बर को रामदयाल के भरोसे छोड़ दिया. 

 

गब्बर संगीत प्रेमी था .  गब्बर के टेंट में रोज़ नाच- गान का आयोजन होता ..यूं तो उसका पसंदिता गाना हमेशा महबूबा- महबूबा रहा लेकिन एक दिन बसंती, जब ठाकुर का आटा पहुँचाने गब्बर के टेंट में आई तो गब्बर ने बसंती के भीतर छिपी उसकी कुशल नर्तिका वाले गुण को ताड लिया.  तब गब्बर ने ठान लिया कि एक दिन वो बसंती जैसी कटीली नचनियां को ज़रूर नचाएगा.

  

जबरजस्त हंसोडा था गब्बर- गब्बर की माँ कहती थी कि जब गब्बर पैदा हुआ था उस दिन वो बहुत हंस रहा था जिसके बाद गब्बर को हंसने की बीमारी लग गयी. इसलिए उसने कालियां और उसके साथियों को हंसा हंसा कर मारा था.

 

नारी सम्मान की पराकाष्ठा-  एक भारतीय परंपरा के अनुसार गब्बर बसंती से शादी करना चाहता था मगर जब वो नहीं मानी तो गबार ने सिर्फ बसंती को नाचने के लिए कहा, क्यूंकि बसंती दुसरे से प्यार करती थी.  रामगढ़ में इतने सालों रहने के बाद भी गब्बर ने कभी कोई इश्कबाजी नहीं की. भले ही उसे रक्षा बंधन से चिढ और  होली से प्यार था . इससे साफ़ पता चलता कि गब्बर किसी नारी के साथ जोर-जबरजस्ती तो बिल्कुल भी नहीं करता था. उसके मुताबिक "जहाँ दिखी नारी वहीँ आखं मारी..पटी तो पटी नहीं तो फिर से डाकू ब्रह्मचारी. 


सादा जीवन उच्च विचार : - गब्बर ने कभी भी रामगढ़ वालों से बिरयानी की डिमांड नहीं की तभी तो उनके आदमी सिर्फ अनाज मांगने आते थे. अनाज तो कोई भी मांग सकता है. यहाँ तक कि होली पर्व के शौक़ीन गब्बर ने कभी मांस मदिरा को हाथ भी नहीं लगाया. बस होली आते ही वो खुश होकर पूछता- कब है होली.? बस गब्बर को खैनी की लत थी . लेकिन वो एक पाउच खैनी को जीवन भर खाता रहा.


बच्चे वालों के लिए मसीहा  : गाँव के बच्चे जब सोते नहीं तो उनकी माँ बच्चों को लोरी सुनाने से बच जाती, बस इतना कहते  ही कि "सो जाओ वरना गब्बर आ जाएगा" बच्चे सो जाते. इससे उन माओं को बहुत आराम मिलता जिन्हें बच्चे बहुत सताते थे.

 

इस तरह हमे गब्बर के जीवन चरित्र से पता चलता है कि वो एक महान व्यक्ति था. डाकुओं में उनकी प्रतिमा आज भी रामगढ़ के जंगलों में कहीं है बस दरकार है तो उसे ढूँढने की.    


            

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