पृष्ठ-सं २५- वासुदेव, संकर्षण आदिके मन्त्रोंका निर्देश तथा एक व्यूहसे लेकर द्वादश व्यूहतकके व्यूहाँका एवं पञ्चविंश और पदविंश व्यूहका वर्णन.
945
विषय -
सम्पूर्ण अग्नि पुराण की कथा सूची ( Agni Puran's Stories )
25 श्री
951 श्रीमन
952
अध्याय
विषय
पृष्ठ संख्या
| अध्याय
अग्रिपुराणका संक्षिप्त परिचय १- मङ्गलाचरण तथा अग्नि और वसिष्ठके nसंवादरूपसे अग्निपुराणका आरम्भ,
२- मत्स्यावतारकी कथा.
३- समुद्र मन्थन, कूर्म तथा मोहिनी अवतारकी कथा ४- वराह, नृसिंह, वामन और परशुराम-
26
४
27
३
२६- मुद्राओंके लक्षण. २७- शिष्योंको दीक्षा देनेकी विधिका वर्णन
२८- आचार्यके अभिषेकका विधान.
२९- मन्त्र-साधन-विधि, सर्वतोभद्रादि मण्डलोंके
4,565 श्री
29
24 श्रीम
अवतारकी कथा ....
५- श्रीरामावतार वर्णनके प्रसङ्गमें रामायण- बालकाण्डकी संक्षिप्त कथा
६- अयोध्याकाण्डकी संक्षिप्त कथा.
- अरण्यकाण्डकी संक्षिप्त कथा
22 भागा
19 भागव
७-
10 श्रीप्रेम
1 श्रीमन
महाभ
लक्षण.
८
३०- भद्रमण्डल आदिकी पूजन विधिका वर्णन ... ११ ३१- 'अपामार्जन विधान' एवं 'कुशापामार्जन'
१३
नामक स्तोत्रका वर्णन. १४ ३२- निर्वाणादि-दीक्षाकी सिद्धिके उद्देश्यसे
१६ सम्पादनीय संस्कारोंका वर्णन.
१८ ३३ - पवित्रारोपण, भूतशुद्धि, योगपीठस्थ देवताओं
तथा प्रधान देवताके पार्षद-आवरणदेवोंकी
१९
पूजा
महाभ
संक्षि
६४
संक्षिप
सं०
८- किष्किन्धाकाण्डकी संक्षिप्त कथा.
९- सुन्दरकाण्डकी संक्षिप्त कथा.
१० युद्धकाण्डकी संक्षिप्त कथा
११- उत्तरकाण्डकी संक्षिप्त कथा
१२- हरिवंशका वर्णन एवं श्रीकृष्णावतारकी
संक्षिप्त कथा,
१३- महाभारतकी संक्षिप्त कथा. १४- कौरव और पाण्डवोंका युद्ध तथा उसका
परिणाम. १५- यदुकुलका संहार और पाण्डवोंका स्वर्गगमन...
१६- बुद्ध और कल्कि अवतारोंकी कथा. १७- जगत्की सृष्टिका वर्णन
१८- स्वायम्भुव मनुके वंशका वर्णन
१९- कश्यप आदिके वंशका वर्णन, २०- सर्गका वर्णन.
सं० दे
२३
| ३४- पवित्रारोपणके लिये पूजा-होमादिकी विधि ३५- पवित्राधिवासन-विधि..
२५
३६- भगवान् विष्णुके लिये पवित्रारोपणकी विधि २७ ३७ संक्षेपसे समस्त देवताओंके लिये साधारण
२८
पवित्रारोपणकी विधि. २८ ३८- देवालय निर्माणसे प्राप्त होनेवाले फल आदिका
२९
वर्णन
३२ ३९- विष्णु आदि देवताओंकी स्थापनाके लिये
३३)
भूपरिग्रहका विधान ४०- वास्तुमण्डलवर्ती देवताओंके स्थापन, पूजन, अर्घ्यदान तथा बलिदान आदिकी विधि.
३५
४१- शिलान्यासकी विधि...
३७
४२ प्रासाद-लक्षण-वर्णन,
४३- मन्दिरके देवताकी स्थापना और भूतशान्ति आदिका कथन.
३८
o स
० म
२१- विष्णु आदि देवताओंकी सामान्य पूजाका विधान
महे
२२- पूजाके अधिकारकी सिद्धिके लिये सामान्यतः स्नान-विधि.
२३- देवताओं तथा भगवान् विष्णुकी सामान्य पूजा-विधि,
८६
२४- कुण्ड निर्माण एवं अग्नि-स्थापन सम्बन्धी कार्य आदिका वर्णन.
४४- वासुदेव आदिकी प्रतिमाओंके लक्षण.
३९ ४५ पिण्डिका आदिके लक्षण..
८७ 388
८९
९२
पृष्ठ संख्या
१५३
अध्याय
१५७
१५८ १६० मूसल, झाड़ू और खंभे आदिका पूजन एवं प्राणाग्निहोत्रकी विधि... ५० चण्डी आदि देवी-देवताओंकी प्रतिमाओंके लक्षण ९८ ७८- पवित्राधिवासनकी विधि,
१६५
संख्या
• १६७ ८० दमनकारोपणकी विधि ५२- चौसठ योगिनी आदिकी प्रतिमाओंके लक्षण १०४ ८१- समयाचार-दीक्षाकी विधि.
१०२ ५१- सूर्यादि ग्रहों तथा दिक्पाल आदि देवताओंकी ७९ पवित्रारोपणकी विधि, प्रतिमाओंके लक्षणोंका वर्णन.
. १६८
१७७
- १०७ ८३- निर्वाण दीक्षाके अन्तर्गत अधिवासनकी विधि... १७९ ८४ - निर्वाण दीक्षाके अन्तर्गत निवृत्तिकला-शोधन- विधि,
४९
५३ ५४ ५५. ५६ प्रतिष्ठाके अङ्गभूतः मण्डपनिर्माण, तोरण- स्तम्भ, कलश एवं ध्वजके स्थापन तथा दस दिक्पाल यागका वर्णन.
११९
[4] पृष्ठ संख्या अध्याय
विषय
विषय
४६ शालग्राम मूर्तियों के लक्षण... ९३ | ७५- शिवपूजाके अङ्गभूत होमकी विधि. ४७ शालग्राम विग्रहों की पूजाका वर्णन.
वर्णन पूजाका ९४ ७६ चण्डकी ९५ ७७ घरको कपिला गाय, चूल्हा, चक्की, ओखली,
४८- चतुर्विंशति- मूर्तिस्तोत्र एवं द्वादशाक्षर स्तोत्र ४९ मत्स्यादि दशावतारोंकी प्रतिमाओंके लक्षणोंका वर्णन
९६
५३- लिङ्ग आदिका लक्षण. ५४ लिङ्ग मान एवं व्यक्ताव्यक्त लक्षण आदिका वर्णन
१०५ ८२- समय दीक्षाके अन्तर्गत संस्कार-दीक्षाकी
विधिका वर्णन.
- पिण्डिकाका लक्षण
१११
१८२
८५ निर्वाण-दीक्षा के अन्तर्गत प्रतिष्ठकलाके शोधनकी विधिका वर्णन १८५
११२
- ५७ ५७- कलशाधिवासकी विधिका वर्णन. ५८- भगवद्विग्रहको स्नान और शयन करानेकी ५९ विधि,
११४
८६- निर्वाण-दीक्षाके अन्तर्गत विद्याकलाका शोधन १८७
११५
८७- निर्वाण-दीक्षाके अन्तर्गत शान्तिकलाका शोधन १८९
५९- अधिवास- विधिका वर्णन..
६३ ६० वासुदेव आदि देवताओंके स्थापनकी ८८- निर्वाण दीक्षाकी अवशिष्ट विधिका वर्णन. १९० साधारण विधि,
१२२
८९ एकतत्त्व-दीक्षाकी विधि. १९३
६१- अवभृथस्नान, द्वारप्रतिष्ठा और ध्वजारोपण ६४ आदिकी विधिका वर्णन. -७० ६२- लक्ष्मी आदि देवियोंकी प्रतिष्ठाकी सामान्य विधि १२७. मण्डलका कथन.....
९० अभिषेक आदिको विधिका वर्णन ............ १९३ ९१- देवार्चनकी महिमा तथा विविध मन्त्र एवं
१२४
. १९४
७३ ६३- विष्णु आदि देवताओंकी प्रतिष्ठाकी सामान्य १९२- प्रतिष्ठाके अङ्गभूत शिलान्यासकी विधिका ७५ विधि तथा पुस्तक लेखन - विधि................
१२८
वर्णन १९६ ६४- कुआँ, बावड़ी और पोखरे आदिकी प्रतिष्ठाकी ९३- वास्तुपूजा-विधि
२००
विधि..
१३०
१४- शिलान्यासकी विधि
२०२
६५ सभा स्थापन और एकशालादि भवनके ७६
९५ प्रतिष्ठा काल सामग्री आदिकी विधिका कथन २०३ ९६ प्रतिष्ठामें अधिवासकी विधि.
निर्माण आदिकी विधि, गृहप्रवेशका क्रम तथा अभ्युदयके लिये प्रार्थना १३२ ७७
......... २०७
९७- शिव प्रतिष्ठाकी विधि २१४ १३४ ९८- गौरी प्रतिष्ठा-विधि
६६- देवता- सामान्य प्रतिष्ठा, ८०
६७- जीर्णोद्धार विधि
२१९
१३६ ९९ सूर्यदेवकी स्थापनाकी विधि २२० १३६ १०० द्वार प्रतिष्ठा-विधि
६८- उत्सव विधिका कथन ६९- स्नपनोत्सवके विस्तारका वर्णन.
. २२०
ごき
१३७ १०१- प्रासाद-प्रतिष्ठा २२१
७० वृक्षोंको प्रतिष्ठाकी विधि, १३८ १०२ - ध्वजारोपण. ७१- गणपतिपूजनकी विधि......
१३९ १०३- शिवलिङ्ग आदिके जीर्णोद्धारकी विधि.......... २२४
.. २२२
७२- स्नान, संध्या और तर्पणकी विधिका वर्णन .....
१३९ १०४- प्रासादके लक्षण. ..... २२५
७३- सूर्यदेवको पूजाविधिका वर्णन,
१४४ १०५ - नगर, गृह आदिकी वास्तु-प्रतिष्ठा विधि........ २२७ . १४६ १०६ नगर आदिके वास्तुका वर्णन - ......... २३१
७४- शिवपूजाकी विधि..
२
त्रपय
पृष्ठ संख्या
अध्याय
१४१- छत्तीस कोष्ठोंमें निर्दिष्ट ओषधियोंक वैज्ञानिक प्रभावका वर्णन..
गीताप्रे
1930) श्रीम
1945
अध्याय
विषय
१०७- भुवनकोष (पृथ्वी द्वीप आदि) का तथा २३२ स्वायम्भुव सर्गका वर्णन. १०८- भुवनकोश- वर्णनके प्रसंग में भूमण्डलके द्वीप
आदिका परिचय
२३३
१०९ तीर्थ माहात्म्य.
२३५
११०- गङ्गाजीको महिमा.
२३६
११९ प्रयागमाहात्म्य
११२- वाराणसीका माहात्म्य. १.१३ नर्मदा माहात्म्य.
११४-गया-माहात्म्य २३८
११५ गया यात्राको विधि.
११६ गया में श्राद्धकी विधि, १९७ श्राद्धकल्प,
25 श्रीशु
(1951) श्रम
1952
26
३१
27 564,565 श्री
29
११८- भारतवर्षका वर्णन..
३१ • २५४ १४७ - गुह्यकुब्जिका, नवा त्वरिता तथा दूतियोंके मन्त्र एवं न्यास-पूजन आदिका वर्णन.
124 ऑम
३१ १४८- संग्राम-विजयदायक सूर्य-पूजनका वर्णन.. २५६ १४९- होमके प्रकार-भेद एवं विविध फलोंका कथन....... ३१
३०
१४२ - चोर और जातकका निर्णय, शनि-दृष्टि,
दिन-राहु, फणि-राहु, तिथि-राहु तथा विष्टि-राहुके फल और अपराजिता मन्त्र एवं औषधिका वर्णन
३०
२३६ | १४३ - कुब्जिका सम्बन्धी न्यास एवं पूजनकी विधि.... ३०
२३७ १४४- कुब्जिकाकी पूजा-विधिका वर्णन ......... १४५ - मालिनी आदि नाना प्रकारके मन्त्र और
२३८
उनके पोढा-न्यास, ३० पीठस्थानपर २४२ १४६-त्रिखण्डी-मन्त्रका वर्णन:
२४६
पूजनीय शक्तियों तथा आठ अष्टक
२४८
देवियोंका कथन
११९- जम्बू आदि महाद्वीपों तथा समस्त भूमिके विस्तारका वर्णन.
२५५
१२० भुवनकोश-वर्णन.
(१२१- ज्योतिःशास्त्रका कथन २५९ १५०- मन्वन्तरोंका वर्णन.
१२२- कालगणना- पञ्चाङ्गमान-साधन
२६३ १५१ - वर्ण और आश्रमके सामान्य धर्म, वर्णों तथा विलोमज जातियोंके विशेष धर्म. ३१ १५२- गृहस्थकी जीविका,
१२३- युद्धजयार्णव सम्बन्धी विविध योगोंका वर्णन
२६६
३१ १५३- संस्कारोंका वर्णन और ब्रह्मचारीके धर्म. ३१
१२४- युद्धजयार्णवीय ज्यौतिषशास्त्रका सार ... २७२ १२५ युद्धजयार्णव-सम्बन्धी अनेक प्रकारके चक्रोंका
१५४ विवाहविषयक बातें २७३ १५५- आचारका वर्णन...
वर्णन १२६- नक्षत्र सम्बन्धी पिण्डका वर्णन
३२
३२
२७७ १५६- द्रव्यशुद्धि ३२
१२७ विभिन्न बलोंका वर्णन.. २७९ १५७ मरणाशीच तथा पिण्डदान एवं दाह-संस्कार- १२८- कोटचक्रका वर्णन.
२८०
१२९- अर्धकाण्डका प्रतिपादन.
३२
. २८२ १५८- गर्भस्राव आदि सम्बन्धी अशौच. ३२ कालिक कर्तव्यका कथन.
१३० विविध मण्डलोंका वर्णन.
१३१-पातचक्र आदिका वर्णन.
३३
1092 भाग
2009 भागर 30 श्रीप्रेम
३१
31 श्रीम
728 महाभ
38 महाभ
1589
39 संक्षि
511/
44 संक्षि
468 #of
789 Hof
133 सं० दे
48 श्रीवि
164. श्रीवि
३३
३३
83 सं०न
79 सं० रु
39 सं० म
7 श्रीम
३३ २८८ १६२- धर्मशास्त्रका उपदेश।
३३
२८२ १५९- असंस्कृत आदिकी शुद्धि.
२८३ १६० वानप्रस्थ आश्रम
१३२- सेवा चक्र आदिका निरूपण..
२८६ १६१- संन्यासीके धर्म.
१३३- नाना प्रकारके बलोंका विचार
(१३४- त्रैलोक्यविजया विद्या. . २९१ १६३- श्राद्धकल्पका वर्णन..
१३५- संग्रामविजय विद्या
२९२ १६४- नवग्रह सम्बन्धी हवनका वर्णन ३४
१३६- नक्षत्रोंके त्रिनाडी-चक्र या फणीश्वरचक्रका १६५- विभिन्न धर्मोका वर्णन...
वर्णन
२९५ १६६ - वर्णाश्रम धर्म आदिका वर्णन. ३४ . ३४
१३७- महामारी विद्याका वर्णन.
• २९५ १६७- ग्रहोंके अयुत-लक्ष-कोटि हवनोंका वर्णन ..... ३४ २९७ १६८- महापातकोंका वर्णन.
१३८- तन्त्रविषयक छ: कमका वर्णन.
१३९ - साठ संवत्सरोंमें मुख्य मुख्यके नाम एवं उनके फल-भेदका कथन
३४
१६९- ब्रह्महत्या आदि विविध पापोंके प्रायश्चित्त ..... • २९८ १७० - विभिन्न प्रायश्चित्तोंका वर्णन.
. ३४
१४० वश्य आदि योगोंका वर्णन.
२९९ | १७१ - गुप्त पापके प्रायश्चित्तका वर्णन.
३५
३५
पृष्ठ संख्या
अध्याय
३९४
३९८
४००
४०८
४२०
[७]
विषय
पृष्ठ संख्या अध्याय
विषय
१७२- समस्त पापनाशक स्तोत्र (१७३ अनेकविध प्रायचित्तोंका वर्णन.
३५४ | २०९ धनके प्रकार देश-काल और पात्रका विचार;
द्रव्य- य-देवताओं पात्रभेदसे दानके फल-भेद: तथा दान विधिका कथन
३५५
१७४- प्रायश्चित्तोंका वर्णन.
३५९ १७५ व्रतके विषयमें अनेक ज्ञातव्य बातें ३६० २१०- सोलह महादानोंके नामः दस मेरुदान, दस
१७६ प्रतिपदा तिथिके व्रत. ३६४ धेनुदान और विविध गोदानोंका वर्णन .......... १७७- द्वितीया तिथिके व्रत
३६४ २११- नाना प्रकारके दानोंका वर्णन...
४०३
१७८- तृतीया तिथिके व्रत, ३६६ २१२ विविध काम्य-दान एवं मेरुदानोंका वर्णन, १७९- चतुर्थी तिथिके व्रत
३६८ २१३- पृथ्वीदान तथा गोदानकी महिमा. ३६९ २१४- नाड़ीचक्रका वर्णन,
१८० पञ्चमी तिथिके व्रत
४०६
१८१ षष्ठी तिथिके व्रत:
३६९ २१५-संध्या-विधि,
१८२- सप्तमी तिथिके व्रत
३६९ २१६- गायत्री मन्त्रके तात्पर्यार्थका वर्णन.
४११
१८३- अष्टमी तिथिके व्रत १८४- अष्टमी-सम्बन्धी विविध व्रत
३७०
२१७- गायत्रीसे निर्वाणकी प्राप्ति. ३७१ २१८- राजाके अभिषेककी विधि,
४१३
४१३
१८५-नवमी तिथिके व्रत. १८६ दशमी तिथिके व्रत
३७३ | २१९- राजाके अभिषेकके समय पढ़नेयोग्य मन्त्र...... ४१५
३७४ | २२०- राजाके द्वारा अपने सहायकोंकी नियुक्ति
१८७- एकादशी तिथिके व्रत
३७४ और उनसे काम लेनेका ढंग ........ ३७५ २२१- अनुजीवियोंका राजाके प्रति कर्तव्यका वर्णन.. ४१९ ३७५ २२२- राजाके दुर्ग, कर्तव्य तथा साध्वी स्त्रीके
४१८
१८८- द्वादशी तिथिके व्रत.
१८९ श्रवणद्वादशी व्रतका वर्णन, १९० अखण्ड- द्वादशी व्रतका वर्णन ३७७
धर्मका वर्णन ३७७ २२३- राष्ट्रकी रक्षा तथा प्रजासे कर लेने आदिके विषयमें विचार,
१९१- त्रयोदशी तिथिके व्रत, १९२ - चतुर्दशी-सम्बन्धी व्रत, ३७८
४२२
१९३- शिवरात्रि व्रत. ३७९ २२४- अन्त: पुरके सम्बन्धमें राजाके कर्तव्य; स्त्रीकी
१९४ अशोकपूर्णिमा आदि व्रतोंका वर्णन १९५ वार-सम्बन्धी व्रतोंका वर्णन
३७९ विरक्ति और अनुरक्तिकी परीक्षा तथा सुगन्धित पदार्थोंके सेवनका प्रकार.
३८०
- ४२४
१९६- नक्षत्र सम्बन्धी व्रत १९७ दिन सम्बन्धी व्रत..
३८० २२५- राज-धर्म- राजपुत्र- रक्षण आदि.
- ४२७
३८२ २२६- पुरुषार्थकी प्रशंसा साम आदि उपायोंका प्रयोग तथा राजाकी विविध देवरूपताका प्रतिपादन २२७- अपराधोंके अनुसार दण्डके प्रयोग..... ०४३०
१९८- मास सम्बन्धी व्रत
३८३
४२८
१९९ ऋतु वर्ष, मास, संक्रान्ति आदि विभिन्न व्रतोंका वर्णन
३८४
२२८- युद्ध यात्राके सम्बन्धमें विचार ...
४३४
२०० दीप दान व्रतकी महिमा एवं विदर्भराज- कुमारी ललिताका उपाख्यान. ....
२२९- अशुभ और स्वप्नोंका विचार २३०- अशुभ और शुभ शकुन, शुभ
४३५
३८४
४३६
२०१ - नवव्यूहार्चन.
३८६ २३१- शकुनके भेद तथा विभिन्न जीवोंके दर्शनसे ३८७ होनेवाले शुभाशुभ फलका वर्णन, ......... ४३७
२०२ - देवपूजाके योग्य और अयोग्य पुष्प
२०३- नरकोंका वर्णन, ३८८ २३२- कौए कुत्ते, गौ, घोड़े और हाथी आदिके २०४- मासोपवास व्रत
३८९ द्वारा होनेवाले शुभाशुभ शकुनका वर्णन. ४३९ ३९१ २३३- यात्राके मुहूर्त और द्वादश राजमण्डलका विचार.
२०५- भीष्मपञ्चकव्रत. २०६ अगस्त्यके उद्देश्यसे अर्घ्यदान एवं उनके
४४१
पूजनका कथन..
३९१ २३४- दण्ड, उपेक्षा, माया और साम आदि नीतियोंका उपयोग.
२०७ - कौमुद- व्रत ...
३९३
२०८ - व्रतदानसमुच्चय.
४४३
३९४ २३५- राजाकी नित्यचर्या.
४४४
--
[4]
विषय
विक्रय, दत्ताप्रदानिक, क्रीतानुशय शुश्रूषा, संविद्व्यतिक्रम, वेतनादान समाह्वयका विचार.
४४५
४४९
४५१
विषय
पृष्ठ संख्या
अध्याय
अध्याय
२३६- संग्राम- दीक्षा- युद्ध के समय पालन करनेयोग्य
नियमोंका वर्णन २३७ लक्ष्मीस्तोत्र और उसका फल.
२३८- श्रीरामके द्वारा उपदिष्ट राजनीति
२३९- श्रीरामकी राजनीति- २४०- द्वादशराजमण्डल-चिन्तन ४५८
२४१- मन्त्रविकल्प २४२- सेना के छः भेद इनका बलाबल तथा B: अङ्ग..........
२५८- व्यवहारके वाक्पारुष्य, दण्डपारुष्य, सह विक्रीयासम्प्रदान, सम्भूयसमुत्थान, स् स्त्री-संग्रहण तथा प्रकीर्णक-इन विवादास् विषयोंपर विचार.
गीताप्रेस
४५३
पुरा
४६३
30) श्रीमद्भ
45
25 श्रीशुक
51 ) श्रीमद्भ
| २५९ ऋग्विधान-विविध कामनाओंको सिद्धिह लिये प्रयुक्त होनेवाले ऋग्वेदीय पत्रकारि २६० यजुर्विधान-यजुर्वेदके विभिन्न मन्त्रका विि
४७५
कार्योंके लिये प्रयोग. २६१ सामविधान- सामवेदोक्त मन्त्रोंका भित्र-ि कार्योंके लिये प्रयोग
४६८
52
२४३- पुरुष-लक्षण वर्णन २४४- स्त्रीके लक्षण. २४५- चामर, धनुष, बाण तथा खड्गके लक्षण.....
४७६
४७७
४७८
२४६ रत्न- परीक्षण २४७- गृहके योग्य भूमिः चतुःषष्टिपद वास्तुमण्डल और वृक्षारोपणका वर्णन.
565 श्रीम
H
श्रीमउ
भागव
भागवत
श्रीप्रेम-
श्रीमद्ध
महाभा
२६२- अथर्वविधान—अथर्ववेदोक्त मन्त्रोंका विभि कर्मों में विनियोग
४७९
| २६३- नाना प्रकारके उत्पात और उनकी शानि उपाय
२४८- विष्णु आदिके पूजनमें उपयोगी पुष्पोंका कथन. ४८० २४९- धनुर्वेदका वर्णन युद्ध और अस्त्रके भेद, आठ प्रकारके स्थान, धनुष, बाणको ग्रहण करने और छोड़नेकी विधि आदिका कथन... ४८१
२६४- देवपूजा तथा वैश्वदेव वलि आदिका वर्णन २६५- दिक्पालस्नानकी विधिका वर्णन
२५०- लक्ष्यवेधके लिये धनुष-बाण लेने और उनके समुचित प्रयोग करनेकी शिक्षा तथा वेध्यके विविध भेदोंका वर्णन.
२६६ - विनायक स्नानविधि
२६७- माहेश्वर स्नान आदि विविध स्नानोंका वर्णन भगवान् विष्णुके पूजनसे तथा गायत्रीमन् लक्ष होमादिसे शान्तिकी प्राप्तिका कथन
२५१- पाशके निर्माण और प्रयोगकी विधि तथा तलवार और लाठीको अपने पास रखने एवं शत्रुपर चलानेकी उपयुक्त पद्धतिका निर्देश.....
४८६ २५२- तलवारके बत्तीस हाथ, पाश, चक्र, शूल, तोमर, गंदा, परशु, मुदर, भिन्दिपाल, वज्र, कृपाण, क्षेपणी, गदायुद्ध तथा मल्लयुद्धके दाँव और पैंतरोंका वर्णन
२६८- सांवत्सर-कर्म; इन्द्र-शचीकी पूजा एवं प्रार्थन राजाके द्वारा भद्रकाली तथा अन्यान्य देवताओं के पूजनकी विधि, वाहन आदिका पूजन तथा नीराजना.
२६९- छत्र, अश्व, ध्वजा, गज, पताका, खड्ग, कवच और दुन्दुभिकी प्रार्थनाके मन्त्र
महाभार
४८४
क्षिप्त
- शि
- शि
देवं
४८७
२५३- व्यवहारशास्त्र तथा विविध व्यवहारोंका वर्णन ४८८
२७०- विष्णुपञ्जरस्तोत्रका कथन
२५४ ऋणादान तथा उपनिधि-सम्बन्धी विचार २५५ साक्षी, लेखा तथा दिव्यप्रमाणोंके विषयमें विवेचन
वेदोंकी महिमा.. ४९४ २७१- वेदोंके मन्त्र और शाखा आदिका वर्णन तथा
ना
•
४९८
२७२- विभिन्न पुराणोंके दान तथा महाभारत-श्रवण दान-पूजन आदिका माहात्म्य
२५६- पैतृक धनके अधिकारी; पत्नियाँका धनाधिकार; पितामहके धनके अधिकारी; विभाज्य और अविभाज्य धन; वर्णक्रमसे पुत्रोंके धनाधिकार; बारह प्रकारके पुत्र और उनके अधिकार; पत्नी-पुत्री आदिके, संसृष्टीके धनका विभाग; क्लीब आदिका अनधिकारः स्त्रीधन तथा उसका विभाग
२५७- सीमा विवाद,
२७३ - सूर्यवंशका वर्णन
| २७४- सोमवंशका वर्णन
२७५- यदुवंशका वर्णन | २७६- श्रीकृष्णकी पलियों तथा केसेसे नाम
पृष्ठ संख्या
६४९
अध्याय
[१]
विषय
विषय
पृष्ठ
संख्या
अध्याय
२७८- पूरुवंशका वर्णन.
५५९ ३१५- स्तम्भन आदिके मन्त्रोंका कथन. ३१६- त्वरिता आदि विविध मन्त्र एवं कुब्जिका-
२०९ सिद्ध औषधियोंका वर्णन,
५६१
विद्याका कथन
६५१
२८०- सर्वरोगहर औषधोंका वर्णन २८१ रस आदिके लक्षण,
५६४
६५१
५६७ ३१७-सकलादि मन्त्रोंके उद्धारका क्रम.
२८२- आयुर्वेदोक्त वृक्ष-विज्ञान, २८३- नाना रोगनाशक औषधियोंका वर्णन.
५६९ ३१८- अन्तःस्थ, कण्ठोष्ठ तथा शिवस्वरूप मन्त्रका वर्णन; अघोरास्त्र-मन्त्रका उद्धार, 'विघ्नमर्द' नामक मण्डल तथा गणपति पूजनको विधि.
५७०
१२
२८४- मन्त्ररूप औषधोंका कथन,
.............. ५७३
६५४
६५६
२८५- मृतसंजीवनकारक सिद्ध २८६- मृत्युंजय योगोंका वर्णन,
योगोंका कथन ५७४ ३१९ - वागीश्वरीकी पूजा एवं मन्त्र आदि.......
......... ६५७ ६५९
५७८ ३२०- सर्वतोभद्र आदि मण्डलोंका वर्णन. ३२१- अघोरास्त्र आदि शान्ति-विधानका कथन
२८७- गज-चिकित्सा.
५८०
६६०
२८८- अश्ववाहन सार ५८२३२२- पाशुपतास्त्र-मन्त्रद्वारा शान्तिका कथन. २८९- अब चिकित्सा,
५८५ ३२३- गङ्गा-मन्त्र, शिवमन्त्रराज, चण्डकपालिनी-मन्त्र, क्षेत्रपाल- बीजमन्त्र, सिद्धविद्या, महामृत्युंजय, ५८९ मृतसंजीवनी, ईशानादि मन्त्र तथा इनके छः अङ्ग एवं अघोरास्त्रका कथन.
२९० अ-शान्ति २९१- गज शान्ति...
५८८
२
२९२- गवायुर्वेद.
५९०
६६२
२९३ मन्त्र-विद्या
५९२ ३२४- कल्पाघोर रुद्रशान्ति
६६४
२९४- नागलक्षण
.
५९९
३२५- रुद्राक्ष धारण मन्त्रोंकी सिद्धादि संज्ञा तथा ६०३ अंश आदिका विचार.. ३२६- गौरी आदि देवियों तथा मृत्युंजयकी पूजाका
२९५ दष्ट-चिकित्सा.
• ६६६
२९६ पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान.. ९ २९७ विषहारी मन्त्र तथा औषध
६०६ ||
६०७
विधान. ३२७- विभिन्न कर्मोंमें उपयुक्त माला, अनेकानेक ६१० मन्त्र, लिङ्ग-पूजा तथा देवालयकी महत्ताका विचार
• ६६८
२९८- गोनसादि-चिकित्सा,
६०८
२९९- बालादिग्रहहर बालतन्त्र ३०० ग्रहबाधा एवं रोगोंको हरनेवाले मन्त्र तथा औषध आदिका कथन,
६६९
६१३
|
३२८- छन्दोंके गण और गुरु लघुकी व्यवस्था.
६७०
३०१ - सिद्धि गणपति आदि मन्त्र तथा सूर्यदेवकी
३२९- गायत्री आदि छन्दोंका वर्णन. ३३०- 'गायत्री 'से लेकर 'जगती' तक छन्दोंके
६७१
आराधना
६१६
३०२- नाना प्रकारके मन्त्र और औषधोंका वर्णन.
६१९
भेद तथा उनके देवता, स्वर, वर्ण और गोत्रका वर्णन.
३०३- अष्टाक्षर मन्त्र तथा उसकी न्यासादि-विधि,
६२०
६७१
३०४- पञ्चाक्षर-दीक्षा-विधान; पूजाके मन्त्र
६२२
३३१- उत्कृति आदि छन्द, गण-छन्द और मात्रा- ६२६ छन्दोंका निरूपण..
३०५- पंचपन विष्णुनाम
३०६- श्रीनरसिंह आदिके मन्त्र
६७६
६२७३३२- विषमवृत्तका वर्णन..
३०७- त्रैलोक्यमोहन आदि मन्त्र
६८२
६२९ ३३३- अर्धसमवृत्तोंका वर्णन ६८५
३०८ त्रैलोक्यमोहिनी लक्ष्मी एवं भगवती दुर्गाके - मन्त्रोंका कथन.
|३३४- समवृत्तका वर्णन.
६८६
६३१ ३३५- प्रस्तार-निरूपण.
३०९ - त्वरिता- पूजा.
६९३
६३४
३३६- शिक्षानिरूपण.
३१०- अपरत्वरिता-मन्त्र एवं मुद्रा आदिका वर्णन... ६३६ ३३७- काव्य आदिके लक्षण
६९७
३११- त्वरिता मन्त्रके दीक्षा ग्रहणकी विधि ....... ३१२- त्वरिता विद्यासे प्राप्त होनेवाली सिद्धियोंका -
६९९
६३९ ३३८-नाटक-निरूपण,
,७०३
३३९ - श्रृंगारादि रस, भाव तथा नायक आदिका निरूपण
वर्णन
६४१
३१३- नाना मन्त्रोंका वर्णन.
७०५
६४३
३४०- रीति-निरूपण,
३१४- त्वरिताके पूजन तथा प्रयोगका विज्ञान
६४६ ३४९- नृत्य आदिमें उपयोगी आङ्गिक कर्म...... . । ७०९
७०८
गीता
| श्री
श्री
अध्याय
विषय
३४२- अभिनय और अलंकारोंका निरूपण
३४३ - शब्दालंकारोंका विवरण.
३४४- अर्थालंकारोंका निरूपण • ७२० ३६८- नित्य, नैमित्तिक और प्राकृत प्रलयका वर्णन.
३४५ - शब्दार्थोभयालंकार.
३४६- काव्यगुण-विवेक
३४७- काव्यदोष-विवेक ७२७
३४८- एकाक्षरकोप
३४९- व्याकरण-सार.
३५०- संधिके सिद्ध रूप.
३५१- सुबन्त-सिद्ध रूप.
३५२- स्त्रीलिङ्ग शब्दोंके सिद्ध रूप. ३५३ - नपुंसकलिङ्ग शब्दोंके सिद्ध रूप.
३५४- कारक प्रकरण ३५५- समास-निरूपण
[१०]
पृष्ठ संख्या
अध्याय
विषय ३६६- क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ग,
• ७११
|
७१४ ३६७- सामान्य नाम लिङ्ग
• ७२५
३६९- आत्यन्तिक प्रलय एवं गर्भकी उत्पत्तिका वर्णन ....
७३०
३७०- शरीरके अवयव. ७३२ ३७१- प्राणियों की मृत्यु नरक तथा पापमूलक
७३४
जन्मका वर्णन • ७३५३७२- यम और नियमोंकी व्याख्याः प्रणवकी महिमा तथा भगवत्पूजनका माहात्म्य
७५३३७३- आसन, प्राणायाम और प्रत्याहारका वर्णन
७५५
७३९
७५६ ३७४- ध्यान...
३५६- त्रिविध तद्धित-प्रत्यय.
३५७- उणादिसिद्ध शब्दरूपोंका दिग्दर्शन,
३५८ - तिविभक्त्यन्त-सिद्ध रूपों का वर्णन ३५९- कृदन्त शब्दोंके सिद्ध रूप
३६०- स्वर्ग पाताल आदि वर्ग.
३६१- अव्यय-वर्ग
३६२- नानार्थ- वर्ग......
३६३- भूमि, वनौषधि आदि वर्ग.
३६४- मनुष्य-वर्ग.
३६५- ब्रह्म-वर्ग..
७६१
३७५- धारणा
७६३ ३७६ समाधि.
७७१
३७७- श्रवण एवं मननरूप ज्ञान ८२८ ७७५ ३७८- निदिध्यासनरूप ज्ञान
• ७७९
३७९ - भगवत्स्वरूपका वर्णन तथा ब्रह्मभावको
७८१
प्रातिका उपाय. ३८०- जडभरत और सौवीर नरेशका संवाद-अद्वैत
१७८८
७९१ ब्रह्मविज्ञानका वर्णन
७९४
३८१-गीता सार
७९९ ३८२-यमगीता..
८०२
| ३८३- अग्निपुराणका माहात्म्य.
चित्र - सूची सादे
१- वक्ता व्यास, श्रोता सूत
२- वक्ता वसिष्ठ, श्रोता व्यास- शुकदेव.
३- वक्ता अग्निदेव, ओता वसिष्ठ ४- वक्ता नारद, श्रोता वाल्मीकि,
५- हरि हर भगवान्...
६ १२- भगवान् ब्रह्मा
२४०
६
१३- अष्टभुज विष्णु.
रा
६ १४- त्रैलोक्यमोहन श्रीहरि
२४०
६
१५- विश्वरूप विष्णु..
२४०
१०१ १६- श्रीलक्ष्मीजी
३५०
१०१ १७ श्रीसरस्वतीजी ६- स्कन्दस्वामी.
३५०
१०१ १८ - श्रीगङ्गाजी.
३५०
१०१ १९ - श्रीयमुनाजी.
१४०
इनके अतिरिक्त पञ्चशलाका- ये सर्प राहु, नरचक्र, रक्षायन्त्र - रेखाचित्र तथा कई चक्र-सम्ब कोष्ठक लेखोंके बीच बीचमें दिये गये हैं। -
७- चण्डी - बीसभुजा .
८- दुर्गा-अठारहभुजा..
९- संध्यादेवी - प्रातः काल
१०- संध्यादेवी- मध्याह्न.
१४०
११- संध्यादेवी सायंकाल, १४०.
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